सोना का मूषक
सोना का मूषक
सोना रोज की तरह रात के 9 बजे दादी के पास आई और कहानी सुनने के लिये बिस्तर पर दादी के साथ लेट गई, दादी को पता ही था कि सोना केवल मूषक की ही कहानी सुनती है क्योंकि मूषक उसके प्यारे गणपति बाप्पा का वाहन है, जो हर साल उसके घर बाप्पा को लेकर आता है । दादी ने सोना से कहा आज तुझे "पतंग की कहानी " सुनाती हुं। सोना बोली- नही मैं तो मूषक वाली ही सुनती हूं न दादी? आप तो वही सुनाओ ।
फिर कहानी शुरू हुई । आज तुम्हारा छोटा मूषक सोच रहा था कि मम्मी तो कह कर गई है आज ठंड ज्यादा है ,बाहर मत जाना ,अपने दोस्तों को यहीं बुला लेना और घर पर ही खेलना । मूषक ने अपने दोस्त चिकु और पिनू को घर पर बुलाया और लगे खेलने, पकडा -पकडी, आंखमिचौली । थोडी ही देर में खेलते हुए चिनू बोला - दोस्त, आज मैने आते समय मीनू को देखा वो एक पुराने जाल का टुकडा गुस्से से कुतर रही थी । मीनू "- चिकु, मूषक और पिनू की पक्की दोस्त है । उसे गुस्सा किस बात पर आया होगा? ये सोच कर तीनों दोस्त बाहर आ गये , बाहर आकर मीनू को ढूंढ़ते हुए मीनू के पास पहुंच गये दोस्तों को देख मीनू को और ज्यादा रोना आने लगा । मूषक के पास आज जेब में चॉकलेट थी, उसने मीनू को खाने के लिए दी , अब मीनू का गुस्सा भी उतर गया था तो चिनू ने उससे गुस्से का कारण पूछा, मीनू बोली आज मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है , क्यों कि अब कोई भी हमें घर पर नहीं बुलाते, अपने बाप्पा भी हमें अकेले छोड़ कर पता नहीं कहां चले जाते हैं घर में भी सबको बाप्पा का पता नहीं मालूम, मां कहती है आ जायेंगें - पर कब ? बस इसी बात पर तो आ रहा है गुस्सा।
अरे तो तुम मेरे घर क्यों नहीं आयी, हम सब खेल रहे थे पर तुम्हारे बिना खेल कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। चलो अब खेलते हैं मीनू , सभी एक साथ बोले तो मीनू भी रोना भूल गयी सब फिर से खेलने लगे । भागम-भाग ,कुदम -कूद इसी धक्कम -धक्के के खेल में सभी को बहुत मजा आता था ,मीनू बोली अरे मुझे याद आया, आज तो घर पर भाई ने अपने लिए खाने की बहुत सारी चीजें रखीं थीं, चलो हम सब मिल कर खाते हैं । सभी दौड कर मीनू के घर पहुंच गये , मीनू ये तो बहुत सारा नाश्ता है, और मजे से सब खाने लगे, नारियल का टुकडा मूषक कुतर रहा था, चिनू के पास गुड़ का टुकडा था , मीनू बादाम खा रही थी, पिनू के हाथ खजूर का टुकडा था, सभी मजेदार नाश्ते को मजे लेकर खा रहे थे, कि एकाएक मूषक बोला दोस्तों जल्दी खत्म करो बाहर शायद कोई नगाड़े बजा रहा है, चलो बाहर चलते है, पर मीनू बोली नहीं पहले पुरा नाश्ता खतम करना पड़ेगा, नाश्ता खतम होते ही सभी बाहर भागने लगे तो मीनू ने जोर से कहा - ये क्या, ये सब साफ कौन करेगा । चलो, आओ सब मिल कर करते हैं सफाई । सभी बाहर आए, तो देखा कि नगाडों की आवाज़ तो सामने ही आती हुई दिख रही थी ।
ये देखकर मूषक बोला -"दोस्तों ये मोरया की आवाज़ करते हुए ढोल बजा रहे है, मीनू इसीलिए तुम्हें लग रहा था कि कोई हमें घर नही बुलाता है । चलो चलो जल्दी नहा कर बढीया तैयार होकर अपने अपने गणपति बाप्पा को शान से हम सभी घरों में उत्सव के लिए लेकर आते हें , और सभी दोस्त दौड़ते हुए घर गये बढीया सजधज कर अपने गणपति बाप्पा को अपनी पीठ पर सवारी कराने के लिए सुसज्जित होकर बैठ गये । जुलूस आते गये और बाप्पा भी हर घर, मोहल्ले, कारखाने एवं आफीस सभी जगह विराजमान हो गए। और सभी जगह "गणपति बाप्पा मोरया " की आवाजें गुंजने लगी। मूषक और उसके सभी दोस्त अपने प्यारे बाप्पा के साथ लड्डू , मोदक, पेड़े और भी अनेक प्रकार की मीठाईया चखने में व्यस्त हो गये। दादी ने सोना से पूछा - अच्छी लगी कहानी ? पर सोना तो हमेशा की तरह कब सो गयी पता ही नही चला, अब दादी भी सोने के लिए लेट गई ।