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समझा दिया

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


दुखः हुआ, विरोध किया,

क्रोध आया, क्षोभ किया,

शोध हुआ, परिशोध किया,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


चिताएं जली, मोमबत्तियां जली,

उम्मीदें जली, भावनाएं जली,

संपत्ति जली, संस्कृति जली

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


कुंठाएँ चली, वासनाएँ चली,

हैवानियत चली, वहशीयत चली,

दरिंदगी चली, दानवता चली,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


शहर बदले, निवासी बदले,

शिकार बदले, शिकारी बदले,

फन्दे बदले, जल्लाद बदले,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


दर्शन बदले, दार्शनिक बदले,

औषधि बदली, चिकित्सक बदले,

शिक्षा बदली, शिक्षक बदले,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


सरकारेँ बोली, राजनीती बोली,

प्रवक्ता बोले, ठेकेदारी बोली, 

कठघरे बोले, अदालतें बोली,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


वाद विवाद हुए, चर्चाएँ हुई,

प्रदर्शन हुए, सभाए हुई,

बहिष्कार हुए, रैलियां हुई,

हमनें दिल को फिर समझा दिया।


क्या समझाने के परे भी कुछ है?

क्या दिल की बेबसी के विकल्प है?

क्या मनुष्य की इस पीड़ा का अंत है?

क्या आध्यात्मिक दुखः की निवृत्ति है?


क्या शिक्षा या परवरिश में सामर्थ्य है?

क्या बुद्ध जागने के लिए तत्पर है?


डॉ समीर गोलवेलकर

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