आजादी।
हमें तो कोई अंदाजा ही नहीं
क्या करे गुलामी देखी ही नहीं,
लहू नहीं लाखो लाशे बिखरी है
तब जाके चैन की सांस नसीब है।
जय हिंद।
Jay Hind.
हमें तो कोई अंदाजा ही नहीं
क्या करे गुलामी देखी ही नहीं,
लहू नहीं लाखो लाशे बिखरी है
तब जाके चैन की सांस नसीब है।
जय हिंद।
Jay Hind.