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उपलब्धि

             "उपलब्धि

लोगों ने देखा है

मुझे हर उपलब्धि पर

झुकते हुए,विनम्र होते हुए

लेकिन, यह तो बाहरी आवरण है।


कहिं भीतर उपलब्धि मिलने पर

चढा लेता हूँ अहंकार का झीना-सा

आवरण जो बाहर से दिखाई नहीं पड़ता है ।


और तो और....

प्रत्येक बार ' उसके' सामने ही

नतमस्तक हो प्रार्थना करता जाता हूँ।

लेकिन,  सफलता मिलने पर

उपलब्धि मिलने पर

भूल जाता हूँ......

और फिर बढ़ा लेता हूँ अहंकार थोड़ा

जैसे कार्य मेरी ही क्षमता से हुआ ..!

@ रामचन्द्र किल्लेदार, ग्वालियर

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