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पापा की पहचान

कुहू बहुत ही प्यारी लडकी थी। वह रोज स्कूल जाती थी व छुट्टी होने पर उसके पापा ही उसे लेने आते थे। यह उनका रोज का नियम था। कुहू पापा की लाडली जो थी। वह स्कूल में भी सबकी चहेती थी। एक दिन छुट्टी होने के बाद भी काफी देर तक कुहू के पापा उसे लेने नहीं आए तब उसकी टीचर ने उसे अपने रूम में बैठा लिया और कहा पापा आए तब चली जाना। थोडी देर बाद चपरासी आया और बोला कुहू जाओ तुम्हारे पापा आ गए। कुहू बाहर गई व घबराती हुई वापस आ गई व बोली ये मेरे पापा नहीं है। टीचर ने कहा चलो देखते है। वह फिर टीचर के साथ बाहर गई। टीचर ने कहा ये तुम्हारे पापा ही तो है। दरअसल उसके पापा ने किसी कारणवश पहली बार मूंछे मुंडवा ली थी, तो वह पहचान नहीं पाई। बडी मुश्किल से वह मानी और पापा से बोली पापा आप कभी भी मूंछे मत मुंडवाना, आप तो केवल मूंछो में ही अच्छे लगते हो और रोते हुए पापा के गले लग गई।
कु. जयश्री गोविंद बेलापुरकर हरदा

 
 

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