सं गी त सुर ताल ल य
*सुर ताल लय संगीत*
21.06.21
*सुर ताल लय संगीत*
संगीत माने हृदय की ही
झनकार.
सुर माने ब्रम्हांडी गुंजने वाले
टनकार.
लय माने सुर व संगीता के
वलयाकार.
हदयवसे व ब्रम्हाड मे वसे,
एकाकार.
सुर,लय,ताल,संगीत ओढते है
हम,
सुर,लय,ताल,संगीत रसग्रहण करते है हम,
सुर,लय,ताल,संगीत रस पान करते है हम,
सुरलय,ताल संगीत को सुनते रहते है
हम,
सुरलय,ताल अपने श्वासनि:श्वास मे रखते है हम .
निसर्गप्रेमी, सुर लय ताल ही जीवन जग ते हैं हम.
इस जनम की ,इश्वर की अमूल्य देनगी है यह देह,
संगीत,सुर-लय-ताला से कृतज्ञ व्यक्त होते है हम,
सुर लय ताल संगीत विना,हे जन-मन-जग अपूर्ण हम,
कोई समझते, कोई ना समझते स्वच्छंद सुरलय ताल संगीत,
नसमझत ही किसे वृहद आधा र देते हे सुरलय ताल संगीत,
देहा के नसनसां मे रक्ता-भिसरित ,सुरलयताल संगीत,
भिज्ञ सुरों लय तालों में ढुढों,आप जीवन के गणीत,
बहका रास्ता जिंदगी का देगी पक्का, म यह सुरताल संगीत.
*विश्व संगीत दिन की कृतज्ञ प्रेमिल मान समर्पण*
सौ. सुलोचना बेलापुरकर.
*अपराजिता*