रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

कल, आज और कल

कल, आज और कल


एक तस्वीर देखी 

और मुझे वो याद आ गया

और याद आने लगा

उसके साथ बिताया 

हर एक लमहा

उस एक लमहे में 

जी लिये मैंने

फिर वो सारे पल

लेकिन.... 

अगले ही पल ख़याल आया

कि जिस तस्वीर को देख

मुझे याद आ गया वो

उसी तस्वीर को देख

उसे याद आया होगा कोई और.... 

मेरा उसे याद करना

और उसका किसी और को

मेरा उसे प्यार करना 

और उसका किसी और को... 

कुछ भी तो नहीं बदला... 

सब वैसा ही है,..... 

कल,आज और कल...... 


©ऋचा दीपक कर्पे



टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु