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मकर संक्रांति

आ गई संकरांत,
 हो आ गई संकरांत,
चलो मिल कै बुड़की लगा अइए।।     
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तिल के लड़ुआ,
हो गड़िंया घुल्ला,
दान करें औ अग्नि में चढ़ाएं,
बांटें और खुद भी खा अइए। 
हो बुड़की लगा कै खा अइए।
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आ गई संकरांत,
हो आ संकरांत,
चलौ अलाव लगा कैं ताप अइए।
बैठ कें मोटर गाड़ी औ ट्रेनन में आज,
चलौ संगम पै बुड़की लगा अइए।
हो गंगा मईया में बुड़की लगा अईए।
****************************** बुड़की लगावे के पैलें,
तिल कौ उबटन बना लऔ,
मल मल कैं नदी पै नहा अइए।
हो आ गई संकरात,
हो आ गई संकरात,
चाट पकौड़ी, औ भजिया मुंगौड़ी,
मेला में फुलकी खा अइए।***************************
खूब कसकें भरो है मेला,
मेलैं में जा के भवानी खौं,
शापिंग करा अइए।
सेंदुर, टीका, बूंदा औ लाली,
भर भर हाथ चुरियां पैरा अइए।
हो आ गई संकरांत,
हो आ गई संकरांत,
बुड़की हम जा कै लगा अइए।
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कोहरा पड़ रओ है ऐसो,
कै मेंह सो बरसै,
उन्ना भीजें कपड़ा भींजे,
कम्बल ओढ़वे को ठंडौ सीलो,
दूर दूर तक इतै तो कछू ना दिखात।
कैसे के बुड़की लगा अइए।
शोभा शर्मा✍️13/01/23

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