अरे! मैं भी स्पेशल हूँ
अरे! मैं भी तो स्पेशल हूँ !
आज सुबह उठने के बाद से ही उसने रफ्तार पकड़ ली थी.. आज का दिन बहुत व्यस्त रहने वाला है, यह उसे पता था.. सुबह उठते ही कुछ ज़रूरी के फोन किये फिर अपने दैनंदिन काम निपटाए..आज चेहरे पर पैक लगाकर बाल भी धोना थे... दूसरे ही दिन एक मंचीय प्रस्तुति देना थी... उसकी तैयारी करना थी...
सप्ताह के अंत में उसे कुछ सामाजिक गतिविधियों को भी संचालित करना था!
आज घर पर मेहमान भी आने वाले थे, माँ व्यस्त होगी अत: अपने वर्क फ्रॉम के बीच में से एक घंटा निकालकर उसे मम्मी के स्टूडेंट्स को पढ़ाना भी था..
आज शुक्रवार होने के कारण ऑफिस में काम ज्यादा थे.. दिनभर फोन कॉल्स..सारी शीट्स पूरी करते करते शाम के सात बज गए... !
फिर दूसरे दिन के कार्यक्रम की तैयारी की, थोड़ा समय मेहमानों के साथ बिताया...
अंत में फेसबुक पर एक नज़र डाली...कुछ "नॉर्मल" लोगों ने "स्पेशल" लोंगो के लिए खास समय निकालकर जागतिक दिव्यांग दिन संबंधित पोस्ट शेयर किये गए थे! उसके मुँह से निकल पड़ा....
"अरे वाह! आज तो अपना दिन है..! इतने व्यस्त कार्यक्रम में यह याद ही कहाँ रहा कि मैं भी तो स्पेशल हूँ!"
©ऋचा दीपक कर्पे
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