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छोड़ो इन बातों को

कुछ दिनों से निर्मला उदास सी थी। सदा चहकने वाली निर्मला गुमसुम सी रहने लगी। नवीन की अपने व्यवसाय सम्बन्धित मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं। 

इधर कुछ दिनों से नवीन की व्यस्तता अधिक हो गई थी। आयकर विभाग का छापा पड़ने के बाद नवीन का निर्मला से वार्तालाप भी कम हो गया। छापे के दौरान जब्त हुई नकदी, ज्वेलरी और अन्य सम्पतिओं को छुड़वाने की रणनीति बनाने और कारण बताओ नोटिस से निपटने के लिए वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के दल से बातचीत करने में नवीन व्यस्त रहने लगा। 

इस व्यस्तता के चलते नवीन ऑफिस से देर रात घर लौटता। निर्मला से वार्तालाप भी नगण्य था।

निर्मला जिसे अपनी सम्पति समझती थी, बैंक बैलेंस और उसकी नकदी आयकर विभाग ने जब्त कर ली। एक झटके में सब कुछ जब्त करके ले गए या फिर उनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी।

नौकरों की कानाफूसी उसके कानों को सुनाई दे ही गई। सारा काला धन था, अब तो जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी। कुछ इसी तरह की बातें उसकी किट्टी पार्टी की मेंबर के मुँह से सुनी तो उसको रोना आ गया और घर से निकलना छोड़कर अपने कमरे में सीमित हो गई।

कुछ दिन पश्चात नवीन रविवार के दिन घर पर ही था।

“क्या बात है, कुछ उदास सी दिख रही हो? लंच डाइनिंग टेबल पर भी नहीं किया?”

“यह क्या हो गया? मैं कभी सपने में सोच भी नहीं सकती थी।

“अगर तुम छापे के बारे में सोच रही हो तब सोचना बन्द कर दो। यदि कोई और बात है तब कहो।”

“बात छापे की ही है। नौकर दबे स्वर में चटखारे लेकर बात कर रहे हैं। किट्टी पार्टी में मेंबर की खूँखार नजरों और व्यंग्यात्मक बातों से कलेजा छलनी हो जाता है।” 

“यह बड़े व्यापार का एक हिस्सा है। छापे पड़ते रहते हैं। लाभ का एक हिस्सा हमेशा छापों से निपटने के लिए हम अलग से रखते हैं। तुम छोड़ो इन बातों को, प्रतिद्वंद्वी जलते हैं। वे शिकायत कर देते हैं। उनको हमारी तरक्की से जलन होती है।”

“वो लोग कैश और ज्वेलरी ले गए हैं?”

“अधिकतर वापस आ जाएगी। तुम चिन्ता मत करो। सब मालूम हो गया है, किसने शिकायत की है। उनसे भी निपट लेंगे। तुम इन बातों पर अधिक सोचो मत।”

“मेरा तो लोगों की बातों ने भेजा फ्राई कर रक्खा है।” निर्मला गृहणी थी, उसे व्यापार के दाँव पेंच नहीं मालूम थे। नवीन ने व्यापार के सारे घाट घूमे हुए थे। उसने पत्नी निर्मला को आश्वस्त किया।

खैर निर्मला ने किट्टी पार्टी से दूरी बना ली। वह अन्य सदस्यों की व्यंग्यात्मक कलेजा चीरने वाली बातों से आहत थी।

नवीन को मालूम था, छापे से व्यापार पर कोई असर नहीं होता। बिक्री तो दस्तूर चलती रही। उसने व्यापार का ऐसा दाँव खेला, उसके प्रतिद्वंद्वी आँख मलते रह गए।

नवीन ने अपने उत्पाद के दाम कम दिए। फलस्वरूप बिक्री में जबरदस्त उछाल हो गया। जो प्रतिद्वंद्वी छापे के बाद नवीन का पतन देख रहे थे, स्तब्ध रह गए। नवीन पर व्यंग्य करना छोड़कर अपना व्यापार सम्भालने में जुट गए।

कुछ दिनों में वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की टीम ने जब्त ज्वेलरी छुड़वा ली।

ज्वेलरी वापस मिलने पर निर्मला के चेहरे की रौनक वापस लौट आई। 

अगली किट्टी पार्टी में निर्मला चहकती हुई अपनी ज्वेलरी का प्रदर्शन कर रही थी। जहाँ पहली की पार्टी में वह सुनती थी, आज लगातार वह सुना रही थी।

“मुझे तुम्हारी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैंने तुम्हारी बातों को नहीं सुनना है। तुम मेरी सुनो। मुझे सब मालूम है, किसने हमारी शिकायत की थी। अब उन सबका बैंड बजा समझो।”

नवीन की सलाह से निर्मला ने दूसरों की बातों पर सोचना छोड़ दिया और अपनी बातों से दूसरों का भेजा फ्राई करना आरम्भ कर दिया।

 

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