अगर कृष्ण न होते तो!
कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है,
जगत में कृष्ण न होते तो क्या होता!?
और मन मचल मचल मुझसे कर कहता है
कृष्ण ना होते तो जन्म न देने वाली माँ
की ममता को भला उसका सन्मान कोन दिला पाता!?
कृष्ण न होते तो धर्म और अधर्म के बीच
बनी रेखा समाज को कौन दिखाता!?
कृष्ण न होते तो मित्रता का अतूट उदाहरण
कृष्णअर्जुन गाथा हमे कोन समझाता!?
कृष्ण न होते तो उनकी मित्रता की शक्ति से
दरिद्र सुदामा का घर भला आबाद कैसे हो पाता?
कृष्ण न होते तो अपने हि परिवार के द्वारा अपमानित हुई
द्रुपद कन्या की रक्षा करने वाला कोई सखा न होता।
कृष्ण न होते तो धृत सभा मे हारे
पाण्डु पुत्रो की भुजा में विजयी
होने का साहस न होता।।
कृष्ण न होते तो शायद
मामा भांजे का संबंध
थोड़ा कम कलंकित होता।
मगर जो कृष्ण हि न होते तो
नजाने मेरे जैसी कितनी हि
स्त्रियों के दिल मे बसा प्रेम
उनके बिना दिशाविहीन रह जाता!!
कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है ,
जगत में कृष्ण न होते तो क्या होता!?