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हल्की हल्की

​बात भी छिड़ी हुई है, हल्की हल्की!

रात भी  घिरी हुई है, हल्की हल्की!


डगमगाते कदम, सरकता आंचल,

लटें भी उलझी हुई है हल्की हल्की!


कुछ कहती हुई तुम्हारी आंखों में,

नींद भी भरी हुई है, हल्की हल्की!


तुम्ही नहीं मदहोश, मुझ पर भी तो,

कैफ़े तारी सी हुई है हल्की हल्की!


आखिर, तुम्हारे दर्द बांट लिए सारे,

आहे भी साझी हुई है हल्की हल्की!


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