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ब्राम्पटन के प्रेत




हॉकर का मेरी गली में आकर भोर टाइम में शोर मचाना रोज़ का ही काम था लेकिन उस सुबह उसका चिल्लाना मेरी नींद में भयानक खलल डाल गया। वजह ये थी कि वो ठीक मेरे दर पर शोर मचा रहा था। और सभी जानते हैं कि जितना एक आम इंसान को ज़िंदगी से मोह होता है मुझे उतना ही मोह मेरी नींद से है। लेकिन उस घड़ी मैंने मेरा वो मोह छोड़ा और उठकर दरवाज़े पर जाकर लगा। आगे फिर मैंने दरवाज़ा खोला। वो लायक छोकरा सामने मौजूद था। हाथ में अखवार का बंडल लिए। मुझे देख उसने अपने बड़े बड़े लेकिन मैले से हो रखे दांतों से एक बड़ी सी मुस्कान उछाली। मैने अपनी भवों को उछालते हुए उससे मूक सवाल किया। जवाब में उसने उस दिन के पेपर की एक कॉपी मेरी ओर बढ़ाई और बोला।
"आपके लिए खास।"
ये एक बढ़िया वाकया था। मूड खराब करने के लिहाज़ से। फिर भी मैने उसे उलट पलट कर देखा। इस उम्मीद से कि शायद उसमें भीतर या आगे पीछे कुछ छिपा कर रखा गया हो जो मेरे लिए हो मगर मेरी वो उम्मीद भी औंधे मुंह गिरी जिसने मुझे ज़रा सा गुस्सा दिलाया। मैने आह भरी। जिसका मतलब उसने साफ समझा और तुरंत बोल पड़ा वह।
"पेज नंबर 5, और वहां सबसे नीचे।"
इतना कह वह भागता हुआ वहां से ऐसे गायब हुआ जैसे मैने उसके पीछे प्रेत छोड़ देने थे। मैं दरवाजा लॉक कर वापिस मेरे बेड के हवाले हुआ और मैने उस कॉपी का पेज नम्बर 5 खोला। और उस ख़बर की ओर मेरा ध्यान खुद ब खुद चला गया जहां देखने का इशारा वो लड़का मुझे कर के गया था। वहां मोटी मोटी हेडिंग में साफ़ साफ़ लिखा था।
‘जहां कहीं भी हो चले आओ होप।’
और मैं सच में हैरान रह गया। क्यों कि वो इश्तहार खुद थॉमस ने दिया था। मैने फिर वो पूरी ख़बर जल्दी जल्दी पढ़ डाली।
‘तुम किसी भी तार का जवाब नहीं दे रहे हो होप। शायद तुम तफ़रीह पर हो इसलिए मेरे तार तुम तक पहुंच नहीं पा रहे । इसलिए मैं इसे न्योज पेपर में छपवा रहा हूं। क्यों कि जानता हूं कि तुम जहां भी होगे न्यूज़ पेपर ज़रूर पढ़ोगे। अब इस न्यूज को पढ़ो और खड़े पैर डगलस पहुंचो।’
ज़रूर कोई खास बात थी। या कोई विशेष घटना घटी थी जिसमें थॉमस दिलचस्पी ले रहा था। या हो सकता था वो किसी किसी गंभीर समस्या में जा फंसा था। मैने पेपर एक साइड में रखा और खड़े पैर डगलस के लिए तैयारी शुरू की। मैं एक घंटे में तैयार होकर बग्गी में डगलस के लिए रवाना हो गया और दो घंटे के सफ़र के बाद डगलस में जाकर लगा जहां खुद थॉमस ने मेरा स्वागत किया। मेरी आधी चिंता खत्म हुई। शुक्र था कि वो किसी मुसीबत का शिकार नहीं हुआ था। मामला ज़रूर किसी केस से संबंधित था। थॉमस ने आगे बढ़ कर गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया। 
"कब सुधरोगे तुम? मुझे यहां खड़े 2 घंटे हो चुके हैं। तुमको वक्त की परवाह करनी चाहिए।"
मेरे माथे पर सिलवटें उभरीं। क्यों कि आम दिनों के मुक़ाबिल मैं आज क़दरन जल्दी और मेरे हिसाब से शायद वक्त से पहले आ गया था। 
"मैं बिना किसी इत्तला के आया हूं थॉमस। और तुम मेरा 2 घंटे से इंतज़ार कर रहे हो? तुमने तार नहीं भेजा था न्यूज पेपर में इश्तहार दिया था।"
"बिल्कुल। इसीलिए मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।"
"मैं कहीं बाहर दूर भी गया हो सकता था।"
"आज तक मेरे बिना कितनी बार गए हो तुम बाहर या दूर ?"
ये बात उसने दुरुस्त फरमाई थी। मेरी हर लंबी यात्रा हमेशा ही थॉमस तथा मिडगार्ड के साथ हुई थी।
"मैं सहमत हूं।" मैने कहा।
"मेरे तार वापिस आ रहे थे। कहां गए थे तुम ?"
मैं झिझका। या शायद मैने वैसा करने का अभिनय किया क्यों कि थॉमस से कुछ भी छिपा हुआ नहीं था।
"क्या तुम मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश का ड्रामा कर रहे हो?"
"हां। मुझे लगा ऐसा मुझे कर के देखना चाहिए। "
"क्या तुम फिल्मों में जाने की सोच रहे हो?"
मैं मुस्करा दिया।
" अगर ऐसा है तो तुम अपना प्लान बदल दो क्यों कि तुम एक फ्लॉप एक्टर साबित होगे।"
"मुझे भी ऐसा ही लगा। और अब मैं मेरा ये इरादा छोड़ रहा हूं।"
"गुड। अब बताओ। कहां थे तुम?"
"मैं एक कब्रिस्तान में हवा गति और एक पुरानी कब्र में गड़े मुर्दे से आयाम की दीवार में छेद करने वाले टोने को सिद्ध कर रहा था।"
उसने मुझे अजीब सी नज़रों से देखा। 
"अरे मैं धरती से ही हूं। ऐसे क्या देख रहे हो?"
"ये किस तरह का प्रयोग था ?"
"सवाल को सही करो। ये पूछो कि मैं जो कर रहा था उसमें सफल हुआ की नहीं
?"
उसने आह भरी।
"सफल हुए या नहीं?"
"हुआ।"
"परिणामस्वरूप क्या हासिल हुआ ?"
"इसे तुम समय यात्रा न कहना । लेकिन मैं अब किसी के अतीत में और किसी की कल्पना में अपने इस शरीर के साथ आ जा सकता हूं। उसके अतीत या उसके द्वारा की जा रही कल्पना में जितना चाहूं उतना लंबा वक्त बिता सकता हूं। "
थॉमस ने पहलू बदला। वह एक क्षण सोचों में दिखा। जैसे एकाएक किसी समस्या में घिर गया हो।
"क्या हुआ ?"
"कुछ नहीं।" वह बोला साथ ही ठिठका और कुछ सोचते हुए पुनः बोला " क्या तुम किसी के सपने में भी जा सकते हो?”
“हां, मैं कर सकता हूं ऐसा भी।"
"क्या बात है! ये तो कमाल हो गया।"
"क्या नई बात है? ऐसे कमाल तो मैं आए दिन करता रहता हूं।"
"तैयार हो जाओ क्यों कि एक कमाल और भी हुआ पड़ा है।"
मैने उसे देखा। सवालिया निगाहों से। जिसमें हैरत की अधिकता थी।
"कैसा कमाल?"
"देखना। अभी बग्गी में बैठो। हमें एक जगह चलना है।"
मेरे लाख पूछने के बावजूद भी उसने न बताया कि हमने किस जगह चलना था। हमारा सफ़र एक बार फिर आरंभ हुआ। बग्गी में हिचकोले खाते हुए। टूटी फूटी सड़क पर गड्ढों में झूलते उछलते। और वो सफ़र जहां जाकर थमा वो लंदन का सबसे मशहूर शहर हैटफोर्डशायर था। शांतिप्रिय लोगों का एक ऐसा शहर जहां डिसिप्लिन लोगों की रग रग में समाया हुआ था और हर कोई उस तहज़ीब के शहर में कई कई बार आना चाहता था। खुद मैं भी। और आज मैं वहां था , इसलिए मैं खुश था। मेरी खुशी को शायद थॉमस ने भांप लिया था।
" इस बार नहीं होप। अभी हमारा सफ़र खत्म नहीं हुआ। जहां हमारा सफ़र खत्म होगा उसका एहसास पाकर तुम्हारी खुशी उड़नछू हो जायेगी।"
इसके पहले कि मैं कुछ बोलता, थॉमस ने बग्गी चालक से सामने नज़र आ रहे बोर्ड की ओर मुड़ जाने का आदेश दे दिया। बग्गी मुड़ी। बोर्ड के पास से गुजरते वक्त मैने उस जंग लगे पुराने से बोर्ड पर लिखे नाम को बड़ी गौर से पढ़ा।
ब्रांपटन।
6 km
मेरी खुशी सच में उड़नछू हो गई। थॉमस एक हसीन शहर से गुज़ार कर मुझे एक कब्रिस्तान की ओर लेकर जा रहा था । उस कब्रिस्तान की ओर जो उस वक्त का सबसे भयानक भूतों के बसेरों वाला कब्रिस्तान था। ऐसे भूतों का बसेरा जो किसी इंसान को अपना टारगेट बनाते थे और फिर उनको अपने मायाजाल में फांस कर बहुत दर्दनाक मौत देते थे। इन भूतों को प्रेत कहा जाता था। इनके बारे में मैने अब तक सिर्फ सुना था अगर मामला सच में उन्ही भूतों का था तो मुझे ये कुबूलने में बिल्कुल भी झिझक नहीं है कि मेरा उन प्रेतों से पहली बार आमना सामना होना था। 
"लगता है सोच कर ही होश उड़ गए!" थॉमस ने मेरा मजाक उड़ाया।
"क्या सच में हम ब्राम्पटन के प्रेतों से टक्कर लेने जा रहे हैं?"मैने पूछ लिया।
"और नहीं तो क्या!"
मैने आह भरी। साथ ही मैं खुश भी हुआ क्यों कि खतरों से खेलना मेरा सबसे हसीन शौक रहा था। अब मुकाबला अगर ब्रांपटन के प्रेतों से था तो ये सफ़र वाकई जबरदस्त साबित होने वाला था।
"शिकार कौन है?" मैने पूछा।
"लगाओ अनुमान कि कौन हो सकता है शिकार?"
"कोई औरत?"
"नहीं।"
"कोई आदमी?"
"नहीं।"
"तो निश्चित तौर पर कोई लड़की।"
उसने इनकार में सिर हिलाया।
"क्या कोई जानवर?"
"एक तांत्रिक।"
मैने पहलू बदला लेकिन एक सवाल फिर भी किया मैने।
"क्या तांत्रिक आदमी नहीं होता ?"
थॉमस हंसा।
"तांत्रिक तांत्रिक होता है।"
मैने मुंह परे फेर लिया। वो मस्ती के मूड में था और मैं इस वक्त सिर्फ मामले पर ही बातचीत करने का तलबगार था। और फिर उसे थॉमस ही कौन कहता जो मेरा मूड न भांप पता ? 
"चलो ठीक है पूछो। क्या पूछना है?" वह बोला लेकिन इस बार गंभीर होकर।
मेरी नाराज़गी कपूर की डली की तरह हवा में घुल गई। मैं मुस्कराहट लिए उसकी ओर पलटा और मेरा शैतानी दिमाग सक्रिय हुआ।
"मामला क्या है?" मैने पूछा।
उसने शायद एक पल को कुछ सोचा। फिर करवट सी बदलता मेरी घुमा और जितना हो सकता था अपने स्वर को रहस्य में डुबाया उसने।
"ये प्रेत कमाल के होते हैं होप। मैं पिछले 5 दिनों से ब्रांपटन में हूं। और जितनी
ज्यादा हो सकती थी मैने इनकी जानकारी इकट्ठा की है। ये कमाल के प्रेत हैं होप। और बड़ी बात ये है कि ये कभी भी इंसानों पर हमला नहीं करते। तब तक नहीं जब तक इंसान खुद इनको छेड़े नहीं। और अगर इंसान ऐसी गलती करे तो ये बहुत ही कायदे से अपने कुचक्र को रचते हैं। तुम सुनोगे तो दंग रह जाओगे।"
"मैं तैयार हूं। तुम चाहो तो मुझे दंग कर सकते हो।"
"क्या तुम्हारे साथ कभी ऐसा हुआ है कि तुम्हारा दुश्मन तुमसे शारीरिक बल में दोगुना हो और तुमने उससे दुश्मनी निकालने के अपने मंसूबे मन में ही रखे हों मगर सपने में उसे सबक सिखाया हो?"
मैने प्रत्यक्ष में न बोल दिया जबकि थॉमस ने मुझे मेरे बचपन का किस्सा याद दिला दिया था जब मैं मेरी मां के साथ थेम्स में रहता था और मेरे पड़ोस में रह रही उस लड़की को पसंद करता था जिसका नाम ईस्टर था और उसकी आंखें उसके बालों के जैसी ही सुनहरी थीं। मैने उससे अपने मन की बात बोली थी और उसने मुझे एक्सेप्ट भी किया था मगर इसमें मेरी ही गली के एक लड़के ने भांजी मारी थी और मेरी माशूका को वो ले उड़ा था। लड़की के घरवालों ने ईस्टर की शादी उससे कर दी थी और मैं कुछ न कर सका था। मैं उसे कम से कम एक बार रुई की तरह धुनना चाहता था मगर वो मुझसे शारीरिक बल में दो गुना था
 और जब उसे मालूम चला था कि मैं ईस्टर को पसंद करता हूं तब उसने एक बार बिल्कुल तसल्ली से मेरी धुनाई की थी। मगर मैं उससे उस धुनाई का बदला कभी न ले सका। बस मन ही मन उसे मारने के मंसूबे मैने कई बार बनाए। आज थॉमस ने मुझे वो किस्सा याद दिला दिया।
" बिल्कुल, मेरे साथ ऐसा हुआ था मगर मैं कभी उसको सपने में भी नहीं मार पाया।"
"कौन था वो?"
"उसे छोड़ो।"
"हम उसे अब मजा चखा सकते हैं।"
"मेरी अब ऐसी कोई इच्छा नहीं।"
"क्या तुम उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा चाहते ?"
"मैं इस किस्से पर ही बात नहीं करना चाहता।"
"क्या वो तुम्हारी एक्स क्रश का पति है?"
"वो बेगुनाह है।"
"मैं समझ गया।"
"अब मुद्दे पर आओगे?"
"बिल्कुल।"
"तो आओ।"
"इतना ज़ोर दे रहे हो तो आता हूं। बात दरअसल ये है कि कुछ दिन पहले एक तांत्रिक ने ब्राम्पटन के प्रेत को काबू करने के लिए एक तांत्रिक अनुष्ठान किया।"
मैने बुरा सा मुंह बनाया।
"आबरा का डाबरा जैसे ?"
"ऐसा मान सकते हो।"
"फिर क्या हुआ?"
"फिर वही हुआ जिसके लिए ब्राम्पटन के कब्रिस्तान के प्रेत फेमस हैं। उन्होंने एक ऐसा मायाजाल फैलाया जिसके शिकंजे में वो तांत्रिक आ फंसा। और अब उसने हमसे गुहार लगाई है कि उसे उस मुसीबत से निजात दिलाएं हम।"
"वो सब ठीक, मगर उन प्रेतों ने किया क्या ?"
"प्रेतों ने नहीं प्रेत ने।"
"वही, वही।"
"क्या तुम उनके तरीकों से नहीं परिचित ?"
"होता तो पूछता ?"
"नहीं।"
"तब फिर?"
मैने कहा। लेकिन आज थॉमस अपने स्वभाव के विपरीत बात को लंबा खींच रहा था। जैसे कि वो, वो किस्सा खुद अपनी जुबानी बयां न करना चाहता हो। क्यों कि थॉमस हमेशा से कम बोलने की फितरत को धारण करने वाला रहा है। उसकी दिलचस्पी बात को कम से कम शब्दों में खत्म करने की रही है।
"तब फिर ये कि अगर हम मामले को उस तांत्रिक के ही मुंह से सुनें तो शायद ज्यादा बेहतर रहेगा। नहीं?"
मैने मुंह फेर लिया। मैं खिड़की के बाहर देखने लगा। रात का अंधेरा घिरना आरंभ हो चुका था। हम लगभग ब्रांपटन पहुंच ही चुके थे। फिर कुछ देर बाद बग्गी एक झटके के साथ रुकी और हम दोनों बग्गी से बाहर निकले। तब तक अंधेरा पूरी तरीके से घिर चुका था। और उस अंधेरे में वह कब्रिस्तान किसी भयावने शैतान सारिखा प्रतीत हो रहा था जिसके बाहर उस घड़ी हम दोनों मौजूद थे। ब्राम्पटन का कब्रिस्तान।
"भयावना है।" थॉमस ने आहिस्ता से कहा। ठीक मेरे कान के नजदीक आकर।
"लेकिन इतनी रात गए हम यहां क्यों हैं?" उससे भी धीमी आवाज़ में मैने पूछा।
"क्यों कि वो तांत्रिक यहीं रहता है।"
"यहां?" मेरा हैरानी भरा स्वर उभरा "इस कब्रिस्तान में ?"
"हां। आओ।"
अपनी किट पीठ पर संभाले थॉमस आगे बढ़ा। पीछे पीछे मैं भी।
शीघ्र ही हम उस भयावने कब्रिस्तान के बीच से गुज़र रहे थे। रात के सन्नाटे में शांत पड़ी कब्रें भी यूं प्रतीत हो रही थीं जैसे अगले ही पल वह उठ खड़ी होने वाली हों। ये एक भयावना एहसास था जिसने बस एक पल को मुझे सोच में डाला लेकिन अगले ही पल मुझे जैसे याद ही आ गया कि मैं होप हूं। वो होप जो दो बार नर्क की यात्रा कर चुका है। जिससे नर्क की रूहें भी खौफ खाती हैं। तब मैं सधे कदमों से आगे बढ़ा। वहां का गाढ़ा अंधेरा मेरी आंखों को रास्ता सुझाने में व्यवधान उत्पन्न कर रहा था लेकिन फिर भी मैं ये अनुमान बड़ी आसानी से लगा पाया कि वहां मौजूद कब्रें अनगिनत थीं। और सभी की सभी पुरानी भी। क्यों कि मेरे पैरों के नीचे मैं बड़ी और सूख चुकी घास को पड़ते महसूस कर पा रहा था। वो एक हॉरर प्लेस था और शायद इसी वजह से लोग बाग ने वहां मुर्दे दफनाने बंद कर दिए थे। 
एकाएक मेरा पैर किसी पत्थर से टकराया और मैं ठोकर खा गया तथा गिरते गिरते बचा।
"संभाल कर होप। यहां कबाड़ की और पत्थरों की अधिकता है। अगर गिरे तो एक आध दांत तुड़वा बैठोगे।"
" सलाह के लिए शुक्रिया।"
"योर वैलकम होप।" उसने कहा।
मैने कदम संभाल कर रखने आरंभ किए। ये सोचते हुए की थॉमस शायद वहां कई दिन बिता चुका था। या शायद रातें भी। तभी वह उस अंधेरे में भी इतनी आसानी से चल पा रहा था। वो भी बिना ठोकर खाए।

*********

शीघ्र ही हम उस कब्रिस्तान के अंतिम छोर वाली दीवार के पास मौजूद एक दरवाज़े के पास जाकर रुके जो कि शायद किसी छोटे कमरे का दरवाज़ा था। जब वो कब्रिस्तान आबाद रहा होगा तब शायद उस कमरे पर वहां के चौकीदार
का अधिकार रहा करता होगा।
"ये कब्रिस्तान सदियों से विरान बताया जाता है होप।" थॉमस ने कहा। साथ ही उसने उस दरवाज़े पर दस्तक दी।
एक पल बाद ही भीतर किसी के चलने का स्वर उभरा और साथ ही उभरी एक भरी भरकम मर्दाना आवाज़।
"क्या तुम आ गए थॉमस ?"
"हां हम आ गए गोएटा। होप भी साथ है।"
अगले ही पल दरवाज़ा खुला। भीतर से जो शख़्स नुमाया हुआ वो एक डरा सहमा सा मजलूम सा दिखने वाला शख़्स निकला। जो बहुत बारीक सा कांपता 
हुआ महसूस हो रहा था। उसकी आंखो में बहुत गंभीर डर छिपा हुआ प्रतीत हो रहा था। मगर मुझ पर नज़र पड़ते ही उसके चेहरे पर राहत की रेखा उभर आई।
"य ये होप है?" वह बामुश्किल बोल पाया।
"हां ये होप है।"
वह तब एक ओर हटा।
"भीतर आ जाओ।"
हम भीतर पहुंचे। पीछे उसने दरवाजा बंद कर दिया मगर उसने वहां चिटकनी लगाने की कोई ज़हमत न उठाई। हमें वहां मौजूद एक टूटे फूटे पलंग पर बैठा कर वह खुद हमारे सामने एक टूटे से स्टूल पर बैठ गया।
" क्या तुम सच में मेरी मदद कर पाओगे ?"
उसने सवाल मुझसे किया था मगर वह देखने थॉमस को लगा था।
"हम बिल्कुल मदद करेंगे गोएटा। हम इसीलिए यहां मौजूद हैं। तुमको अपनी आप बीती विस्तार से होप को बतानी होगी।"
"वो तो मैं ज़रूर बताऊंगा थॉमस मगर तुम तो ब्रांपटन के प्रेतों की ताक़त को जानते हो न ? क्या तुम सच में मेरी मदद कर पाओगे?" वैसा बोलते पसीने की बूंदें उसके माथे से चूती हुईं उसकी काली लंबी दाढ़ी में विलीन होती चली गई थीं। ये उसके डर को कम और ब्रांपटन के प्रेतों की ताकत को ज्यादा दर्शा रही थीं। और उस अंधेरे माहौल में गोएटा के पीछे से आते शायद किसी लांटेन के पीले प्रकाश में बस इतना ही देखा जा सकता था। अगर वहां और अधिक मात्रा में पसीना था तो मामला और भी ज्यादा गंभीर था।
वह एक साइड हटा। " भीतर आओ।" हम भीतर दाख़िल हुए। तब मालूम चला कि वह प्रकाश किसी लांटेन का नहीं बल्कि एक मशाल का था। और वो कोई साधारण मशाल न थी। वो एक पुराने जादू से बनाई गई मशाल थी जिसे मुर्दे की बांह की हड्डी पर कोई सिद्ध तांत्रिक ही सिद्ध कर सकता था। और उस मशाल का वहां मौजूद होना ये साफ़ दर्शा रहा था की गोएटा कोई पहुंची हुई चीज़ था।
हम भीतर पहुंचे और वहां मौजूद लकड़ी की पुरानी सी कुर्सियों पर बैठे। वह खुद एक अन्य खत्म हो चुकी कुर्सी पर बैठा और बोला।
"ये कब्रिस्तान पुराने भूतों का कब्रिस्तान है होप। वो भूत जिनको बाद में प्रेत कहा गया।....."
"मैं जानता हूं गोएटा। मुझे वो बताओ जो तुम्हारी समस्या है। क्या कोई प्रेत तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ है?"
वह सकुचाया। फिर सहमति में सिर हिला दिया उसने।
"और ऐसा भला क्यों हुआ?"
"मैं यहां एक मंत्र सिद्ध करने आया था होप।"
"या यहां किसी प्रेत को काबू करने ?"
उसने पहलू बदला। फिर होठों पर जीभ फेरते उसने उस बात पर भी सहमति में सिर ऊपर नीचे कर दिया।
"गुड। फिर क्या हुआ ?"
"यहां के प्रेत सच में बड़ी ताकत वाले निकले होप। मैं इनको काबू नहीं कर पाया। मेरे पास बड़ी ताकतें हैं लेकिन वो सभी ताकतें इन पर बेकार साबित हुईं।"
"वो इसलिए क्यों कि यहां के ये प्रेत साधारणतया किसी का अहित नहीं करते। वो सिर्फ अपनी जून काट रहे हैं और सही वक्त आने पर उनको मुक्ति मिल जाएगी। इन पर नरकदेव की कृपा होती है इसलिए ये बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। तुमको इसकी जानकारी होनी चाहिए थी।"
"जानकारी थी। मगर बावजूद इसके मैने एक प्रयोग करके देखना चाहा। मगर मैं असफल हो गया और मैं एक प्रेत के मायाजाल में फंस गया।"
"कैसा मायाजाल?"
"यहां से प्रेत सच में खतरनाक हैं होप।" तभी थॉमस बोल पड़ा। वो शायद ब्रांपटन के प्रेतों के प्रति जाग चुकी अपनी उत्सुकता को दबाए रखने में नाकाम साबित हो रहा था। "यहां के प्रेत सामने आकर हमला नहीं करते। ये इंसान के ज़हन से खेलते हैं और उसे उसकी ही किसी कमज़ोरी के हवाले करते एक तिलिस्म रचते हैं और उसे हमेशा के लिए उसमें खो जाने के लिए छोड़ देते हैं। क्या तुम कुछ समझे?"
मैं सच में थॉमस की बात समझ नहीं सका था। इसे समझने का इससे बेहतर तरीका और कुछ नहीं हो सकता था की गोएटा खुद अपनी आप बीती सुनाता। मैने थॉमस की ओर ध्यान न दिया तथा गोएटा की ओर देखा।
"मुझे उस मायाजाल के बारे में विस्तार से बताओ गोएटा।"
उसने सहमति में सिर हिलाया और बताने लगा " ये बहुत पुरानी बात है होप। तब शायद मैं दस साल का था जब मैने एक सपना देखा था।........"
"क्या तुम्हारे बचपन के सपने का संबंध आज की घटना से है?"
उसने हामी भरी।
"तब सुनाओ।" मैने कहा और मैं गंभीर हो गया। गोएटा ने अपनी रुक चुकी बात पुनः आरंभ की " वो बहुत अजीब सपना था मगर मुझे तसल्ली देने लायक था। उस सपने ने मुझे सुकून पहुंचाया था...... उस सपने में मैने रात के अंधेरे में एक खून किया था। मेरे भाई का। वो मेरे अंकल का बेटा था जिसे मैं कभी भी पसंद नहीं करता था। क्यों कि वो एक बुरा इंसान था। प्रत्यक्ष में मैं उससे भीड़ जाने की ताब कभी न ला सकता था क्यों की वह मुझसे उम्र में और कद काठी में बहुत ऊंचा था। बहुत बलिष्ठ था। और उस रात के सपने में मैने वो काम कर दिखाया, जो मैं कभी वास्तविक जीवन में न कर पाता। मैने उसका क़त्ल कर दिया। जिस जगह मैने क़त्ल किया वो कोई जंगली इलाका था। मैने किसी धार दार हथियार से उसका पेट काटा और वो मर गया। हालाकि मैं सपने में था मगर मैं पूरी तरह डरा हुआ था। अब मुझे उसकी लाश छिपाने की चिंता सताने लगी। मैने वहीं मौजूद एक फावड़े से उसकी लंबाई बराबर एक गड्ढा खोदा। उस सपने में मुझे उसी के कद की एक बोरी भी पड़ी मिल गई। फिर मैने उस बोरी में लाश डाली और उस बोरी को मैने उस गड्ढे में दफ़न कर दिया। मैं संतुष्ट हो गया क्यों कि मेरे हिसाब से वो लाश कभी भी किसी के हाथ नहीं लगने वाली थी। अगली सुबह मेरी आंख खुल गई और फिर धीरे धीरे मैं उस सपने को भूलता चला गया। जिंदगी आगे बढ़ी और मैं एक तांत्रिक बन गया। और फिर जब मुझे इस कब्रिस्तान का पता चला तो मैं ब्रांपटन के प्रेतों को गुलाम बनाने की नियत से इस ओर चला आया। मैने एक कब्र पर अपना काम आरंभ कर दिया। मगर वो प्रेत मेरे काबू न आया। उसने सामने आकर मुझे खुली चेतावनी दी कि ‘तूने मेरी शांति में बाधा डाली है। अब तुझे मेरे सपनो के जाल में मौत मिलेगी।’ इतना कह कर वह गायब हो गया।"
वह चुप हुआ और उसने मेरी ओर देखा।
"बस?”
"नहीं।" वह फिर बोला " उसके बाद मुझे फिर से एक सपना आया। मैं एक बार फिर से उसी सपने में था और उसी कब्र के पास खड़ा था जिसमे मैने बचपन में मेरे भाई को मार कर गाड़ा था। ये कुछ दिन पहले की बात है। वही सपना था, वही जगह थी, वैसा ही गाढ़ा अंधेरा था। सब कुछ वैसा ही था। और मैं उसी सपने में एक बार फिर आ गया हूं, इस बात को भी मैं समझ पा रहा था। उस घड़ी मैं उसी कब्र के पास खड़ा था जहां मैने कुछ साल पहले मेरे भाई को दफ़न किया था। मैंने उस कब्र को साफ पहचाना। वो वही कब्र थी। मगर तब की और अब की स्थिति में ज़मीन आसमान का फ़र्क था। तब जिस कब्र को मैं एक मुर्दे के साथ मुर्दा छोड़ कर गया था आज वो कब्र उसी मुर्दे के साथ ज़िंदा थी। ज़िंदा इसलिए क्यों कि उस कब्र की उपरली सतह उस घड़ी कांप रही थी। ठीक ऐसे जैसे उसके नीचे मौजूद मुर्दा किसी दर्द से तड़प रहा हो। और उसके हिलने की वजह से उस कब्र की सतह में दरारें आ गई थीं।"
वह शायद सांस लेने के लिए रुका। इसी बीच मैने भी पहलू बदला। ये साधारण रूप में कोई विशेष बात नहीं थी, कोई विशेष सपना नहीं था। मगर मामला एक प्रेत की धमकी का था। एक प्रेत द्वारा एक तांत्रिक को उसके सपनों के जाल में मौत मिलते की बात कही गई थी। अब ये मामला पूरी तरह गंभीर था। इस लिहाज़ से गोएटा का वो सपना भी गंभीर था। जिस पर मेरा दिमाग चलाया जाना पूरी तरह जायज था और वक्त की ज़रूरत था।
"क्या वो सपना वहीं टूट गया?" मैने पूछा।
"नहीं।"
"तो फिर?"
"वो सपना आगे बढ़ा। क्यों कि ये मेरे बस में ही था कि मैं उस सपने में आगे बढ़ता या वहीं से में नींद से जाग जाता।"
कमाल की बात बता रहा था वह। सोच में डालने लायक। क्या ऐसा भी हो सकता था कि कोई खुद के सपने पर कंट्रोल कर पाता! अगर वह बोल रहा था तो निश्चित तौर पर वह वैसा कर भी सकता होगा। वह आगे बोलता रहा "तब जाने क्यों मेरे मन में विचार उठा कि मुझे उस कब्र को खोदना चाहिए। मैं ये भी समझ पा रहा था कि इसमें वास्तव में मेरे सामने एक बड़ा खतरा आ सकता था। मगर जो इच्छा मेरे मन में बलवती हुई थी आखिर में जीत भी उसी की हुई। मैने पास ही पड़े एक फावड़े को देखा। उसे देख कर भी मैं हैरान ही हुआ कि वो फावड़ा भी इतने वक्त से जस का तस वहीं पड़ा हुआ था। जैसे उसे मालूम हो कि एक अरसे के बाद मैने वहां आना था और उसे इस्तेमाल कर वो कब्र मेरे ही द्वारा खोदी जानी थी। मैने वो फावड़ा उठाया और मन भर बोझ मन पर लेकर उस कब्र को खोदना आरंभ किया। जल्द ही उस कब्र से पूरी मिट्टी मैने निकाल बाहर की। और इन सब से बड़ी हैरानी ने तब मेरा स्वागत किया। उस लाश के रूप में,जो उस बोरी में बंद थी। उस घड़ी वो बोरी इस कदर धड़क रही थी, जैसे उसके भीतर कोई जिंदा इंसान लंबी लंबी सांसे ले रहा हो। वयस्क होने के बाद मेरा डर से किसी भी तरह का कोई नाता न रहा था मगर उस रात उस धड़कती बोरी को देख कर मैं डर गया था। मगर मुझे मेरे डर को काबू करना था.....मैने किया और फिर मैने हिम्मत बटोर कर उस बोरी को गड्ढे से बाहर निकाला। वह पहले के मुक़ाबिल बहुत हल्की हो चुकी थी। और वह लाश के आकार में भी नहीं रही थी। शायद अब उसमे सिर्फ हड्डियां ही बाकी बची थीं। मैने उस बोरी को खोला और मैं झटके से खड़ा हो गया। उसमें सच में कुछ हड्डियां ही बची थीं जो इस घड़ी तड़प रही थीं। वह खून से सनी थीं। और देखने में ऐसा लग रहा था जैसे उनको बहुत तकलीफ़ हो रही हो। और जो कि अगले पल साबित भी हो गया क्यों कि तभी उन तड़पती हड्डियों से आवाज़ उभरी थी जो कि कह रही थी कि जिस तरह मैं इस मिट्टी के नीचे तड़पी हूं। उसी तरह तुमको भी तड़प कर मरना होगा।"
मैं हैरान हुआ।
"तड़पी हूं? मगर वो लाश तो तुम्हारे भाई की थी ना?"
"हां। मगर उन हड्डियों से मेरी बीवी की आवाज़ आ रही थी। वो कह रही थी जिस तरह तुमने मुझे ज़िंदा गाड़ दिया था उसी तरह किस्मत तुम्हारी ज़िंदा कब्र बनाएगी और तुम मिट्टी के नीचे सांस लेने को 

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