मेरा घर हराभरा है
बिखरा पड़ा है घर, सारा समान फ़ैला रक्खा है
पर कोई नहीं, में खुश हूं
आज मेरा घर हराभरा हैं।
रास्ते, गलियां, सड़कों का नूर उड़ा हुआ है
दरवाज़ा, खिड़कियां भी कहेते है
आज मेरा घर हराभरा हैं।
इतवार के बिना साथ खाना हो रहा है
डिब्बावाला गर्म रोटियां खा रहा है
आज मेरा घर हराभरा हैं।
ज़िन्दगी के पलों का कोई भरोसा नहीं है
फिरभी सालो का राशन भरा पड़ा है
आज मेरा घर हराभरा हैं।
कामकाज और शोर दोगुना हो गया है
हर कहीं
आज मेरा घर हराभरा हैं।
उंगलियां गले मिला करती थी कभी दो हाथो से
आज हर कोई हाथ जोड़े अकेला खड़ा है
आज मेरा घर हराभरा हैं।
दहेशत के हल्लेगुलेमें सुकून खोया है
भीड़ का अतापता नहीं
आज मेरा घर हराभरा हैं।
सुने रास्तों पर गरीब भूखा रहे जाता हैं
जानवर भी सोचते हैं इंसान कहां हैं
आज मेरा घर हराभरा हैं।