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बचपन

                       बचपन

निराकार का रूप झलकता बचपन तेरी आंखों में 

एक अनूठी काव्य सुधा सी मीठी-मीठी बातों में,


छोटे-छोटे सुख-दुख तेरे नन्ही मुन्नी इच्छाएं 

जिज्ञासा की मैना फुदके मन की नन्ही शाखों में,


फूल पंखुरी सा कोमल तन भ्रमर सी तुझमें चंचलता

ऐसा मीठापन ना पाया थाली भरे बताशों में, 


तू प्रथम दिव्य सौगात, जीवन की समस्त सौगातों में.


विमल गायकवाड

(vimalnishaat10@gmail.com)

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