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पखेरू मन

एक बंधा हुआ मन

कभी कविता नहीं कर सकता

 

उसे चाहिए खुले पंख

और चाहिए आजादी

कल्पना के खुले आकाश में उड़ने की

 

उसे चाहिए मुक्ति

रूढिवादी विचारों से

और परंपराओं की प्राचीन बेड़ियों से

 

तभी उड़ सकेगा वह

और खोज निकालेगा कविता को

कल्पनालोक की भूलभुलैया से

 

जाने भी दो उसे

बनने दो यायावर

एक मुक्त मन ही कविता कर सकता है

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