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कोरोना वॉरियर्स

रात दिन सब एक कर,खड़े है जी-जान से,

घर-परिवार उनके भी है, आदर है दिलो जानसे ।


चाहे तो फ़र्ज़ छोड़ सकते है वो,

परिवार के साथ रहे सकते है वो ।

कड़ी हो धूप चाहे, तरबतर हो वर्दीमे,

पीपीई के यूनिफ़ॉर्मसे चाहे तो बच सकते है वो ।


जाहिलों की बस्तीमें, काम लेते है ठंडे दिमागसे,

भूखे प्यासे लगे है वो, नहीं कोई ख़्वाहिश इस ज़हान से ।

घरमें समान चाहे कम हो, भूखा न रहे कोई सड़कों पर,

दिखाके कभी बेदर्दी वो, उलझे रहे कर्तव्यों पर ।


अपने ही घर से तड़ीपार हुए, कितनो के दिल बेकार हुए,

अपना ही फ़र्ज़ निभाते निभाते, कई डॉक्टर बेजान हुए ।

हिस्सा हम भी बन सकते है, देश को आबाद कर सकते है,

घटिया सी महामारी को उल्टे पाँव रास्ता दिखा सकते है ।


हो जाएँगे एक जूथ, नहीं निकलेंगे रस्ते पे,Nidhi

कोरोना की हैसियत क्या, निपटा लेंगे हम सस्ते में ।

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