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किसकी राह देखते हो?

चलो समेट लो अपने आंसू,किसकी राह देखते हो?

हसरतों की इमारत के लिए ,किसकी राह देखते हो?

झांको कभी आईने में,खुद को ही करीब पाओगे,

 उठ कर फिर संभलने को,किसकी राह देखते हो?

ये जो मन की तंज गलियों में, खुद को बंद रखा है

खुली हवा में बाँहें फैला दो, किसकी राह देखते हो?

क्या हुआ जो यार भी ,आज रक़ीब हो चले तुम्हारे,

अपने दम पर जीने को, किसकी राह देखते हो? 


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