गर्म गर्म आंसू
घुल रहा है सब,
आसमां से गिर रहे सितारों की तरह गिर रहे इन
गर्म गर्म आंसुओ के साथ।
मेरा कल,मेरा आज और बहुत सारे सपने जो मैंने देखे थे आने वाले कल के लिए।
मुक्त हो रहा है मन सारे वंधन से,
युक्त हो रहा हूं मै ईश्वर के संगम से।
अपनेपन का जादू मानो खत्म सा हो रहा है।
अपनों से दूर भीतर ही भीतर मिल रही हूं मुझ से।
मेरी तलाश में।
थोड़ी थकी है जिंदगी पर...
हौसला है पूरी थकान पा लेना का।
किसी के आंसू खुद की मुस्कान पा लेने का।
बच्चे सा बन कर अब सो जाना है उस गोद में
जिस भूमि में वैदेही मिली थी और जिसमें वह खो भी गई थी।
- भूमि पंड्या "श्री"