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आनंद


*आनंद*


आनंद भक्ति में है

आनंद शक्ति में है 


आनंद भीड़ में भी है

आनंद तनहाई में भी है


आनंद आध्यात्म में है

आनंद प्रपंच में भी है


बसंत में आनंद है ही

लेकिन पतझड में भी है..


आनंद फूलों की खुशबू में

धूपदीप की गंध में

मिट्टी की सोंधी महक में

और पक्वान्नों की सुगंध में है...


आनंद CCD की महंगी कॉफी में है

तो वह अदरक वाली चाय में भी है


आनंद रंगीन फूलों में

तितलियों के पंखों में

बर्फ की सफेदी में

और इंद्रधनुष के रंगों में है


आनंद पंछियों के गाने में भी है

और नवजात के रोने में भी

आनंद कुछ खोने में भी है 

और मनचाहा पाने में भी


आनंद खुली आँखों से सपना देखने में है

और उस सपने को पूरा करने में भी...

आनंद अपनों के जीत जाने में है

तो वह अपनों के लिये हार जाने में भी है


आनंद पहाडों की चोटियों में

बलखाती नदियों में

समुंदर की लहरों में

और चमकती रेत में भी है..


आनंद पर्वों में त्योहारों में है

हँसी की फुहारों में है

किस्सों में बातों में है

मीठी सी यादों में है..


आज में है कल में है....

ढूँढो तो सही....

आनंद पल पल में है....

पल पल में है...


ऋचा दीपक कर्पे

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