सांता क्लॉज की प्रतीक्षा
सान्ताक्लाॅजकीप्रतीक्षा
शरीर को कंपकंपाने वाली ठंड और धूपका कहीं नामोनिशां नही ,मै बस की प्रतीक्षा में खड़ी इन्तज़ार मे कि कब समय पर बस आए और समय पर अपने गंतव्य पर पहुंच सकूं। बस स्टैंड पर भारी भीड़ को देखकर हिम्मत जुटाने का प्रयास कर रही थी अचानक मेरी निगाह एक निरीह सी दिखनेवाले एक स्त्री पर पडी ।
वह घबराई सी लोगों की भीड को देख रही थी उसकी निगाह भी मुझसे मिली पता नही किस आशा से वह मेरे पास आई और बोली"मैडम एम्स बस जाती है?"
मैने कहा " हाॅ अभी एम्स वाली बस आजाएगी आपको गेट पर ही उतारेगी।"
उसने लम्बी उसांस ली और मेरे पूछने से पूर्व ही कहने लगी, " मैडम जी मेरा बेटा दिल्ली पढने आया था फुटबाल बहुत अच्छा खेलता है।पता नही किसकी नजर लग गई दो दिन पहले खबर आई कि कोई बाइक वाला उसे टक्कर मारकर भाग गया।पुलिस वालों ने उसे अस्पताल में भर्ती किया उन्होने ही हमे खबर दी।तब से वह बेहोश है। डाक्टर कह रहे हैं अभी हफ्ते भर हम देख रहे है तभी बता सकेगे कि कैसे सुथार हो सकेगा। अचानक ही उसने व्याकुल हो मेरा हाथ पकड लिया ऑखो से बहते हुए आंसुओं को रोक
वह पूछने लगी , मेरा बेटा ठीक होजाएगा।
मैने उसे सान्त्वना देते हुए कहा ,"हाॅ हाॅ ठीक हो जाएगा फिक्र न करो "।जब तक मै और कुछ कहती मेरी निगाह सामने रुकी बस पर पडी 516 अरे यह तो ऑफिस ही उतारेगी मै उसका हाथ छुडाकर भागी कि कैसे भी बस पर चढूं ताकि समय पर पहुॅच सकूॅ।
आखिर किला फतह कर लिया ।एक उतरने वाले यात्री ने अपनी सीट मुझे दी बैठते ही मेरी निगाह में घूम गया उस स्त्री का चेहरा जो इस महानगर मे बच्चे की ममता मे डूबी सान्त्वना के दो शब्द सुनने के लिए तरस रही थीऔर हम
अपनी दुनिया मे इतने डूबे कि हम दो मिनट खडे होकर उसके दर्द को बाॅट नही सकते।मन ग्लानि से भर गया।
इतने मे ऑफिस का स्टाॅप आगयाउतर कर ऑफिस की ओर भागी।वहाॅ सब एक दूसरे को मेरी क्रिसमस कह रहे थे अचानक मन की गहराई
से यह इच्छा जागी कि काश सान्ताक्लाज वाली धारणा सही हो जाए और उस अनजानी माॅ की झोली खुशियो से भर दे।
श्रीमतीरतन रैना