रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

हिंदी प्रेम

#लघुकथा
नीलम अपने पाँच साल के बेटे पार्थ के साथ कुछ दिनों के लिए मायके आयी हुई थी। गाँव की खुली हवा का दोनों आनन्द ले रहे थे। नीलम के माता पिता भी दोनों से मिलकर बेहद खुश थे। पार्थ अंग्रेजी मीडियम में पढ़ रहा था, इसीलिए नीलम उससे बात करते वक्त बीच-बीच में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करती थी। वैसे भी शहरों में अंग्रेजी बोलने वालों को ज्यादा पढ़ालिखा समझते है। नीलम को अब आदत ही हो गयी थी; हिंदी इंग्लिश याने हिंग्लिश में बात करने की। नीलम के माता-पिता गाँव मे रहने वाले सीधे-साधे लोग थे। उन्हें दिखावा करने की आदत नहीं थी। हालांकि वो भी पढ़ेलिखे ही थे।

एकदिन नीलम की माँ ने पार्थ से पूछा "सेब खाओगे?" वो कुछ समझ नहीं पाया और उसने नीलम की ओर देखा। नीलम ने समझाया, "नानी 'ऍपल' खाओगे क्या पूछ रही है?" तब उसने फटाक से "हाँ" कह दिया। तब माँ ने नीलम को समझाया, "जमाने के साथ चलने के लिये उसे अंग्रेजी सिखाना तो ठीक है मगर अपनी मातृभाषा भी तो उसे सिखाया करो। वरना कल को उसे हिंदी समझ में आएगी ही नहीं। पहले तो तुम्हे अपनी भाषा पर प्रेम और गर्व होना चाहिए। तभी तो तुम आगे उसे अपनी हिंदी भाषा पर प्रेम और गर्व करना सिखाओगी।" नीलम को अपनी गलती का एहसास हो गया।
© राधिका गोडबोले

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु