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फ़र्ज़ी खाता

आये दिन कोई ना कोई रोना रोते मिलता है यहाँ ,कि किसी बदमाश ने फ़ेसबुक पर मेरे नाम का फ़र्ज़ी खाता बना लिया है और अब मेरे नाम से उधार माँग रहा है ,प्लीज़ जब भी ऐसा हो ,ऐसा करने वाले को इग्नोर करें ,उधार ना दें ! ऐसी ख़बरें पढ़तें ही मैं ऐसा लिखने वाले की नादानी ,ऐसा करने वाले की मासूमियत और इस दो कौड़ी की चाल मे फँसकर उधार दे बैठने वालों के गधेपन के प्रति श्रद्धा से भर जाता हूँ !
ऐसी शिकायत करने वाला नादान इस मायने मे हुआ ,क्योंकि ये शिकायत करने का मुद्दा है ही नहीं ! उसे शिकायत करने के बजाय उस जालसाज़ को शुक्रिया कहना चाहिये कि उसने उसे इस लायक़ समझा ,यह माना कि इस आदमी की साख इतनी अच्छी है कि इसकी मैसेंजर पर अपील देखते ही लोग उसके खाते मे पैसे ट्रांसफ़र कर देंगे ! इस बचकाने ठग की इस करतूत से आपको थोड़ा बहुत अंदाज़ा तो हो ही सकता है कि आपके मिलने वालो मे से किसके मन मे थोड़ी बहुत इज़्ज़त है आपकी ! पूरी दुनिया साख बनाने ,उसे आज़माने के पीछे भाग रही है और ये लोग ऐसी बयान बाज़ी कर खुद को ज़माने की तराज़ू मे तौलने के मौक़े का सत्यानाश कर रहे हैं !
अब आईये ऐसा करने वालों पर ,ज़ाहिर है ऐसे करने वाले मासूम है ,नातजुर्बेकार हैं ! उन्हें पता ही नहीं कि दुनिया कितनी शातिर हो चुकी और इसके बावजूद उसे ठगने के कितने कितने नायाब तरीक़े इजाद किये जा चुके ! वे ठगी की गौरवशाली परम्परा से वाक़िफ़ ही नहीं ! वे जानते ही नहीं कि सत्रहवीं शताब्दी से ठगों का देश रहा है ये ! ऐसे ठग जो केवल एक रेशमी रूमाल और सिक्के की मदद से राह चलतों को लूट लिया करते थे ! नटवरलाल जैसे नामी लोग भी हुए हमारे यहाँ ! पर इन सभी ने कभी ,मुझे उधार दे दो वाली टुच्ची हरकत नहीं की !
कुछ साल पहले ही हमारे यहाँ एक स्मार्ट बंदे ने ढाई सौ रूपये मे स्मार्ट फ़ोन बेचने का वायदा कर लाखों लोगों से करोड़ों ठग लिये थे ,आये दिन राजस्थान से कुछ लोग खुदाई मे मिली सोने की ईंट सस्ते मे बेचने के लिये फ़ोन करते ही है और नाईजीरियन भी आये दिन बेवजह किसी अमीर आदमी की लाखों डॉलर की वसीयत मे हमारा ज़िक्र करने के मेल भेजने से बाज नहीं आते ,पर आपने यह बात नोट की होगी ,इन सभी चतुर लोगों ने कभी भी उधार माँगने जैसा पैंतरा नहीं आज़माया !
ये मासूम इस मायने मे है कि ये बिना यह जाने बूझे मेहनत कर रहे हैं कि एक से ठग देख चुका और देख रहा ये देश कभी भी उनकी इस बचकानी चाल मे नहीं फँसेगा ! यह बात भी मेरी समझ से बाहर है जब बाबा बनकर भभूत देकर लाखों ऐंठने का जाना पहचाना ,परखा फ़ार्मूला उपलब्ध है तब उन्हें इस घटिया चाल को आज़माने की क्या ज़रूरत है !
अब आख़िर मे चर्चा उन गधो की तरह शरीफ लोगों की जो ऐसे लोगों को भी उधार दे बैठते है ! ऐसे लोगों से मिलने के लिये बहुत ज़ोर से तमन्नाई हूँ मैं ! ज़ाहिर है ये बेहद नेक ,उदार भद्र या नंबर एक के बौड़म है ! ऐसे सरल ,सज्जन लोग मिलते ही कहाँ है आजकल ! यदि आपने कभी ऐसा किया है तो ज़रूर मिलें मुझसे ! मैं आप से मिलना चाहता हूँ ,इसलिये मिलना चाहता हूँ क्योंकि आप इस काइयाँ दुनिया की उस लुप्तप्राय प्रजाति के हिस्से है जिनसे बड़ी आसानी से ,कभी भी ,बिना ज़्यादा बहाने बनाये ,उधार माँगा भी जा सकता है और मिलने की उम्मीद भी की जा सकती है !

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