आदत
ना जाने वक्त के साथ कब तेरी आदत सी होने लगी थी.....
और
ना जाने क्यूं अब यहीं आदत बदलना चाहती है।
ना जाने कब से तुम्हारा इंतजार होने लगा था.....
और
ना जाने अब क्यूं तेरा खफा भी नहीं होता।
ना जाने कब मेरी आंखो को तेरी चाहत सी हो गई थी..... और
ना जाने क्यूं अब यहीं आंखे तुम्हे नही चाहती।
ना जाने कबसे तुम मेरे दिलमें बसने लगे थे....
और
ना जाने क्यूं अब यहीं दिल तुम्हे निकालना चाहता है।