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स्वप्निल यादें

कुछ दिनों पहले मेरी एक सुखद मुलाकात हुई लेखक नीलम 'सपना' शर्मा से। उस मुलाकात का परिणाम यह रहा कि मुझे उपहार स्वरुप उनकी लिखी दो किताब भेंट में मिली। यहां मैं आपसे इन किताबों के बारे में अपना अनुभव साझा कर रही हूं, पर उससे पहले एक बात कहना चाहती हूं कि लेखक को आये ज्यादा समय नहीं हुआ लेखन के क्षेत्र में।

अपनी बेटी सपना को खो देने के बाद ही उन्होंने लिखना शुरू किया। बेटी की यादें और लेखन ने उन्हें इतना मजबूत बनाया कि वो आज भी हंसते हुए अपनी सभी ज़िम्मेदारी को पूरा करती हैं। 'नारी कभी ना हारी' लेखिका साहित्य संस्थान की उपाध्यक्ष पद पर आसीन लेखक सभी को उत्साहित करती हैं कि ज़ीवन में बस आगे बढ़ते जाना है।


एक काव्य संग्रह - स्वप्निल यादें

एक लघुकथा संग्रह - अहसास आस पास...... 🌷


स्वप्निल यादें पढ़ते हुए एहसास हुआ मानो हर कविता में कुछ अधूरे सपने है जिसे शायद लेखक अपनी कविताओं से पूरा कर रहा है। लेखक ने अपनी बेटी की याद में यह किताब लिखी, जो दुसरी दुनिया में रह रही हैं कहीं और उसी से संवाद करने का प्रयास किया गया है किताब में......

एक मजबूत मां है लेखक और बड़ी मजबूती से उन अधूरे सपनों को थामे हुए हैं कविताएं पढ़ते-पढ़ते यही लगा मुझे।

"यादों के झरोखे में हमने किसी और को आने ना दिया,

दिल है मेरा मोम का पर पिघलने ना दिया"।


दूसरी किताब एक लघु कथाओं का संग्रह-  अहसास आस पास

अपने आसपास के कुछ भावनात्मक किस्से लेखक को शायद भीतर तक दस्तक दे रहे थे और मजबूर कर दिया कलम उठाने को....

तंग दिल, पाप पुण्य, ममता की पराकाष्ठा, ऊन वाला सरीखी कुल तीस लघुकथाओं का संग्रह है।

कुल मिलाकर मैं यही कहूंगी कि लेखक के जीवन जो दर्द है शायद उसी दर्द ने हाथ में कलम थमा दी है,ये किताबें इसका प्रमाण है।






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