खींच कर उस की याद आज लाई है यें रात
खींच कर उस की याद आज लाई है यें रात
ख़ुदा ने मुद्दतों से दिखलाई है यें ख्वाबों की रात
चाँदनी रात है और खुबसूरत से ख्वाब है
जाम भर 'समीम' कि ये क़िस्मत से हाथ आई है रात
यूंही ख्वाबों में बार - बार मिलने के लिए
वो तो ठहराते थे दिन पर हम ने ठहराई है रात
वाह, क्या मज़ा हो जब हाथों में हों ज़ुल्फ़ो के लहरे
और वो मुस्कुरा कर कहें बाल उस परी के खुल गए
सुब्ह तक फिर तो चमन में चमकी वो तितलियां
ख्वाब में सहेलाती रही हवा हमें लगा थी उनकी हथेलीयां
- Shaikh Samim ✍️✍️