सूखी रोटी
सूखी रोटी
आज सुबह ही उसके बेटे ने एक टेढ़ी बाकी मोटी सी रोटी बनाई थी।
"रोटी तो गोल होती है ना माँ , मैंने ये क्या बना दिया??"
"कोई बात नही बेटा खाने में अच्छी ही लगेगी।"
लेकिन कुछ ज्यादा सींक गई और रोटी का कौर तोड़ना भी मुश्किल था।
माँ ने कलाकारी दिखाई एक वैसी ही टेढ़ी बाकी और मोटी सी रोटी बनाई और चुपके से पहली रोटी बाहर रास्ते पर डाल आई।
रास्ते पर एक नयी - नयी माँ बनी कुतिया दो दिनों से अपने पिल्लों के लिए खाना ढूंढ रही थी, वह तुरंत उस मोटी सी सुखी रोटी को मुँह में दबाए अपने पिल्लों के पास चल दी।
और माँ ने पिताजी को मंद- मंद मुस्कराते हुए अपने बेटे के हाथ की बनी एक टेढ़ी बाकी और मोटी सी रोटी बड़े प्यार के साथ परोस दी, माँ के प्यार से भरी वह सुखी रोटी एक दुसरी माँ के बच्चों के मुँह मे मुस्कूरा रही थी।
मीनल आनंद
सौ. मीनल आनंद विद्वांस