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भीतर का रावण

 

बार बार हर साल जलाये हजारोंं लाखोंं रावण
फिर बार बार यहाँ करे इस रावण को पैदा कौन
इधर उधर बहोत जलाये बाहर के दानव रावण
मगर शांतभाव से भीतर ही भीतर जाये कौन
और अंदर के इस वास्तव रावण को जलाये कौन !

आप सभी को दशहरे की अनंत शुभकामनाओं के साथ..


-- कीर्ति अडारकर

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