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नैना दो प्रीत भरे

आज झरे अंगना में पीपल के पात हरे

झुके झुके जाएं सखी बादरवा नीर भरे


चली रे पवन बहक बहक

जियरा गया लहक लहक

लचक उठी डाल डाल

फुलवा गए महक महक


कभी मटक चमके उधर कभी मटक दमके इधर

कैसी रे हाय बिजुरिया दुल्हन सी नखरे करे


पियवा परदेस बसे

मन को विरह पीर डसे

बोल पपीहे के मधुर

आज तो ना जाएं सहे


बरखा बहार सखी तन मन का चैन हरे

बाट तकें साजन की नैना दो प्रीत भरे


रह रह खड़काए द्वार

छेड़े नटखट बयार

चौंक चौंक जाए जिया

आए री सजना हमार


पल पल की रुनक झुनक चुगली सी आज करे

कह दे कोई कंगना से पापी ना शोर करे


               विमल 'निशात'

         (vimalnishaat10@gmail.com)

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