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वतन से प्यार है

क्या हमें हक़ है कि हम ये कह सकें

हाँ हमें अपने वतन से प्यार है


मंदिरों में क़ैद है परमात्मा

सो चुकी है जैसे अंतरात्मा

दिल में लालच, स्वार्थ का अंबार है

लूट है हर ओर मारामार है

ज़िंदगी काे ज़िंदगी दुश्वार है

कैसे कहदें हम, वतन से प्यार है


टूटते हैं पुल बांध भी ढह रहे  

भ्रष्टाचाराें की कहानी कह रहे

सरहदों पर वीर कुरबां हो रहे  

और अंदर मौज में गद्दार है

हादसाें की हर तरफ भरमार है   

कैेसे कहदें हम वतन से प्यार है


खाे गया इख़लास और चैनाें- अमन

तंग है फ़िरका - परस्तों से वतन

कैसे महकेगा मोहब्बत का चमन

रंजीशें हैं ज़ुल्म है तक़रार है

कैसे कहदें हम वतन से प्यार है


अब तो रिश्तों में भी कोई दम नहीं    

कोई मां बेटीे नहीं बहन नहीं

शक्ति रूपा मां के इसी देश में    

लाज का आंचल ही तारतार है 

देखकर हैरान है शैतान भी

हर तरफ इंसानियत लाचार है

कैसे कहदें हम वतन से प्यार है


आओ हम सब एक हो जाएं यहाँ

प्यार की लिखदें अनूठी दासतां

नाज़ से देखे हमें हिंदाेस्तां

तब कहें हम हाँ वतन से प्यार है  

हाँ हमें अपने वतन से प्यार है


विमल "निशात"

Vimalnishaat10@gmail.com

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