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शापित भूत


राखी एक मेहनती व मददगार लडकी थी। वह सबकी मदद करती रहती थी। उसकी सहेली नेहा उसे ये करने से रोका करती व खुद भी नहीं करती। एक बार उनका कॉलेज पिकनिक जा रहा था, तो वे दोनो भी गई। रास्ते में उनकी बस खराब हो गई, तब वे वापस आने को थे। उन्हें बस ठीक करवाने इंतजार करना पडा व रात वही पास एक मंदिर के बरामदे में गुजारनी पडी। सभी सो रहे थे। अचानक आधी रात को राखी को लगा कि उसे कोई बुला रहा है। उसने यह बात नेहा को बताई। नेहा बोली यहां अंधेरे में तुम्हे कौन बुलाएगा, भूत होगा सो जाओ और वह सो गई। इधर राखी को फिर आवाज आई। तब वह उठकर देखने गई। सच में भूत ही था। वह बोला डरो नहीं मै इस मंदिर में झाडू लगाता था। मेरे मरने के बाद भी मेरी आत्मा यहां झाडू लगाती, यह एक साधु के दिए श्राप की वजह से था, तब से मै इस योनि में भटक रहा हूं। मैने साधु बाबा से माफी मांगी। तो उन्होने कहा जब एक मददगार लडकी राखी यहां आएगी वह मंदिर में झाडू लगाकर वह झाडू तुम्हें दे देगी, तो तुम्हे इस योनि से मुक्ति मिलेगी। अब तुम मुझे मुक्ति दिला दो। राखी ने वैसा ही किया व जैसे ही उसने भूत को झाडू दी उसे मुक्ति मिल गई। उसने राखी को धन्यवाद दिया। राखी पुनः जाकर सो गई व सोचने लगी चलो आज कुछ अच्छा काम किया।
जयश्री गोविंद बेलापुरकर हरदा

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