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आफ़रीन आफ़रीन

ऊँची दुकान वाले
पकवान सारे फीके
ऐसे मे हो तुम आई
स्वाद भरी नमकीन

मिलने पर जाना हमने
अलग हो तुम सबसे
चश्मेबद्दूर तुम चश्मिश
आला हो तुम ज़हीन

इकरसता बिखरी पड़ी
काले सफ़ेद का राज
इन्द्रधनुषी तुम निकली
दुनिया जगमग है रंगीन

गर्वित सी मोरनी हो
इठलाती ताज लेकर
सब पानी भरे तुम्हारा
बला की तुम हसीन

चुप्पी लगाये हम तो
धीरज से दर पे बैठे
सुनकर हाँ तुम्हारी
कानों को न यक़ीन

हम काम के बहुत थे
कहते थे लोग सारे
अब और कुछ ना सूझे
हैं तुममें तल्लीन

कैसे कहे शुक्रिया
आभारी हों तुम्हारे
आई हो ज़िंदगी मे
आफ़रीन आफ़रीन

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