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बेज़ुबान प्यार

 

प्यार है क्या ?एक दूजे को सिर्फ पाना ही नहीं है प्यार । प्यार तो वो होता है जो जवानी ही नहीं बल्कि हर हाल हर परिस्थिति मे अपने परवान पर चढ़ता रहता है सच्चा प्यार तो निःस्वार्थ गंगा जल सा पावन होता है ।
नन्दनी बिलकुल भोली भाली सभी की मदद करने वाली बहुत सीधी पर समझदार अपने माँ बाप की एकलौती लाडली संतान थी । घर में भले पैसे बहुत नहीं थे पर पिता निर्माण ईमानदार सरकारी पदाधिकारी थे । ईज्जत की रोटी खिला बेटी को नाजों से पाला था । माँ धरा बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप जमीन से जुड़ी पर संस्कार संग समय के साथ चलने वाली महिला थी ।
नन्दनी बहुत सुन्दर सवगुण सम्पन्न अपने माँ बाप से बेहद प्यार करने वाली बेटी थी । इन तीन लोगो की दुनियाँ एक दूजे के प्यार से भरी थी ।
नन्दनी दुनियाँ के छल कपट से अंजान सीधी सोच वाली थी । उसे समाज में धर्म के नाम पर झूठे आडम्बर बिल्कुल पसंद नहीं थे I
आस्था अपनी संस्कृति में उसका विश्वास था । दकियानुसी सोच से परे वो जीवन साथी के मायने कंधे से कंधे मिलाकर चलने वाली थी । जैसा उसने अपने माँ बाप के बीच देखा था ।
नन्दनी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी ,आगे प्रतियोगिता परीक्षा में बैठना भी चाहती थी । पर अचानक नन्दनी के पिता का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई । नन्दनी की दूनियाँ मानों उजड़ गई । माँ अचानक हुए इस हादसे से टूट सी गई थी । अभी दोनो के आँसू थमे भी नही थे कि एक रिश्तेदार तुषार का रिश्ता नन्दनी के लिए ले कर आये । तुषार अच्छी कम्पनी में उच्चे ओहदे पर था । माँ बाप भाई बहन से भरा पूरा परिवार था । माँ ने पहले मना कर दिया , पर वो भी अचानक हुए इस हादसे से कुछ समझ नहीं पाई और रिश्ते के लिए हाँ कर दिया ।
जल्द ही नन्दनी के संग तुषार की शादी हो गई ।माँ धरा अपने पति के यादो के सहारे अकेली घर में रह गई ।
नन्दनी तुषार के संग अपने ससुराल आ गई , पर माँ के लिए बहुत उदास थी कि वो अकेले कैसे रहेगी । इधर तुषार ही नन्दनी का पहला प्यार था । दोनो की शादी जिस हालात में हुई थी वो अपने एहसास को महसूस ही नहीं कर पा रही थी ।
पहला प्यार का एहसास क्या होता है , वो महसूस ही नहीं कर पाई । यहाँ शादी के बाद बस बहु की जिम्मेवारी और फर्ज की चाभी पकड़ा दी गई । अपने घर में नन्दनी ने हमेशा माँ बाप को प्यार और बराबरी से रहते देखा था । पापा माँ दोनो एक दूसरे की छोटी छोटी खुशियों का ख्याल रखते थे । माँ की पसन्द का हमेशा ध्यान रखते थे । वो माँ से पूछती मम्मा आप दोनो की लव मैरेज है या एरैंज ? माँ हँस पड़ती लजाकर कहती धत् पगली हमारे यहाँ तो पहले शादी , तभी प्यार होता है । जो हमारा पहला और आखिरी प्यार होता है . I
यहाँ ससुराल का माहौल बिल्कुल अलग था । तुषार ने अपने माँ बाप की मर्जी से शादी की थी । नई शादी वाली कोई खुशी ही नही थी । नन्दनी पति के साथ कहीं घूमने जाना चाहती थी । पर ऐसा कोई भी पल उसके नसीब में नही था । यहाँ बस पति अपने कमरे में आकर सो जाये ये बडी बात थी । कभी मूवी देखना तो दूर की ही बात थी । नन्दनी सभी के लिए दिन रात लगी रहती , तब भी सब हर बात मे कमियाँ निकालते रहते , फिर तुषार भी सब के साथ मजाक उड़ाते हुए चार बात सुना देते । नन्दनी सोचती ये उसका पहला प्यार है , पर ये एहसास सिर्फ मुझे है क्यार तुषार को मेरे लिए कोई प्यार नहीं है ? वो तुषार से पूछती आप मुझे प्यार तो करते हो , तुषार कहता अरे प्यार नही करता तो तुम्हारे साध एक कमरें में कैसे रहता ।
प्यार की परिभाषा हर किसी के लिए अलग होती है ।

इधर नियति को कुछ और ही मंजूर था । नन्दनी की माँ अपने पति की जुदाई नहीं बर्दास्त कर पाई और जल्द ही नन्दनी के पापा के पास चली गई यहाँ उनका प्यार सच्चा था ' ।
नन्दनी माँ बाप को खो कर टूट चुकी थी ।
अब ससुराल ही उसकी दुनियाँ थी । वो तुषार को बेहद प्यार करती थी , आखिर उसका पति ही उसका पहला प्यार था ।
तुषार भी नन्दती को चाहता था , पर उसके प्यार का तरीका अनोखा था । अपनी बाते कभी नन्दनी से कहता ही नही था ।
भारतीय परिवार मे अधिकतर यहीं हकीकत होता है , यहाँ प्यार दिन भर आई लव यू कहने से नही बल्कि जिम्मेवारी निभाते हुए साध जीने से होता है ।
यहाँ प्यार सम्पूर्ण समर्पण का नाम होता है । जो ईमान दारी से पूरी जिन्दगी साथ निभाया जाता है ।

निवेदिता सिन्हा
भागलपुर बिहार

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