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ख्वाहिश

अब जो तू आ ही गया है, ऐ बाईस.. 

सुन ले, मेरी बस इतनी है ख्वाहिश

रोज सुबह आंगन में चिड़िया चहकती रहे

घर में चंपा चमेली रातरानी महकती रहे

मन में अतिथि देवो भव की भावना रहे

फोन पर नही, पडोसी मिलकर नमस्ते कहे

अखबार का हर पन्ना चेहरे पर मुस्कान लाए

और न्यूज़ चैनल खुशियों के समाचार सुनाए

हर बेटी स्कूल जाए आसमान में उड़ान भरे

भ्रष्टाचारी कानून से ना सही, ईश्वर से तो डरे

मुहल्ले के बच्चे मिलकर खेलें शोर मचाएँ 

सरहद पर सैनिक भारत माँ की लाज बचाएँ

हिमालय से हिंद महासागर तक सब एक रहें

सारे संसार में शांति की धारा बहे... 

मैं अदनी-सी सही लेकिन बड़ी है ख्वाहिश

पूरी ज़रूर करना ऐ 2022...!! 


©ऋचा दीपक कर्पे


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