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बेवजह

नादाँ दिल तड़पता है बेवजह !

तमन्ना  वो समजता है बेवजह !!


जुल्म करता है वो बेरहम होके !

जान लेता नहीं,छोड़ देता है बेवजह !!


दिल की आरज़ू है रूबरू होने की!

और वो समजे इश्क मेरा है बेवजह !!


जमाने भर से रखे वास्ता,मुझसे दूर !

मान बात मेरी ज़माना है बेवजह !!


तू गर पूछें कभी मेरा अहले-गम !

और फिर मेरा मुश्कुराना है बेवजह !!


तू है तो है गुलशन,न हो तो विराना !

तेरे होने से चार-सु सबा है बेवजह !! 


©️हेमशिला माहेश्वरी'शील'

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