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जीने के रहस्य 18चैप्टर्स

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम- "जीने के रहस्य- 18 चैप्टर्स"

लेखक- एस. पी. भारिल्ल

प्रकाशक- इनविन्सीबल पब्लिशर्स गुडगांव

ISBN-978-93-88333-53-5

          मेरे Vestige कंपनी में काम करने वाले मित्र गणेश खोबरे सरने ये पुस्तक मुझे पढनेके लिये कहा था, लेकीन बहुत दिनोंसे वो पेंडिंग पडा था, क्यूं की मेरा भी लेखन साथ में चालू रहता है | तो मैं समय निकालकर इसे पढ लिया, बेस्ट सेलर्स के दायरे में ये किताब आता है | मैंने आज तक अध्यात्मिक हिन्दी किताबे पडी थी, लेकीन पहली बार ये मोटिवेशनल हिन्दी किताब पढ ली |

               लेखक एस. पी. भारिल्ल सर एक पावरफुल मोटिवेशनल स्पीकर, स्पीच कोच, बिझनेस कन्सल्टंट उच्चशिक्षित व्यक्तित्व है | उनका कार्य देखकर उन्हें पहले 2006 में इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है | अभी पिछले मास में उन्हें समाज में बदलाव लाने की कोशिश के वजहसे 'Champion of Change' इस पुरस्कारसे भी महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल महामहीम भगतसिंह  कोश्यारी ने सम्मानित किया है |

               इस किताब में कुल 19 चैप्टर्स है, लेकीन लेखकने अपनी अनूठी शैली में 18 चैप्टर्स बहुत खूब लिखे है | वो बीच-बीच में अॅंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करते है, जो बहुत कॉमन और पॉप्युलर है | उनके पूरी कहानी के पात्र विजय, ललिता, चेतन, प्रिया, राजा आॅंचल और रश्मी है | इस किताब में लेखक ने  मे सपना क्या है? सपनों की परिभाषा क्या होती है? उसे अपने जीवन में कैसे साकार करे? प्रतिकूल परिस्थितीयों में उसे कैसे टक्कर देकर अनुकूल परिस्थिती कैसे लाये? हर हाल में कैसे सकारात्मक बने रहे? अब जीवन में कठीणाईयाॅं आ रही है तो उसका अध्यात्मिक संबंध कैसा है? ये बहुत ही विस्तृत तरीके से लेखक ने अपने कहानी के माध्यम से समझाया है | सफलता के लिए कौनसी 9 चीजे अपने पास रहनी जरुरी है, ये लेखक ने बतायी है |

Dream(सपना)+Date(तारिख)= Goal(लक्ष्य)

ये फाॅर्मूला भी वो बताते है | वो एक बार लिखते है- "Knowledge is not  power but, applied knowledge is  power, applied knowledge is not  power but immediate applied knowledge is power."

                लेखक अपनी बात बताते समय बडे-बडे वैज्ञानिक और लोगों का संदर्भ जरूर देते है, इससे हमको पुस्तक पढते समय प्रेरणा मिलती है | वो एक कहानी में लिखते है- 'The art to resolve the challenges is the success.'(चुनौतियों का समाधान करने की कला ही सफलता है |)

जेम्स एलन ने कहा था,'आप वही बनते है, जैसा आप सोचते है |' लेखक अपने पात्र के माध्यम से लिखते है- 'सफल लोग जन्मते नहीं, बनते है|' लेखक मुंशी प्रेमचंद का उदाहरण देते है कि वह बोलते थे- 'अतीत कितना भी दुखद क्यों न हो पर उसकी स्मृतीयाॅं हमेशा मधुर होती है |' इस किताब में लेखक ने दुनिया के 4 तरह के दुखी लोगों का जिक्र किया है, जैसे 1)जो अपने ही दुखों से दुखी है |

2)जो दूसरों के दुखों से दुखी है |

3)जो दूसरों के सुखों से दुखी है |

4)जो खामखा ही दुखी है |

              हर वक्त अपने वर्तमान स्थिति का वर्णन दुसरे लोगों को बताने से कुछ नहीं होता, इसिलिए लेखक ने अल्बर्ट हब्बार्ड का उदाहरण देते हुए लिखा है-'कभी सफाई नहीं दे क्यूंकि आपके दोस्तों को उसकी आवश्यकता नहीं होती है और आपके दुश्मनों को विश्वास नहीं होगा |' लेखक किताब में लिखते है एक अच्छी बात- 'No admission without permission'. (बिना आज्ञा के अंदर आना मना है |) अपनी अनूठी शैली में वो लिखते है-'Tit for tat( जैसे को तैसा) की जगह

Tit for as it is( जैसे को वैसा करना|') जैसा व्यवहार तुम करते आ रहे थे, वैसा ही मधुर व्यवहार रखना | सामने वाले के व्यवहार के कारण अपना व्यवहार मत बदलना | देखो, क्या अध्यात्मिक सोच लेखक ने बताई है, क्यों कि बदला दिखाना अच्छी बात नहीं है |

वह आगे लिखते है- 'लोगों को माफ करना और लोगों से माफी मांगना सीखो |' जो महान बनना चाहता है वह पहले माफी मांग ले और दूसरों को माफ कर दे |

                   अपने पात्र चेतन के माध्यम से लेखक लिखते है- "लोगों में कुछ अच्छा देखकर कभी-कभी उनकी प्रशंसा भी करने की आदत डालो | कुछ काॅम्पलीमेंट्स देने की आदत डालो, यह तुम्हारी आदत में शामिल हो जाना चाहिए |" ये संदर्भ लिखते हुए लेखक ने मुंशी प्रेमचंद का एक कोटेशन रखा है- "स्वार्थवश किसी की प्रशंसा करना चापलूसी है और नि:स्वार्थ भाव से किसी की प्रशंसा करना उसकी वास्तविक प्रशंसा है |" मुझे लगता है आजकल लोगों को इसकी ज्यादा जरूरत है, क्यूं कि वो किसी कारण के किसी से भी द्वेष या ईर्ष्या करके अपनी अच्छी राय देना टाल देते है, लेकिन यह ठीक नहीं है | आगे जाने वाला हर हाल में आगे ही जाता है, क्यूं कि उसके साथ अपनी स्वयंप्रेरणा काम करती रहती है | लेखक ने यह बात विलियम आॅर्थर वार्ड का एक वाक्य-'चापलूसी करना सरल है, प्रशंसा करना कठिन |' ये लिखा है |

                 लेखक बोलते है कि अपनी दृष्टी, अपनी सोच हर बार सकारात्मक रखें, ये बात उन्होंने केवल एक सीधा उदाहरण के द्वारा समझाया है जैसे- 'बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखाती है |' पुस्तक में अपने पात्र के माध्यम से लेखक लिखते है- "अगर तुम फालतू चीजों को भूलना सीख जाओगे तो उपयोगी बातों को याद रखने की स्मरण शक्ति अपने आप बढ़ जायेगी | साथ ही, कुछ नया कर गुजरने की शक्ति भी आ जाएगी |" इसिलिए लेखक ने अल्विन टोफलर की कहावत लिखी है-"21वीं सदी के निरक्षर वे नहीं होंगे जो पढ़ना लिखना नहीं जानते, बल्कि वे होंगे जो सीखना, भूलना और पुनः सीखना नहीं जानते |"

              लेखक अपने पात्र चेतन के माध्यम से लिखते है- 'हमें स्वकेंद्रित होना है, परकेंद्रित नहीं |' वो आगे ये भी लिखते है-"किसी से भी संबंध खराब होने के मात्र दो ही कारण है- एक उपेक्षा और दूसरी अपेक्षा |"

                      लेखक अपने सामने एक वैज्ञानिक विश्लेषण बया करते है-" हमारा दिमाग 70- 80% अतीत की बातों में उलझा रहता है | 19- 20% भविष्य की बातों में एंगेज रहता है एवं मुश्किल से 1% वर्तमान में रहता है |"

                  लेखक पुस्तक में विन्स्टन चर्चिल का कहा बया करते है- "आशावादी को हर खतरे में अवसर दिखता है और निराशावादी को हर अवसर में खतरा दिखता है | " एक कवि का संदर्भ देते हुए लेखक लिखते हैं- सुख आते हैं दुख आते हैं

इन आते जाते सुख दुख में हम मस्त रहते हैं |" लेखक बोलते हैं आपके जीवन में जो कुछ हुआ उसे स्वीकार करो और आगे निकलो "That is take it easy and let's celebrate". लेखक लिखते है- "आपका ड्रीम स्ट्रांग है, विजन पावरफुल है तो कितने भी चैलेंजेस आए तो एक दिन आप कामयाब होंगे ही |"

                      पुस्तक का शीर्षक 'जीने के रहस्य-18 चैप्टर्स' है, लेकिन पुस्तक में तो कुल 19 चैप्टर्स है, उसके बारे में लेखक पहले ही लिखे हैं कि, आपको 18 चैप्टर्स पूरे पढ़ने के बाद ही 19 वाला चैप्टर पढ़ना है, वो एक पहेली है इसीलिए मैं सब पाठक को अनुरोध करता हूं कि ये किताब आप जरूर पढ़िए और अपना लक्ष्य प्राप्ति के लिये सकारात्मक मनोबल बढायें |

©®-विश्वेश्वर कबाडे उर्फ शुभसंतती(नवोदित कवी,लेखक),अणदूर

भ्रमणध्वनी-9326807480

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