कविता
मुठ्ठी भर शब्द उड़ेल कागज़ पर सोचा रच दी एक कविता मैने,
एक कविता भीतर उमड़ती हे ,
घुमड़ती हे ,
कुछ कहती हे ,
शब्दशब्द रीता(खाली)सा, अनमना सा ,
साँसे ले रहा
कुछ कहना चाह रहा..............
पर...................
घुटती सांसे,
सुनी आंखे ,
खाली खाली सा तन मन
स्तब्ध है ,
अविचल है..........