रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

माँ, (एक शब्द या एक सोच)

ईश्वर का रूप जिसमें समाएं, वह हैं माँ
ममता की रूह जिसमें सजे, वह हैं माँ
सहजता की परिभाषा जिसमें रचे, वह हैं माँ
अनुशासन की मूर्ति जिसमें प्रकटे, वह हैं माँ......(१)

परिश्रमो का प्रतीक जिसमें दिखे, वह हैं माँ
जीवन के अंधेरे से राहत दिलाएं, वह हैं माँ
ख़ुद का पानी ख़ुद ना पीने वाली, नदी हैं माँ
परोपकारिता का शब्दरूप हों जिसमें, वह हैं माँ......(२)

पेड़ समान फल दे सके, वह हैं माँ
तपती धूप में छाव दे सके, वह छाता हैं माँ
विपरीत परिस्थितियों में भी अविचलित रहे, वह हैं माँ
बचपन से ही समायोजना जानें, वह हैं माँ......(३)

प्यार का प्रतीक जिसमें हो, वह हैं माँ
सपने को सच में बदलने की प्रेरणा दे, वह हैं माँ
अपने प्रेम से मकान को घर बनाएं, वह हैं माँ
कर्म और फल का उदाहरण बने, वह हैं माँ......(४)

प्रेम का अनोखा मिलाप हो, वह हैं माँ
पूर्ण ब्रम्हांड जिनमे समाएं, उनमें से एक हैं माँ
कठिनाई में पार्थसारथी जैसा साथ दे, वह हैं माँ
समय समय पर सही राह दिखाएं, वह हैं माँ......(५)

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु