रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

दिखावे की दुनिया है दोस्त!

दिखावे की दुनिया है दोस्त,


जो प्यार की बड़ी बात करता है, 

रोज रात क्रूरता पर उतरता है,


जो समाज की सेवा करता है, 

परिवार की उपेक्षा करता है,


जो सोशल मीडिया पर दहाड़ता है, 

अकेले में भयभीत रहता है,


जो रोज़ अपनी तस्वीर छापता है,

वो असल में आत्ममोह से ग्रसित है,


जो अखबारों में छाता है, 

वो तनहाई में रोता है,


जो धन की पूजा करता है, 

वो चोरी से कमाता है,


जो शीश झुकाता है, 

वो कटियार चलाता है,


जो ताकत दिखाता है, 

वो कमज़ोरी का मरीज़ है,


जो प्रेरित करता है, 

वो व्यापार करता है,


जो बहुत मीठा बोलता है, 

वो अत्यधिक चालाक है,


जो विलासता में लीन है, 

वो बड़ा कर्जदार है,


जो सत्य का दूत है, 

वो खुद गुमशुदा है,


जो प्रवचन बेच रहा है, 

वो दुकानदार है,


जो दानी है, 

वो दोषी है,


जो सुरक्षा कवच लेता है, 

वो असुरक्षित है,


जो एक रंग के वस्त्र पहनता है, 

वो उसकी महत्वाकांक्षा छुपाता है,


जो शब्दों में उलझाता है, 

वो असत्य का ज्ञानी है,


जो ग्रंथों को रटता है, 

वो दरअसल तोता है,


जो बाहरी सादगी दर्शाता है, 

वो अंदरूनी पेचीदा है,


जो सोच के बोलता है, 

वो अक्सर झूठ बोलता है,


जो दिखावे पे जीता है, 

वो छुपाते छुपाते मरता है,


जो उपाधियों का गुलाम है, 

वो अज्ञानता का स्वामी है,


जो आंखे बंद रखता है, 

वो रोशनी से भागता है,


जो अहिंसा का प्रचारक है,

वो वास्तविकता में हिंसक है,


शिक्षा का उद्द्येश्य है की कटु सत्य की सुंदरता का एहसास कराये ताकि जीवन भर काल्पनिक मिश्री की तलाश समाप्त हो। 


उस सुंदरता में पवित्रता है जिसे विचार दूषित नही कर सकते।


डॉ समीर गोलवेलकर

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु