શ્રદ્ધાંજલિ ''રિશી કપૂર''
जिनके प्यारका पहलू आँखोंसे,
दिलमे सीधा उतर जाए,
अलविदा उस सरताज को,
जो अभिनयसे कभी ना मुकर पाए ।
''सागर'' हो या हो ''अग्निपथ'',
''प्रेमरोग'' से पहुँचे ''चाँदनी'' तक ।
प्यारका दूजा नाम है ''बॉबी'',
निखर उठे वो ''दामिनी'' तक ।
क्यूँ वक़्तका दरिया, Nidhi
बहते-बहते इस मंज़रमे खो गया ।
हाँ, यक़ीन नहीं है राउफलाला,
यूँ अचानक सो गया ।