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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति
आ गई संकरांत,
हो आ गई संकरांत,
चलो मिल कै बुड़की लगा अइए।
संगी साथी सब बुड़की लगा अइए। खिचड़ी कौ त्यौहार मना अइए।  
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बांद लै चलो कंबल औ गडुआ। 
गड़ियां घुल्ला, हो तिल के लड़ुआ,
दान करे और हवन कर चलें,
बांटें और खुद भी खा अइए।
खिचड़ी बना कै खा अइए,
हो बुड़की लगा कै आ जइए।
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आ गई संकरांत,
हो आ संकरांत,
हो बुड़की लगा कै आ जइए।
चलौ अलाव लगा कैं ताप अइए। 
बैठ कें मोटर गाड़ी औ ट्रेनन में आज,
चलौ संगम पै बुड़की लगा अइए।
 हो गंगा मईया में बुड़की लगा अईए।
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बुड़की लगावे के पैलें कर लेओ तैयारी,
तिल उबटन मल कैं नहा अइए।
चाट पकौड़ी औ भजिया मंगौड़ी
मेला में फुलकी खा अइए।
हो आ गई संकरात,
हो आ गई संकरात,
चलौ झटपट बुड़की लगा अइए।
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बुड़की कौ मेला लगो
बुड़की कौ मेला,
मेलैं जा के भवानी खौं,
शापिंग करा अइए।
सेंदुर, टीका, बूंदा औ लाली,
भर भर हाथ चुरियां पैरा अइए।
आ गई संकरांत,
हो आ गई संकरांत,
बुड़की हम जा कै लगा अइए।
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कोहरा पड़ रओ ऐसो,
कै पानी सो बरसै,
उन्ना भीजें कपड़ा भींजे,
कम्बल ओढ़वे को ठंडौ है सीलो,
पांव धरत कऊं,
और पड़ जात है और कऊं,
दूर दूर तक इतै तो कछू ना दिखात।
कैसे के बुड़की लगा अइए।
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आ गई संकरांत,
हो आ गई संकरांत,
कौन दिशा सें आईं संकरांत महारानी,
का का भक्षण करत आईं वे,
की पै बैठ कें वे आ गईं हैं।
पंडितजी सें संकरांत पड़वा अइए।
दान दक्षिणा भी उनखों,
संकल्प करा अइए।
भईया और बहनें, दद्दा और अम्मा,
चलौ सबके सब बुड़की लगा अइए।
शोभा शर्मा, ✍️13/01/2023

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