भूल गये।
किसी ने कह दिया की केवल आंख को देख,
हम इधर उधर देखना भूल गये।
किसी ने कह दिया की तेरी मंजिल ही तेरी जिंदगी है,
हम रास्ते की सुंदरता भूल गये।
किसी ने कह दिया की भक्ति बहुत बलवान है,
हम कर्म करना भूल गये।
किसी ने कह दिया के तू ही ब्रह्म है,
हम पुरूषार्थ करना भूल गये।
किसी ने कह दिया की सदा सुखी रह,
हम दुख को समझना भूल गये।
किसी ने कह दिया की जिद्द कर,
हम छोड़ देना भूल गये,
किसी ने कह दिया की कसरत कर,
हम आराम करना भूल गये।
किसी ने कह दिया की ये मोटापा है,
हम खाना पीना भूल गये।
किसी ने कह दिया की तू लढ़ ले,
हम समझौता करना भूल गये।
किसी ने कह दिया की खूब पढ़,
हम खेलना कूदना भूल गये।
किसी ने कह दिया की अब उठ जा,
हम सोना भूल गये।
किसी ने कह दिया की ढीठ हो,
हम शर्माना भूल गये।
किसी ने कह दिया की बोला कर,
हम चुप रहना भूल गये।
किसी ने कह दिया की तरक़्क़ी कर,
हम स्थिर होना भूल गये।
किसी ने कह दिया की सम्हल कर चल,
हम ख़तरों से खेलना भूल गये।
किसी ने कह दिया की खूब कमा,
हम आनंदित होना भूल गये।
किसी ने कह दिया की सुना कर,
हम बोलना भूल गये।
किसी ने कह दिया की बड़े हो,
हम बचपना भूल गये।
किसी ने कह दिया की रिश्ते का नाम रख,
हम प्यार करना भूल गये।
किसी ने कह दिया की ईश्वर वहीं है,
हम हर कहीं ढूंढना भूल गये।
किसी ने कह दिया की तू याद रख़,
हम भूल जाना भूल गये।
क्या भूलने वाले को भूल जाने का मलाल होगा,
क्या याद आने पर पा जाने का गुमान होगा,
अब खुद को पाने में हर किसी को भूलना होगा,
अब हर किसी को भूलने से खुद को पाना होगा।
डॉ समीर गोलवेलकर