होली के रंग
होली के रंग
हो गए हैं बदरंग ।
अब चढ़ते नहीं हैं
क्योंकि हम लोगों ने
चढा लिए हैं
अपने चेहरों पर स्वार्थ, ईर्ष्या
और भेदभाव के गहरे काले रंग ....!
@ रामचन्द्र किल्लेदार, ग्वालियर
होली के रंग
हो गए हैं बदरंग ।
अब चढ़ते नहीं हैं
क्योंकि हम लोगों ने
चढा लिए हैं
अपने चेहरों पर स्वार्थ, ईर्ष्या
और भेदभाव के गहरे काले रंग ....!
@ रामचन्द्र किल्लेदार, ग्वालियर