रंग दें
आओ एक ही रंग का खूब गुलाल लें,
और मल दें ज़रा सा जाति-पांति के चेहरों पे।
थोड़ा गुलाल ऊंच-नीच के मुंह पे भी लगा दें।
रंग दें दोस्ती-दुश्मनी के मुखड़े भी।
खुशियां-गम भी कर दें एक सरीखे।
दिखें कमज़ोर-शक्तिशाली भी एक समान।
और
फिर भी कुछ बच जाए तो उसे सम्भाल कर रखना मत।
बिखेर देना देश के बच्चों के ऊपर।
कर देना उन्हें भेदभाव से दूर।
और देखना बन जाएंगे वे ही
अगले खूब सालों का खूब गुलाल।