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विश्व थैलेसीमिया दिवस

८ मई -विश्व थैलेसीमिया दिवस

क्युं जिंदगी ने हमको इस मोड़ पे ला रख दिया ?
आंखों से बहते है आँसु और दिल से उठता है धुआँ ।
                                 क्युं जिंदगी ने 

क्या करें शिकवा किसी से, क्या करें किसी से गिला ,
लाख कोशिश करने पर भी चमन हमारा उजड गया ।
                                 क्युं जिंदगी नें 
हमें नहीं थी ये खबर हम थैलेसिमीया के वाहक हैं, दोष हैै ये गुणसूत्रों का हमें विरासत में मिला ।
                                 क्युं जिंदगी ने 
खुश थे हम दोनों ही जब आँगन हमारे गुल खिला ,पर हाय किस्मत देखो तो गुल को ही कांटा चुभ गया ।
                                  क्युं जिंदगी ने 
छेद वो गिनता रहा जब खून चढ़ा उसे उम्रभर ,
तन भी घायल , मन भी घायल , गुल हमारा मुरझा गया ।
                                   क्युं जिंदगी ने 
हश्र एैसा सा ना हो अब किसी भी चमन के फूलों का ,जांच पहले खून की हों फिर बजे शहनाईयाँ।
                                   क्युं जिंदगी ने 
उठता है धुआँ .. उठता है धुआँ …
 उठता है धुआँ .... उठता है ... धुआँ …

भारती वडेरा
  

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