डायना
डायना
सन 1950
बदबू के कारण न्यू समर हिल के बंगलों में रहने वाले परेशान थे। लाइन लगाकर अँग्रेजों के बंगले थे। बंगलों के आगे की सड़क मॉल रोड तक जाती थी और बंगलों के पीछे खाई थी।
शायद कोई जानवर मर गया होगा, उसके शव की बदबू होगी? बदबू बर्दास्त से बाहर थी।
नगर निगम के कर्मचारी खोज में जुट गए।
एक चीख निकली। एक कर्मचारी उलटा भागा। उसकी चीख सुनकर बाकी कर्मचारियों उसकी ओर दौड़े। खाई में एक टाँग कूड़ा के ढेर के बाहर निकला हुआ था। उसके पैर में जूते थे।
सभी कर्मचारी पीछे हट गए। पुलिस को बुलाया गया। शर्तिया यह कोई जानवर नहीं, किसी इनसान की लाश होगी।
धीरे-धीरे कूड़ा हटा। एक अँग्रेज मर्द की लाश थी। सब सकते में आ गए।
एक अँग्रेज का मर्डर!
छोटे से न्यू समर हिल में आग की तरह यह खबर फैल गई। चारों तरफ दहशत ही दहशत थी। शान्ति प्रिय हिल स्टेशन में मर्डर, वो भी एक अँग्रेज का? मर्डर कौन कर सकता है? आजादी के बाद वैसे तो बहुत अँग्रेज भारत छोड़ गए थे। न्यू समर हिल में बहुत अँग्रेज इन बंगलों में रह रहे थे।
लाश जिस अँग्रेज की थी। उसका नाम विलियम था और उम्र 35 वर्ष।
***
इंस्पेक्टर पुष्कर सिंह धामी ने मर्डर की तहकीकात शुरू की। विलियम का बंगला खाली मिला।
बैठक में खून के निशान मिले। व्हिस्की काउंटर के पास कुर्सी गिरी हुई थी। खाली गिलास रक्खे थे। प्लेट में काजू रक्खे थे। ऐश ट्रे में सिगरेट के टोटे थे। कोई लड़ाई झगड़े का निशान नजर नहीं आया।
बंगले में सेर्वेंट क्वार्टर में अनवर अपनी बीवी रेहाना के साथ रहता था। दोनों गायब थे। पूछने पर मालूम हुआ, दोनों समीप के गाँव के रहने वाले है। पुलिस ने उनके घर में दबिश की। दोनों घर पर मिले।
“तुम बंगला छोड़कर क्यों भागे?”
“हम डर गए थे?”
“तुमने विलियम का कत्ल करके खाई में फेंक दिया। चलो थाने, जब पुलिस के डंडे पड़ेंगे तब सच उगलोगे। “
विलियम का कत्ल सुनते ही दोनों गश खाकर गिर पड़े।
“हमने कुछ नहीं किया। हम बेकसूर हैं। उस दिन साब बंगले से बाहर गए और कुछ सेकंड बाद मेमसाब आई थी। साब चार दिन से अकेले थे।“
“तुम बंगला छोड़कर भागे। कितना माल उड़ाया है। कहाँ छुपा कर रक्खा है।“ धामी ने एक लट्ठ अनवर को जमा दिया।
“साब जी, हम निर्दोष हैं। हमने कुछ नहीं किया। हम तो मेमसाब से डर गए थे।“
इंस्पेक्टर पुष्कर सिंह धामी ने खींचकर एक पुलिस का तगड़ा वाला लट्ठ अनवर को फिर से लगाया। “गुनाह कबूल कर लो और बता दो। माल कहाँ छुपाया है?”
अनवर ने डरते डरते बताया।
“हम रात को अपने कमरे में सो रहे थे। आधी रात का वक्त था। खट-खट की आवाज से नींद खुली। हम डर गए। कहीं कोई चोर डाकू न हों। उसके पास चाकू छुरा कट्टा पिस्तौल भी हो सकती है। आवाज किसी के चलने की थी। बंगले के पीछे खाई है। जिसका रास्ता हमारे कमरे के पीछे से जाता है। यूँ कहूँ, हमारे कमरे के पीछे निम्बू के झाड़ हैं और फिर उसके पीछे खाई है। आधी रात के वक्त खाई की तरफ कौन जा सकता है? यही जानने के लिए हमने अपने हाथ में मीट काटने वाला बड़ा छुरा अपनी सुरक्षा के लिए उठा लिया। हमें डायना मेमसाब खाई की तरफ से आती दिखाई दी। उसकी आँखों की पुतली सफेद थी और आँखें एकदम लाल। वो हमारे सामने खड़ी हो गई। एक क्रूर हँसी के साथ मेमसाब ने हमें धमका दिया। ये जो छुरा तुम्हारे हाथ में है, इसी से तुम दोनों का गला काट दूँगी। हम डर कर बेहोश हो गए। सुबह जब होश आया। हमने बंगला छोड़ दिया। डायना मेमसाब एक भूतनी लग रही थी।“
“अच्छी कहानी सुनाई है। भूतनी! हा हा हा।“ पुलिस को बेवकूफ समझते हो क्या?” इंस्पेक्टर धामी ने एक-एक पुलिस का तगड़ा वाला लट्ठ अनवर और रेहाना को और जमा दिया।
“हम झूठ नहीं बोल रहे हैं।“ अनवर और रेहाना गिड़गिड़ाये लेकिन इंस्पेक्टर धामी ने दोनों को थाने में बन्द कर दिया।
***
रात का समय था। अनवर और रेहाना लॉकअप में चुपचाप एक दूसरे को देख रहे थे। कांस्टेबल भी ड्यूटी पर उँघ रहे थे।
एकदम सन्नाटे के माहौल में थाने के गेट पर तैनात कांस्टेबल ने बोरियत मिटाने के साथ नींद भगाने के लिए एक बीड़ी सुलगाई।
पहला कश लगाया और उसके मुँह से बीड़ी किसी ने निकाल ली। यह क्या हुआ? उसने इधर उधर देखा। कोई नहीं दिखाई दिया। वह सोचने लगा, कहीं नींद आने की निशानी होगी।
किसी ने उसके हाथ से उसका पुलिस वाला लट्ठ खींचा और उसके पिछवाडे में जमा कर मारा। कांस्टेबल अपने पिछवाडे को सहलाता रह गया।
“बीड़ी पिएगा, ड्यूटी तेरा बाप देगा क्या?”
कांस्टेबल देखता रह गया, यह कौन बोला। एक साया सा उसके सामने से गुजरा। कांस्टेबल आँखें मलता रह गया। साया एक काले गाउन में बदल गया। झूलती जुल्फें उसके कँधे तक झूल रही थी।
“भ भ भू भू भूत!” बोलता हुआ लड़खड़ाया और थाने के मेन गेट पर लुढ़क गया।
वह इतराती हुई थाने के अन्दर गई। सब-इंस्पेक्टर एक कमरे में चारपाई पर आराम से लेटा हुआ था।
उस बला सी खूबसूरत महिला ने प्यार से सब-इंस्पेक्टर के गाल पर हाथ फेरा। उसकी नींद खुली और खूबसूरती को देखता रहा।
“कभी कोई हसीना नहीं देखी है क्या?”
“तुम कौन?”
“तूने दो बेकसूर बन्द कर रक्खे हैं। छोड़ दे।“ वह अदृश्य हो गई। सब-इंस्पेक्टर का मुँह खुला का खुला रह गया।
कुछ कदमों के चलने की आवाज सुनाई दी। सैंडल की खट-खट की आवाज लॉकअप की ओर बढ़ती सुनाई दी।
सब-इंस्पेक्टर हिम्मत करके उठा और पीछे गया। लॉकअप के बाहर ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल का लट्ठ किसी ने खींचा, दो घूँसे उसे लगे फिर लॉकअप की चाबी उसकी जेब से निकली। लॉकअप का दरवाजा खुला।
वो महिला दृश्य हुई। वह उनकी मालकिन डायना थी।
“चलो मेरे साथ।“
अनवर ने उसकी आँखें देखी। इस समय सामान्य थी। रेहाना ने उसके पैर देखे, सीधे थे।
डायना ने दोनों के हाथ पकड़े और उनके साथ लॉकअप से बाहर आ गई। डायना अदृश्य हो गई। वहीं अनवर के साथ रेहाना भी थाने के फर्श पर लुढ़क गए।
***
सुबह की शिफ्ट का स्टाफ थाने आया तब सारे स्तब्ध रह गए। सारे लम्बलेट हैं। सभी को अस्पताल भर्ती कराया।
इंस्पेक्टर पुष्कर सिंह धामी हैरान, अचानक से रात के समय क्या हुआ? उनके होश आने पर भूतनी की बात सुनकर धामी का भेजा एकदम फ्राई हो गया।
“एक भूतनी थाने आई थी! क्या बकवास लगा रक्खी है? डॉक्टर, इनके दिमाग का इलाज कराओ। थाने में भूत की बात करते है। पुलिस से बड़ा भूत कौन हो सकता है। अच्छे से अच्छा भूत पुलिस के नाम से थर-थर काँपता है।“
पुलिस स्टेशन पहुँचने पर उसने सारे स्टाफ को अपने पास बुलाया। तभी एक खूबसूरती महिला, जिसने लाल रंग का गाउन पहना था, आई।
“मीटिंग बाद में करना। सबसे पहले एक एफआईआर लिखो।“
धामी ने उसकी ओर देखा। वह अँग्रेज महिला थी।
“आपका नाम?”
“डायना “
“एक मर्डर हुआ है।“
“किसका मर्डर हुआ है और आपको कैसे मालूम?” धामी खूबसूरत डायना को एक टक देखता रह गया।
“इंस्पेक्टर साब, जिसका मर्डर हुआ है, उससे ही पूछताछ!” डायना जोर से हँसी।
“क्या मजाक है?” धामी को गुस्सा आ गया।
डायना इंस्पेक्टर की ओर झुकी। उसकी आँखों को घूर कर देखा। डायना की आँख की पुतली भूरी से सफेद हो गई और आँख एकदम खून की तरफ मैरून लाल। धामी को पसीने आने लगे।
डायना अदृश्य हो गई।
थाने का स्टाफ थर-थर काँपने लगा।
भू भू भू भूत का शोर मचा।
पूरे स्टाफ के होश गुम थे।
धामी मजबूत दिल का था। उसने अपने को सम्भाला। अपने स्टाफ में जोश उत्पन्न किया।
“अरे भूत कुछ नहीं होता है। अपने काम पर लग जाओ।“
तभी किसी के हाथों ने धामी के गालों को छुहा। “मुन्ना भूत होते हैं।“ डायना दृश्य हो गई।
“तुम।“
“तुम्हें बोला तो है, डायना का मर्डर हो गया है। विलियम फार्म हाउस चला जा।“
धामी का चेहरा फिर से फक हो गया। एकदम सफेद।
“अच्छा बाय।“ डायना अदृश्य हो गई।
एक आवाज गूँजी। “विलियम फार्म हाउस में डायना की लाश मिलेगी।“
फिर सैंडल की खट-खट की आवाज जाते हुए सुनाई दी।
धामी कभी अपने सूरत-ए-हाल और कभी स्टाफ की सूरत-ए-हाल देखता रह गया।
सभी के मुँह पर बारह बजे हुए थे।
कुछ देर बाद इंस्पेक्टर धामी ने हिम्मत करके विलियम फार्म हाउस जाने के लिए जीप स्टार्ट की। जीप में उसके साथ दो कांस्टेबल भी थे।
***
फार्म हाउस में वीराना था। फार्म हाउस में कार्यरत दो नौकर सईद और सायरा नदारत थे।
“यहाँ भी कोई नहीं। नौकर गायब। पहले अन्दर देखते हैं।“ धामी अपनी टीम को कहता हुआ जैसे ही बैठक में पहुँचा, उनके होश उड़ गए। सामने डायना की लाश पड़ी थी।
“साब जी यह तो वही है, जो थाने में आई थी।“ एक कांस्टेबल लाश को देखते ही बोला।
इंस्पेक्टर धामी एकदम स्तब्ध, यह क्या हो गया। यह तो डायना ही है जो थाने आई थी। यानी कि यह भूत बन गई।
धामी ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
धामी के साथ सभी का भेजा फ्राई हो गया। दोनों कत्ल, एक विलियम और दूसरा डायना का, एक जैसे हुआ, कमर और पेट में चाकू घुसेड़ कर।
डायना को नवगाँव और विलियम को न्यू समर हिल के कब्रिस्तान में दफना दिया। सभी नौकर अनवर, रेहाना, सईद और सायरा एक ही भाषा बोल रहे थे। डायना भूतनी बन गई। जो विलियम बंगले में दिखाई दिया, वह भी शर्तिया भूत होगा।
धामी और दूसरे पुलिस वालों ने डायना का भूत देखा था। दोनों मर्डर केस अनसुलझे डिब्बे में बन्द हो गए।
***
सन 1960
बहुत सारे अँग्रेज इंडिया छोड़कर वापस इंग्लैंड जा चुके थे। उनके बंगले और फार्म हाउस इंडिया के रईस परिवारों ने खरीद लिए थे।
नहीं बिके तो डायना और विलियम के बंगला और फार्म हाउस। अँग्रेज चले गए, डायना और विलियम के मर्डर के किस्से भी धूमिल हो गए।
बंगले और फार्म हाउस में जंगली झाड़ उगे थे। कभी कभी बिल्लियों के संग किसी अँग्रेज महिला को घूमते अक्सर देखा गया। एक किस्म का भूतिया ठप्पा उन पर लग गया।
***
एक कार न्यू समर हिल के बंगले पर रुकी। पीटर कार से उतरा। उसके साथ बम्बई के एक बहुत बड़े बिजनेस मैन विक्रम जोशी थे।
“वेलकम मिस्टर जोशी, लुक एट दिस बंग्लो।“
विक्रम जोशी ने एक सरसरी नजर बंगले पर डाली। “पीटर कहीं तुम मजाक तो नहीं कर रहे। बम्बई से न्यू समर हिल इतनी दूर इस उजाड़ बंगले को दिखाने लाए लो। इट्स नॉन सेंस। मुझे तुम्हारी अक्ल पर तरस आ रहा है। सारा मूड खराब कर दिया।“
“कॉम डाउन मिस्टर जोशी। एक बार इस बंगले की लोकेशन देखो। एक बार बंगले की सफाई हो जाएगी, तब जन्नत यहीं मिलेगा। सामने जो पहाड़ नजर आ रहे हैं, सर्दियों में पूरे बर्फ से ढक जाते हैं।“
पीटर ने विक्रम जोशी का हाथ पकड़कर इलाके की खूबियाँ बताते हुए अन्दर चलकर एक बार बंगले को देखने की विनती की।
कुछ सोचकर जोशी पीटर के संग बंगले को देखने अन्दर चले गए। जब बम्बई से इतनी दूर आ ही गए तब देख ही लेते हैं।
बंगला बहुत बड़ा एक एकड़ के क्षेत्रफल में था। कुदरती नजारा विक्रम जोशी की आँखों में बस गया।
“इसका मालिक कौन है?”
“इसका मालिक ही तुम्हारे साथ बम्बई से आया है।“ पीटर हाथ जोड़कर विक्रम जोशी के आगे खड़ा हो गया।
“रियल्ली!”
“कोई शक?”
“लावारिस क्यों छोड़ रक्खा है?”
“बस बिजनेस के चक्कर में यहाँ आना होता नहीं, इसलिए लावारिस है। अब इंग्लैंड वापस जाना चाहता हूँ, इसलिए बेच रहा हूँ।“
“बंगले के डॉक्यूमेंट दिखा दे, वकील से चेक करके फिर सौदे की बात करते हैं।“
पीटर का चेहरा खिल गया। कुछ दिन बाद पचास लाख रुपये में सौदा हो गया।
अब विक्रम जोशी बंगले का मालिक था।
***
पीटर ने अब नवगाँव में विलियम फार्म हाउस की ओर रुख किया। उसकी सफाई करा कर थोड़ा दुरूस्त करा दिया।
अब पीटर दिल्ली के उद्योगपति सुजीत बंसल के साथ आया।
“बंसल दो एकड़ का इस फार्म हाउस को देखो। एकदम शान्त इलाका है। यहीं से न्यू समर हिल जाने का रास्ता है।। दो किलोमीटर बाद गोल-गोल घुमावदार पहाड़ी रास्ता आरम्भ हो जाता है। मुश्किल से 40 से 45 मिनट लगते हैं। कीमत मात्र 70 लाख रुपये।“
“ज्यादा कीमत बता रहे हो।“ बंसल को मालूम था, पीटर इंग्लैंड जाएगा। कम कीमत में भी बेच जाएगा। उसे फार्म हाउस की लोकेशन पसन्द आ गई।
कुछ मोलभाव के बाद सौदा 55 लाख रुपये में तय हो गया।
वैसे तो बंगला और फार्म हाउस डायना के नाम थे। नकली डॉक्यूमेंट के आधार पर पीटर ने दोनों प्रॉपर्टी को अपने नाम करवा लिया था।
सौदे के बाद फार्म हाउस का नया मालिक सुजीत बंसल हो गया।
***
पीटर दिल्ली में ब्रिटिश एम्बेसी की ओर अंतिम औपचारिकता पूरी करने एना के संग जा रहा था। सम्पूर्ण आत्मविश्वास के संग ब्रिटिश एम्बेसी के विजिटिंग हॉल में अपनी बारी की प्रतिक्षा कर रहा था।
“हेलो मिस्टर पीटर एंड मिसेस एना, हाउ आर यू?”
यह कौन बोला? कोई नजर नहीं आया।
किसी ने एना के कँधे पर हाथ रक्खा। एना ने मुड़कर देखा। कोई नजर नहीं आया।
“एना इधर उधर क्या देख रही है। मैं तो तेरे पीछे खड़ी हूँ।“ एना की गर्दन में गुदगुदी होने लगी।
“यह कौन शरारत कर रहा है?” एना परेशान हो गई।
“डार्लिंग क्या हुआ?” पीटर ने पूछा।
पीटर के कँधे पर किसी ने हाथ रक्खा। उसने मुड़कर देखा। दो खूँखार आँखें उसको देख रही थी। आँखें एकदम मैरून लाल थीं। पुतली सफेद थीं। पीटर के गले से आवाज नहीं निकली।
“तू तू तुम।“
“तू समझता है, प्रॉपर्टी बेचकर इंग्लैंड भाग जाएगा। मैंने विलियम को जब नहीं बेचने दीं। बड़ा स्याना निकला, तूने नकली साइन करके प्रॉपर्टी अपने नाम की और फिर बेच दी।“
एना की घिग्घी बँध गई। उसके होश उड़ गए।
एक घूँसा एना के थोबड़े पर लगा। जबरदस्त प्रहार था। एना फर्श पर गिरी। उसके होंठ पर कट लगा और खून निकला। वह घबरा गई। उसने उठने की कोशिश की और एक चीख निकली।
विजिटर हॉल में बैठे सभी एना की ओर देखने लगे। वह फर्श पर कैसे गिरी! कुछ लोग उसकी मदद के लिए आगे बढ़े।
डायना ने पीटर की गर्दन पकड़ ली। पीटर के मुँह से घुँ घुँ की आवाज निकली। लोग हैरान, यह क्या हो रहा है।
डायना ने पीटर की गर्दन दबाते हुए मरोड़ दी। घूमती गर्दन से खौफनाक मन्जर उत्पन्न हो गया। अपने आप गर्दन कैसे घूम रही है। एना बेहोश हो गई।
एम्बेसी के विजिटर हॉल के सारे लोग बाहर भागने लगे। अफरातफरी मच गई। कोई इधर भाग रहा था। कोई उधर भाग रहा था। बचाऔ बचाऔ की अवाजें चारों ओर गूँज रही थीं।
डायना पीटर की गर्दन घुमाती जा रही थी। फिर गर्दन धड़ से जुदा हो गई। पीटर की मुण्डी डायना के हाथ में थी।
डायना मुण्डी उछाल रही थी। डायना किसी को नजर नहीं आ रही थी। कभी वॉलीबॉल की तरह मुण्डी उछलती और फिर फुटबॉल की तरह उछलती। दस मिनट तक मुण्डी उछलती रही फिर मुण्डी एम्बेसी से बाहर चली गई।
विजिटर हॉल में एना बेहोश थी। बिना मुण्डी के पीटर का धड़ पड़ा था।
एम्बेसी से बाहर मुण्डी उछल रही थी। बाहर सड़क पर ट्रैफिक था। एक बस के नीचे मुण्डी आई और मुण्डी का कचुम्बर निकल गया।
***
एना को अस्पताल भर्ती कराया गया। जब उसे होश आया। वह एकदम स्तब्ध, हतप्रभ थी।
डॉक्टर और नर्स उसके बेड के पास थे। उसके चेकअप के बाद डॉक्टर चले गए। नर्स ने इंजेक्शन लगाया। थोड़ी देर में एना को दवाई का नशा चढ़ने लगा।
रात के पूरे एक बजे का समय था। नर्सिंग स्टेशन के आगे सैंडल की खट-खट सुनाई दी। ड्यूटी नर्स को कोई नजर नहीं आया। उसे मन का वहम लगा। सैंडल की खट-खट उस कमरे की ओर बढ़ रही थी जहाँ एना भर्ती थी। खट-खट की आवाज उसके बेड पर जाकर रुकी।
अदृश्य डायना एना के बेड पर बैठ गई। एना नींद में थी। डायना उसकी छाती पर चढ़ कर बैठ गई। भारी वजन से उसका दम घुटने लगा। एक झटके में उसकी नींद खुली। एना हाँफ रही थी।
“तो तू इंग्लैंड जा रही है उस पीटर के साथ। आज से दस वर्ष पहले तुम दोनों को छोड़कर मैंने गलती की थी। उस धूर्त पीटर ने मेरा फार्म हाउस और बंगला जाली कागज बनाकर बेच दिया। तुम क्या सोच रहे थे। मेरी प्रॉपर्टी की रकम से इंग्लैंड में ऐश करोगे। मेरे होते तुम्हारी मंशा पूरी नहीं होगी। कभी नहीं होगी।“
“तू तू तुम तो मर चुकी थी।“ बहुत मुश्किल से एना बोल सकी।
“तो तू भी मर। पीटर को तो मैंने ज़हननुम भेज दिया है। अब तुझे भेज देती हूँ। वहीं दोनों ऐश करना।“
डायना ने एना की गर्दन पकड़ ली। एना का दम घुटने लगा। घुँ घुँ की आवाज निकलने लगी। डायना ने एना की गर्दन घुमानी शुरू की और फिर एना की मुण्डी उसके जिस्म से जुदा हो गई। डायना की हँसी अस्पताल में गूँजने लगी।
नर्स और अन्य ड्यूटी स्टाफ, डॉक्टर हँसी की दिशा में भागे। अदृश्य डायना हाथ में एना की मुण्डी लिए कमरे से बाहर आई। कटी मुण्डी देखते ही स्टाफ में दहशत से भगदड़ मच गई। कोई इधर भागा, कोई उधर भागा।
डायना की क्रूर हँसी के साथ कटी मुण्डी आगे बढ़ रही थी। फिर डायना ने जमीन पर मुण्डी को पटक कर मारा जैसे नारियल फोड़ा जाता है। डायना ने मुण्डी को बार-बार मुण्डी को जमीन पर पटका। मुण्डी का कचुम्बर निकल गया।
डायना हँसते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियाँ उतर रही थी।
***
विक्रम जोशी ने न्यू समर हिल के बंगले को रेनोवेट कराने के लिए आर्किटेक्ट नियुक्त किया।
“यह बहुत पुरानी शैली का बंगला बना है। अँग्रेजों के जमाने का बना है। कुछ मॉडर्न डिजाइन का बंगला बनाओ।“ जोशी ने अपनी ख्वाहिश बताई।
आर्किटेक्ट ने नक्शा बनाया। जोशी ने एक नक्शा पसन्द किया। ठेकेदार नियुक्त हुआ और मजदूर आ गए।
निर्माण के पहले ही दिन जैसे मजदूर बैठक में घुसे, उल्टे पैर चिल्लाते हुए बाहर निकलकर हाँफने लगे।
“ल ल ला लाश!” एक मजदूर चिल्लाया।
“लगता है, सुबह के वक्त नशा चढ़ा लिया है क्या?” ठेकेदार चिल्लाया।
मजदूर बंगले के भीतर जाने को तैयार नहीं हुए। ठेकेदार गंदी-गंदी माँ बहन की गालियाँ बकता हुआ बैठक के अन्दर गया। उसकी गालियों की रेल रुक गई। उसका मुँह खुला का खुला रह गया। आँखें फटी की फटी रह गई। सामने विलियम की लाश पड़ी थी। उसके होश उड़ गए।
सारे मजदूर काम छोड़कर भाग गए। पुलिस को बुलाया गया। पुलिस को कोई लाश नहीं मिली। अलबत्ता जहाँ लाश बताई गई, वहाँ फर्श पर गहरे लाल रंग था, वह खून ही होगा। पुलिस ने पूरा बंगला छान मारा। कोई लाश नहीं मिली। फॉरेंसिक जाँच में वह खून ही निकला।
पुलिस ने ठेकेदार की मार्फत आर्किटेक्ट को पकड़ा और फिर विक्रम जोशी से तहकीकात की। विक्रम जोशी भी परेशान, वह कहाँ फँस गया। उसने पीटर से फार्म हाउस खरीदा था। उसने पुलिस को प्रॉपर्टी के कागज दिखाए। अब तक तो पीटर इंग्लैंड चला गया होगा।
पुलिस इंस्पेक्टर रावत ने आसपास तहकीकात की। आसपास के बंगले बिक चुके थे। किसी को उस बंगले का इतिहास नहीं मालूम था। सभी अँग्रेज इंग्लैंड जा चुके थे। वह बंगला उजाड़ बंगला था। बच्चे भूतिया बंगला कहते थे।
बच्चे अक्सर छुपन छुपाई खेलने बंगले के अन्दर चले जाते थे। उन्हें अक्सर एक अँग्रेज मुँह में सिगार लगाए दिखाई देता है। उसे देखते ही बच्चे डर कर भाग जाते थे।
क्या उसी अँग्रेज का मर्डर हुआ है? रावत की समझ कुछ नहीं आ रहा था। ऊपर से तुर्रा यह है कि लाश भी नहीं मिली है। यह माजरा क्या है?
“किस सोच में डूबे हो?” पुराने इंस्पेक्टर धामी थाने के अन्दर आते बोला। धामी किसी अन्य काम से रावत से मिलने आया था।
“यार एक अजीबोगरीब केस है। पूरा भेजा फ्राई हो गया है।“
इंस्पेक्टर रावत ने केस बताया। केस सुनते ही धामी कुर्सी से उछल पड़ा।
“क्या बात करता है तू रावत? वहाँ तो दस साल पहले मर्डर हुआ था। आज तक मर्डर का केस सुलझा नहीं।“
“वो क्यों धामी?”
“यहाँ विलियम का मर्डर हुआ और इसी का नवगाँव में फार्म हाउस है वहाँ विलियम की वाइफ डायना का मर्डर हुआ।“
“हैं!” रावत का मुँह खुला का खुला रह गया।
“नौकर कहते हैं, डायना भूत है। रावत मैंने खुद उसका भूत देखा है। उसका भूत पुलिस स्टेशन आया था।“
“सच्ची बोल रहा है न तू। फिर क्या करूँ केस का?”
“लाश मिली?”
“नहीं!”
“जब लाश ही नहीं मिली, फिर कत्ल किसका हुआ?”
धामी की बात में वजन था। केस बन्द हो गया।
***
विक्रम जोशी को गुस्सा बढ़ गया। पीटर ने उसे भूतिया बंगला बेच दिया। उसकी रकम मिट्टी हो गई। नहीं वह रकम मिट्टी नहीं होने देगा।
विक्रम जोशी न्यू समर हिल के बंगले के गेट पर खड़ा था। उसकी कार गेट के बाहर थी। वह मेन गेट पर खड़ा बंगले को घूरे जा रहा था।
“जेंटलमैन, आई थिंक यू आर सम व्हाट वरियड?” एक अँग्रेज थ्री पीस सूट पहने विक्रम जोशी के बगल में खड़ा था। उसने अपनी जेब से सिगार निकाला, होंठों के बीच दबाया। सिगार सुलगाया और फिर एक कश लगाया।
विक्रम ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में एक आशा की किरण चमकी।
“आप कौन?”
“बस थोड़ा टहल रहा था। तुम्हें चिन्तित देखकर रुक गया। मे आई हेल्प यू?”
“मैंने यह बंगला खरीदा है। कुछ इतिहास जानना चाहता हूँ। इसका पुराना मालिक कौन था?” इतने टाइम से उजाड़ क्यों पड़ा है?“
“क्या आपने इसके मालिक से नहीं खरीदा?”
“मालिक से खरीदा है। प्रॉपर्टी के कागज मेरे पास हैं। उससे पहले के मालिक के बारे में कुछ जानकारी मिल जाए?”
“अन्दर चलिए, सब बताते हैं।“
विक्रम जोशी ने मुड़कर देखा। एक अँग्रेज महिला मैरून रंग का लम्बा गाउन पहने उसके पीछे खड़ी थी। उसके सिर पर शोला हैट था।
“आप!”
“डार्लिंग! लेट्स गो इंसाइड। आराम से बैठकर बात करते हैं।“ उस महिला ने अँग्रेज पुरुष के हाथ में हाथ डाला और बंगले के अन्दर चली गई।
कमाल की बात है। बंगला मेरा है और अँग्रेज अन्दर ऐसे गए जैसे उनका बंगला हो। विक्रम जोशी भी पीछे हो लिया। उसने अपने ड्राइवर को भी बुला लिया।
विक्रम जोशी उनके पीछे बैठक में पहुँचा। बैठक को देखकर हैरान हो गया। उजाड़ का नामोनिशान नहीं था। बैठक में सोफा रक्खा था। झाड़फानुस चमक रहा था। एक कोने में बार था। अँग्रेज ने एक व्हिस्की की बोतल खोली।
“मिस्टर मैंने आपका नाम नहीं पूछा!”
“विक्रम जोशी!”
“मिस्टर जोशी जॉनी वॉकर रेड लेबल है। चीयर्स!”
“मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया, यह बंगला मेरा है। आप ऐसे बैठे हैं जैसे आपका हो। यह व्हिस्की कहाँ से आई?” विक्रम जोशी हतप्रभ था।
“जेंटलमैन, ड्रिंक का मजा लो। क्या तेरा क्या मेरा! सब मोहमाया है! यही तो आपकी गीता में लिखा है, सब गॉड पर छोड़ दो?” अँग्रेज ने कहा।
विक्रम जोशी का मूड व्हिस्की पीने में कतई नहीं था।
“पीओ और जिओ, चीयर्स।“ अँग्रेज महिला ने अपना परिचय दिया।
“मेरा नाम है डायना। वो जो बन्दा था न जिससे तुमने बंगला खरीदा है, क्या नाम है उसका?”
“पीटर, वो तो प्रॉपर्टी बेचकर इंग्लैंड चला गया। यहाँ होता तो उसकी गर्दन मरोड़ देता।“ जोशी गुस्से में था।
“पीटर इंग्लैंड जाना चाहता था, लेकिन अब वो और उसकी वाइफ जहन्नुम रसीद हो चुके हैं।“
“क्या मतलब?” जोशी ने पूछा।
“तुम बॉम्बे रहते हो, दिल्ली का न्यूजपेपर पढ़ो, मालूम हो जाएगा।“
“तुम्हें कैसे मालूम?” विक्रम जोशी चौंका और सोफा पर से उछल पड़ा।
“सवाल बहुत पूछते हो। डार्लिंग अब रेस्ट करते हैं।“ डायना और विलियम हाथों में हाथ डालकर बैठक से बाहर चले गए।
विक्रम जोशी ने आवाज लगाई। “रुको।“
वो नहीं रुके।
विक्रम ने ड्राइवर को आवाज दी। “उनको रोको।“
“किनको सर, यहाँ तो कोई नहीं है।“
“उन अँग्रेजों को, जो मेरे साथ व्हिस्की पी रहे थे।“
“मुझे कोई दिखाई नहीं दिया। आप अपने से बातें कर रहे थे।“
ड्राइवर की बात सुनकर विक्रम जोशी लड़खड़ा कर गिर पड़ा।
ड्राइवर ने तुरन्त विक्रम जोशी को कार में लिटाया और पास के अस्पताल में भर्ती कराया।
***
सुजीत बंसल अपने परिवार संग नवगाँव के फार्म हाउस पहुँचा। दो कार और दो जीप का काफिला था। परिवार के संग नौकर भी थे। परिवार को फार्म हाउस पसन्द आया। सभी फार्म हाउस में अतिरिक्त कमरे बनवाने के पक्ष में थे। काफी खाली स्थान था। वहाँ फलों के पेड़ और सब्जियाँ उगाने के लिए सबने हामी भर दी। बंसल परिवार ने तीन दिन रूकने का कार्यक्रम बनाया।
शाम के समय परिवार के सदस्य बैठक और कमरों में आराम कर रहे थे। सुजीत को बैठक की फर्श पर लाल धब्बे और निशान दिखाई दिए। उसने फौरन नौकर को साफ करने का आदेश दिया। नौकर ने पौंछा मारकर सफाई कर दी। रंग और धब्बे मिट गए।
नौकर रात के डिनर का इंतजाम कर रहे थे। सुजीत बंसल जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल की बोतल खोलकर सोफा पर आराम से बैठ गया। नौकर ने सोडा और रोस्टेड काजू सेंटर टेबल पर रख दिए।
“वॉओ, तो तुम भी ब्लैक लेबल के दीवाने हो। मजे आएँगे, जब एक पसन्द वाले मिलकर पिएँगे।“
बैठक में कोई नहीं था, फिर बोला कौन? सुजीत बंसल ने इधर उधर देखा। कोई नजर नहीं आया। उसे अपना वहम लगा। “कमाल की बात है, अभी तो बोतल खोली है, मेरे कान पहले ही बजने लगे।
उसने पेग बनाया। होंठों से लगाया।
“ऐसी भी क्या नाराजगी है, हमारा भी पेग बनाओ।“
यह तो महिला स्वर है और बैठक में इस समय और कोई भी नहीं है। उसकी पत्नी दूसरे कमरे में सो रही थी।
सेंटर टेबल पर रक्खे गिलास में से एक गिलास उल्टा हुआ। एक पेग बना। अदृश्य होंठों पर गिलास लगा और धीरे-धीरे गिलास का पेग खत्म होने लगा। सुजीत बंसल का सिर चकराने लगा। फिर दूसरा पेग बना। सुजीत ने हिम्मत करके गिलास पकड़ लिया।
गिलास की व्हिस्की उसके चेहरे पर छलकी। “तेरे को समझ नहीं आता। अपना-अपना पेग पीना चाहिए।“
सुजीत वहीं धम हो गया। उसके पेग का गिलास छूटकर फर्श पर गिरा। गिलास टूटने की आवाज से नौकर फटाफट आया। टूटा गिलास उठाया। फर्श साफ किया।
“उधर लाल रंग के निशान भी साफ कर दो।“ अवाज अदृश्य थी।
नौकर का सिर घूमा। यह कौन बोला? बैठक में सुजीत के अलावा दूसरा कोई नजर नहीं आ रहा था। बाकी सब आराम कर रहे हैं। महिला आवाज है। नौकर का सिर दुबारा घूम गया। अभी तो फर्श साफ किया था, ठीक उसी जगह फिर से लाल निशान कैसे आ गए। नौकर ने फिर से पौंछा लगाकर फर्श साफ कर दिया। निशान मिट गए।
सुजीत का नशा उतर गया था। वह लड़खड़ाते नौकर का हाथ पकड़कर बेडरूम चले गए।
“क्या हुआ?” पत्नी सुजाता ने पूछा।
“मालूम नहीं, कुछ डर सा लग रहा है। कुछ गड़बड़ लग रही है। यहाँ कोई अदृश्य महिला है। शराब पी रही थी मेरे साथ बैठकर।“
“क्या बात कर रहे हो?” सुजाता परेशान हो गई।
“जी मेमसाब, वहाँ दो बार पौंछा लगा चुका हूँ। लाल धब्बे साफ हो जाते हैं, फिर दुबारा आ गए। समझ नहीं आ रहा है।“
“अच्छा तुम डिनर बनाओ। आज जल्दी सोते हैं, फिर सुबह देखते हैं।“ क्योंकि सुजाता ने कुछ देखा नहीं था, उसे लगा सुजीत ने कुछ ज्यादा चढ़ा ली होगी।
डिनर के बाद बच्चे अपने कमरे में चले गए। सुजाता और सुजीत एक कमरे में थे। नौकर फार्म हाउस में बने सर्वेंट क्वार्टर में चले गए।
रात गहरा गई। कोई एक बजे का समय हो रहा था। सुजाता को नींद में ऐसा महसूस हुआ, कोई बेड पर उसके और सुजीत के बीच में है। उसने हाथ से महसूस किया लेकिन नाइट लैंप की रोशनी में कुछ नजर नहीं आया। सुजाता ने उठकर लाइट जलाई। बिस्तर पर कोई नजर नहीं आया।
लाइट जलने पर सुजीत भी उठ गया।
“क्या हुआ जानेमन, उठ क्यों गई?”
“मैंने करवट बदली, मुझे तुम्हारे और अपने बीच कोई सोया हुआ महसूस हुआ।“
सुजीत ने करवट बदली। उसका हाथ डायना के अदृश्य जिस्म पर लगा।
“है कोई है। यह कोई औरत है। मेरा हाथ जहाँ पड़ा वो किसी औरत की छाती जैसा लगा।“
“ओह माय स्वीट हार्ट, आई एम डायना, दी इंग्लिश लेडी, दी ओनर ऑफ दिस फार्म हाउस।“
“भू भू भू भूत!” सुजीत चिल्लाया, सुजाता काँपते हुए बिस्तर पर धम हो गई।
डायना दृश्य हुई। उसने लम्बा गाउन पहना हुआ था।
“तुम शरीफ आदमी हो, पीटर ने तुम्हें लपेट लिया। देखो पीटर और एना इंग्लैंड जाना चाहते थे। मैंने उन्हें पहले छोड़ दिया था, अब जब वह बेईमानी पर उतर गया। जाली डॉक्यूमेंट पर तेरे को मेरी प्रॉपर्टी बेच दी। मैंने दोनों को जहन्नुम भेज दिया।“
डायना अदृश्य हो गई। सुजीत बेहोश हो गया।
***
भूतलोक में एक बड़े वृक्ष के नीचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी थानाराम बैठे अपनी बड़ी मूँछों को ताव दे रहे थे।
उनके साथ उनके सहायक चिन्तामणि लाल कपड़ों की जिल्द में लम्बे-लम्बे बही खातों में लगातार लिखते जा रहे थे। उनके सहायक ने कुछ बही खातों में कुछ देखते हुए चिन्तामणि के सामने रक्खा।
उनके सामने दरी पर अनेक भूत और भूतनियाँ चुपचाप शान्ति से बैठे दो नए अँग्रेज भूत भूतनी को देख रहे थे।
अँग्रेज भूत का नाम पीटर और अँग्रेज भूतनी का नाम एना था। उन्हें इतना याद था, डायना ने उनकी मुण्डी उनके तन से जुदा कर दी थी। अब वो साबुत हैं। उनकी मुण्डी उनकी गर्दन पर सही सलामत है।
चिन्तामणि ने गुणा भाग करने के बाद थानाराम को बताया।
दोनों अँग्रेज भूत पति पत्नी हैं। जाली दस्तावेज के जरिए इन्होंने अँग्रेज भूतनी डायना की प्रॉपर्टी बेच दी। अभी दोनों की भूत आयु बीस वर्ष है। आप उचित निर्देश दें।
“इन पर पूरी नजर रक्खी जाए। यदि कोई अनुचित कार्य करें तब भूतिया बेड़ियों से जकड़ कर भूतिया गुफा में कैद कर दिया जाए।“ डायना ने थानाराम से विनती की।
थानाराम ने विनती स्वीकार कर ली। चिन्तामणि ने बही खाते में सजा दर्ज कर ली।
डायना को देखते ही पीटर और थर-थर काँपने लगे। कहीं फिर से उनकी मुण्डी न काट दे।
उनकी हालत देखकर थानाराम ने उन्हें शान्त रहने को कहा। “तुम भूत बन चुके हो। भूत योनि की शेष आयु तुमने यहीं बितानी है। अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए तुम पृथ्वीलोक जा सकते हो। डायना की प्रॉपर्टी तुमने बेच दी। तुम पृथ्वीलोक पर आदमियों की आँख में धूल झोंक सकते हो लेकिन भूतलोक मे नहीं। भूतलोक में कोई अनुचित कार्य स्वीकार्य नहीं है। इसलिए शान्ति से भूतलोक में रहो वरना ज्यादा स्यानपंती दिलाई तब भूतिया बेड़ी डालकर भूतिया गुफा में कैद कर दिए जाओगे।“
“यह तो इंडिया की कोई जगह लग रही है।“ पीटर ने पूछ ही लिया।
“यह इंडिया का भूतलोक है। इसलिए इंडिया जैसा दिख रहा है। भारत में जो भूत बनता है, वह यहीं आता है चाहे वो इंडियन हो या फिर अँग्रेज।“
थानाराम ने सभा को समाप्त करने का आदेश दिया।
डायना पीटर और एना के साथ एक पेड़ के नीचे बैठ गई। “आखिर तुम्हारी नजर पहले दिन से मेरी प्रॉपर्टी पर क्यों थी?”
“डायना तुम गलत सोच रही हो। जब विलियम ने फार्म हाउस और बंगला बेचने के लिए मेरे से बात की। मेरी दिलचस्पी हो गई। विलियम रोजी के चक्कर में था। वह उसके साथ इंग्लैंड जाना चाहता था।“
“मुझे मारकर विलियम ने अच्छा नहीं किया।“
“विलियम कहाँ है?”
“यहाँ शरीफ भूत बन कर रह रहा है। यहाँ कोई पंगा नहीं कर सकता है।“
“तुमने रोजी को क्यों मारा?”
“विलियम मेरा प्यार था। प्रॉपर्टी मेरे पिता के नाम थी। पिता के मरने के बाद प्रॉपर्टी मेरे नाम हुई। प्रॉपर्टी के चक्कर में विलियम ने मेरे से शादी की और गुलछर्रे रोजी के साथ। यह मुझे बर्दाश्त नहीं था। मैंने दोनों का टंटा खत्म कर दिया।“
***
सन 1970
अनवर और रेहाना अब अधेड़ हो गए। उनके बच्चे बड़े हो गए। अनवर का लड़का शाहरुख बीस साल का हो गया।
“अब्बू, न्यू समर हिल का बंगला अभी भी उजाड़ पड़ा है। उसका कोई वली वारिस भी नहीं है। हम आराम से वहाँ रह सकते हैं।“
“नहीं शाहरुख नहीं। उस बंगले की ओर मत देख। वो शापित बंगला है।“
“आप तो ऐवें डरते हो। अँग्रेज मर मरा गए। उस बात को बीस वर्ष हो गए। मैं जब भी वहाँ से गुजरता हूँ, मुझे तो कुछ भी नहीं दिखाई देता है। हम कब तक इस एक कमरे वाले छोटे से कमरे में सड़ते रहेंगे। हमें वहाँ रहना चाहिए।“
अनवर ने शाहरुख को बंगले से दूर रहने को कहा। शाहरुख में गर्म जवान खून दौड़ रहा था। वह एक दिन अपने अम्मी रेहाना को बोलकर घर से निकला।
“अम्मी, थोड़े दिन के लिए दिल्ली जा रहा हूँ, वहाँ नौकरी ढूँढता हूँ। सुना है बढ़िया नौकरी मिलती हैं। यहाँ न्यू समर हिल में बढ़िया काम मिलता ही नहीं।“
“हमारा जन्म इधर हुआ, तेरा भी इधर हुआ। हमें किस चीज की कमी है जो दिल्ली जाने की सोच रहा है।“ रोकने की कोशिश की मगर जवान खून झूठ बोलकर बंगले पर पहुँच गया।
बंगले के बाहर एक बोर्ड पर लिखा था। यह प्रॉपर्टी बॉम्बे निवासी विक्रम जोशी की है। बोर्ड धूल और मिट्टी से सना हुआ था।
1960 में हुए हादसे के बाद विक्रम जोशी ने कभी न्यू समर हिल मुड़कर नहीं देखा। उसने बेचने की कोशिश की लेकिन भूतिया बंगले का ठप्पा लगने के कारण बंगला बिका नहीं।
शाहरुख की पीठ पर एक बैग लदा था, जिसमें उसके कपड़े थे।
मियाउँ की आवाज ने शाहरुख का स्वागत किया। जैसे उसने बंगले का मेन गेट खोला। गेट भी जर्जर हालत में था। आज लगभग बीस वर्ष हो गए, किसी ने बंगले की सुध नहीं ली। गेट लगभग एक तरह झुक गया।
एक बार फिर मियाउँ की आवाज आई। सफेद बिल्ली जिसके शरीर पर काली धारियाँ थीं। ऐसी सफेद बिल्ली शाहरुख पहली बार देख रहा था। उसकी आँखें हरी थीं। एक बार बिल्ली को देखकर शाहरुख ठिठक गया। बिल्ली एक टक शाहरुख को घूरे जा रही थी। फिर यह सोचकर, यह तो बिल्ली है, आगे बढ़ गया। बिल्ली उसके पीछे-पीछे चल रही थी।
शाहरुख ने बैठक का दरवाजा खोला। बैठक एकदम चकाचक साफ सुथरी थी। मेन गेट से बैठक तक जंगली झाड़ उगे थे, जैसे वर्षों से किसी ने कोई सुध नहीं ली हो, बैठक एकदम साफ सुथरी है, जैसे अभी-अभी ताजा सफाई हुई हो। सोफा रक्खा हुआ था। सामने बार बना हुआ था। खूबसूरत नक्काशी की हुई लकड़ी की अलमारी में व्हिस्की की बोतलें सजी हुई रक्खी थी।
“कमाल हो गया, अम्मी अब्बू खामख्वाह डरा रहे थे। भूत बसते है। जन्नत है यह बंगला जन्नत। शानदार शराब की बोतलें रक्खी हैं, सोडा भी है, नमकीन भुने काजू भी रक्खे हैं। और क्या चाहिए!”
शाहरुख ने अलमारी खोलकर गिलास निकाला, बोतल खोली, पेग बनाया और पहला घूँट पिया।
“वाह! क्या टेस्ट है। अब तक तो देसी पी है यारों दोस्तों के संग। आज पहली बार अँग्रेजी को टेस्ट किया है। मजा आ गया!”
“रियल्ली!”
शाहरुख ने सिर ऊँचा करके देखा। सामने थ्री-पीस सूट और सिर पर शोला हैट पहने एक अँग्रेज खड़ा मुस्कुरा रहा था।
“आप कौन?” शाहरुख हैरान। यहाँ बंगले में क्या कोई रहता है?”
“जेंटलमैन! रिलेक्स। लगता है, पहली बार जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल पी रहे हो। इसे धीरे-धीरे पीना चाहिए। एक पेग बनाओ। तुम्हें पीना सिखाता हूँ।“
शाहरुख ने पेग बनाकर उस अँग्रेज को दिया।
“एक पेग मेरे लिए भी!” एक महिला स्वर गूँजा।
शाहरुख ने देखा। सामने अँग्रेज महिला खड़ी थी। उसने लाल रंग का गाउन पहना हुआ था और सिर पर हैट था। शाहरुख सोचने लगा, यह क्या गोरखधंधा है? उसने सुना था, यह बंगला भूतिया है। यहाँ कोई रहता नहीं, उजाड़ है। बाहर से उजाड़ दिखता है लेकिन अन्दर से चकाचक है। दो अँग्रेज भी मिल गए। कहीं कोई फिल्मी स्टोरी तो नहीं, जहाँ ऐसी जगह समगलर रहते हैं। दोनों हैट पहने हैं। अँग्रेज समगलर होंगे।
“तुम सोचते बहुत हो।“ अँग्रेज महिला ने पेग बनाया और चीयर्स कहा।
“विलियम, इसको मजे लेने दो। हम कबाब में हड्डी नहीं बनते हैं। चलो हम अपने मजे करते हैं।“
“श्योर डायना डार्लिंग! लेट्स गो।“ दोनों के हाथ में पेग थे और धीरे-धीरे चलते हुए बैठक का एक दरवाजा खोलकर दूसरी ओर चले गए। जाते-जाते शाहरुख को यह कहते चले गए। “थोड़ा प्राईवेट मोमेंट्स।“
शाहरुख समझ गया, दोनों पति पत्नी है। मजे करने दो। अँग्रेज सही बोल गया है। धीरे-धीरे पीना चाहिए। किसी शायर ने सही लिखा है, लेना है मजा पीने का, धीरे-धीरे पिया करो और एक हम है। बोतल मुँह से लगाकर टल्ली हो जाते हैं। उल्टी करते फिरते हैं फिर नाली में गिरे मिलते हैं। कुत्ते हमें चाट रहे होते हैं। कभी किसी अँग्रेज को नाली में गिरे, पड़े, लुढ़का हुआ नहीं देखा। पीने का असली मजा अँग्रेज लेते हैं। तभी तो इंग्लैंड और फ्रांस की शराब मशहूर है। इंडिया में ऐसी शराब बनती ही नहीं।
शाहरुख रात को बहुत देर तक पीता रहा। फिर उसे होश नहीं रहा और बैठक में रक्खे सोफा पर ही लेट गया।
सुबह नींद खुली। बैठक की हालत देखकर हैरान हो गया। कल तो साफ सुथरा था, अब धूल ही धूल है। वो बार कहाँ गया। कोने में टूटी अलमारी थी। कुछ टूटी हुई बोतलें रक्खी हुई थी। यह क्या माजरा है? उसका सिर चकराने लगा।
उसे याद आया। अँग्रेज मियाँ बीवी एक दरवाजा खोलकर गए थे। उसने सारे दरवाजे खोल लिए। कोई दरवाजा बेडरूम में खुलता था, कोई रसोई में, कोई लॉन में खुलता था। सब जगह उजाड़ के सबूत थे। वह डर गया, उसने अपना बैग उठाया और बंगला छोड़ने की ठान ली। वह बदहवासी की हालत में बंगले से जैसे ही बाहर आया, उसे उसका दोस्त आमिर मिल गया।
“अरे शाहरुख, तू यहाँ क्या कर रहा है? तेरे घर गया था। चची बता रही थी, तू दिल्ली चला गया।“
“अब तो दिल्ली जाना पड़ेगा। यह वाकई भूतिया बंगला है।“
“तू डरा हुआ लग रहा है? चल मेरे साथ।“ आमिर शाहरुख को अपने साथ ले गया और मॉल रोड के पास एक चाय की दुकान पर बैठ गए।
चाय की चुस्कियों के बीच आमिर ने शाहरुख से पूछा।
“तू दिल्ली जाने का बोलकर घर से निकला था, भूतिया बंगले कैसे पहुँच गया?”
“अम्मी अब्बू ने इस बंगले को देखने से भी मना कर रक्खा है। इसलिए झूठ बोला। वाकई बंगला भूतिया है।“
एक रात में शाहरुख की डिबरी टाइट हो गई थी। अब आमिर को खुराफात हुई। इस बंगले में जरूर जाना है। जॉनी वॉकर पीने को मिलेगी।“
“तू अकेला गया था, तभी डर गया था। मेरे साथ चल। ऐसा करते हैं, सलमान को भी ले चलते हैं। तीन तिलंगे होंगे। डर भी नहीं लगेगा और मजे भी आएँगे। अरे सलमान को तू पहचाना नहीं अभी तक, अच्छे से अच्छा भूत उसके आगे पानी भरता है। वो अँग्रेज भूत हो ही नहीं सकते। जैसे तूने जॉनी वॉकर पी, वैसे उन्होंने पी। डर मत, वो भी हमारे भाई बंधु लगते हैं। तू यहीं रुक, मैं सलमान को बुलाकर लाता हूँ।“
सामने से सलमान आता दिखाई दिया। तीनों ने वहाँ जाने का एक बार फिर से प्रोग्राम बना लिया।
“देखो भाई लोग। रात का इन्तजार नहीं करना। अभी चलते हैं।“
तीनों तुरन्त बंगले पहुँच गए। बाहर से बंगला पहले की तरह उजाड़ था। मेन गेट खुला था जैसे शाहरुख छोड़कर गया था।
जैसे ही उन्होंने कदम बंगले के भीतर रक्खा, वही सफेद बिल्ली काली धारी वाली मियाउँ मियाउँ कहती मालूम नहीं कहाँ से आ गई।
“बड़ी खतरनाक बिल्ली है, कल भी मिली थी।“ शाहरुख ने बताया।
सलमान पहलवानी करता था, वह बिल्ली को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा। बिल्ली ने एक छलाँग लगाई और झाड़ियों में गायब हो गई।
“निकल गई वरना बिल्ली की इतनी हिम्मत, मेरे को आँख दिखाए। हाथ में आ जाती तो गर्दन मरोड़ कर इसकी आँख की हरी गोटी निकालकर खेलता। चलो अन्दर चलकर देखते हैं।“
बैठक का जैसे ही गेट खोला, शाहरुख चकित हो गया। वहाँ महफ़िल जमी हुई थी। कल वाले अँग्रेज भी थे।
“ओह आज सुबह से तुम्हें ढूँढ रहे हैं। कहाँ चले गए थे तुम। कम ऑन मीट अवेर फ्रेंड्स।“ उस अँग्रेज आदमी जिसका नाम विलियम था, आगे आया और शाहरुख के साथ हैंडशेक किया। “और अपने फ्रेंड्स से मिलवाओ।“
आमिर और सलमान से भी हैंडशेक किया। “लेट्स स्टार्ट दी पार्टी।“
ग्रामफोन पर एक इंग्लिश गाना बजने लगा। सभी अँग्रेज झूमने लगे। उनके हाथ में व्हिस्की के पेग थे। खानसामा ने डाइनिंग टेबल पर स्वादिष्ट व्यंजन रखने शुरू किए।
“वाह, अँग्रेज तो तेरा दोस्त बन गया।“ सलमान ने शाहरुख से कहा।
तीनों बार काउंटर पर गए। महँगे गिलास में जॉनी वॉकर के पेग बनाए। वे तीनों सरूर में थे। सारे अँग्रेज धीरे-धीरे बैठक के कमरे खोलकर चले गए। दिन का समय था। ज्यादा पीने के कारण तीनों दोस्त वहीं लुढ़क गए।
शाम का वक्त था। तीनों को होश आया। तीनों हैरान, अँग्रेज कहाँ गए? दावत कहाँ गई? बैठक उजाड़, धूल मिट्टी से सने फर्श पर तीनों लेटे हुए थे। शाहरुख ने तो सुबह ही यही मंजर देखा था, अब आमिर और सलमान ने भी देख लिया। तीनों की हवाईयाँ उड़ी हुई थीं। तीनों सिर पर पैर रखकर झटपट भागे।
भागते-भागते फिर तीनों उसी चाय की दुकान पर बैठे थे।
अनवर किसी काम से वहाँ से गुजरा। शाहरुख को देखकर हैरान हो गया।
“तू तो दिल्ली गया था, यहाँ कैसे?”
आमिर ने डरते-डरते बंगले की सारी बात बताई। अनवर ने अपना सिर पीट लिया।
“तुझे मना किया था वहाँ जाने के लिए। मैंने तो बंगले में नौकरी की हुई है। वहाँ जितने अँग्रेज नजर आते हैं, सब भूत हैं। मैंने और तेरी अम्मी ने अपनी आँखों से भूतनी देखी हुई है। तुझे बचपन से उसके किस्से सुनाता आ रहा हूँ। तू फिर भी वहाँ चला गया।“
अनवर शाहरुख को घर ले जाते हैं। शाहरुख नहाकर फ्रेश होता है। रात को आमिर और सलमान शाहरुख से मिलने आते हैं।
रात के डिनर के बाद अनवर सबको विलियम और डायना का इतिहास बताता है।
***
भारत जब आजाद हुआ, अँग्रेज इंग्लैंड चले गए। कुछ अँग्रेज यहीं रूक गए। विलियम और डायना भी यहीं रूक गए। डायना विलियम से बेइंतिहा प्यार करती थी तभी उसने नवयुग सिटी के पास नवगाँव के फार्म हाउस को नाम दिया।
विलियम फार्म हाउस
वह एक बड़ा सा फार्म हाउस था जिसके बड़े से लोहे के दरवाजे पर फार्म हाउस का नाम लिखा था।
उस रात फार्म हाउस में अँधेरा था।
फार्म हाउस के भीतर एक बड़ी सी बैठक में खूबसूरत झूमर रोशनी से जगमगा रहा था। अपने बेडरूम से डायना एक खूबसूरत सफेद गाउन पहने इतराती आई। उसने इधर उधर देखा।
“विलियम, तुम कहाँ हो? जल्दी आओ, देर हो जाएगी।“ उन्होने एक दावत में जाना था।
“माय स्वीट हार्ट! आज तुम गजब की खूबसूरत लग रही हो।“
विलियम डायना के पीछे खड़ा हो गया। धीरे से डायना की गर्दन पर एक चुम्बन अंकित किया।
“आज तुम बहुत रोमांटिक हो रहे हो?” डायना ने मचलते हुए कहा और मुड़ी।
डायना ने अपने होंठ आगे किए। विलियम ने एक प्यारा सा चुम्बन डायना के होंठ पर अंकित किया।
“गुड बाय स्वीट हार्ट!” एक खँजर डायना की पतली कमर में घुस गया।
“आ…आह!” एक तड़प भरी सिसकी से डायना को ने विलियम को देखा।
“यह तुमने क्या किया विलियम?”
विलियम के चेहरे पर एक क्रूर मुस्कुराहट थी। “मैंने तुझे आजाद कर दिया।“
विलियम ने हाथ छोड़ा। डायना तड़पती हुई बैठक के सफेद संगमरमर के फर्श पर लुढ़क गई। लाल खून के छींटे चमकते फर्श पर छितर गए। विलियम ने अपने कोट की जेब से एक और खँजर निकाला और डायना की छाती में घोंप दिया। डायना की साँस उखड़ गई। उसकी आँखों की पुतली में खौफ था।
विलियम ने दोनों खँजर डायना के जिस्म से निकाले और मृत डायना को छोड़कर बैठक से बाहर निकला। फार्म हाउस के सभी नौकर छुट्टी पर थे। यूँ कहूँ कि जानबूझकर विलियम ने सब नौकरों को छुट्टी दे रक्खी थी।
विलियम ने कार स्टार्ट की और फार्म हाउस से बाहर आ गया।
***
थोड़ी देर में विलियम की कार न्यू समर हिल की ओर बढ़ रही थी। नवगाँव से न्यू समर हिल की दूरी मात्र चालीस किलोमीटर थी। रात का समय था। पहाड़ की बलखाती टेढ़ी मेढ़ी घुमावदार सड़क पर विलियम की कार कुछ तेज गति से आगे बढ़ रही थी। वह अति शीघ्र न्यू समर हिल के बंगला पर पहुँचना चाहता था।
रात का समय था, कोई ट्रैफिक नहीं था। बस शाम के बाद चलती नहीं थी और रईस अपनी कार में आते जाते थे।
रात के नौ बजे थे। विलियम की कार न्यू समर हिल के बंगला पर रुकी। हॉर्न बजा। नौकर ने गेट खोला। कार पार्क हुई। विलियम तेजी से भीतर गया। बड़ी सी बैठक के एक छोर पर रक्खी अलमारी के आगे काउंटर लगा था। कुर्सी पर बैठा। अलमारी से मनपसन्द व्हिस्की निकाली। एक पेग बनाया। नौकर ने नमकीन काजू की प्लेट विलियम के आगे रक्खी।
“खाना कितने बजे साहब जी?” नौकर अनवर ने पूछा।
“आज बकरे का गोश्त बना दो।“
“जी साहब जी।“
विलियम ने ग्रामफोन पर रिकॉर्ड लगाया। झूमते हुए विलियम ने पेग होंठों से लगाया।
नमकीन काजू की प्लेट उछली और फर्श पर नीचे गिरी।
प्लेट के गिरते ही विलियम चौंका।
फिर उसके सामने रक्खी व्हिस्की की बोतल लुढ़की और फर्श पर गिरकर चकनाचूर हो गई।
यह क्या हुआ? विलियम ने अपनी आँखें मली। कहीं व्हिस्की का सरूर तो नहीं।
उसे महसूस हुआ, जैसे कोई उसकी कुर्सी धीरे-धीरे पीछे सरका रहा है।
“अनवर।“ विलियम लगभग चीखा।
अनवर भागते हुए आया। “जी साहब जी।“
“यह बोतल किसने तोड़ी? काजू की प्लेट किसने नीचे फैंकी? मेरी कुर्सी कौन हिला रहा है?” विलियम के चेहरे पर पसीना था।
बैठक में कोई नहीं था। अनवर ने सोचा, विलियम को चढ़ गई है। “कोई भी नहीं है साहब जी।“
विलियम ने इधर उधर देखा। कोई नहीं था। “ठीक है, गोश्त जल्दी लेकर आओ।“
“जी साहब जी।“ अनवर रसोई वापस चला गया।
विलियम ने एक बोतल और निकाली और नया पेग लगाया। “यह हो क्या रहा है?”
अनवर डिनर ले आया। गोश्त के साथ गर्म नान थे। डिनर वहीं व्हिस्की के काउंटर पर करने लगा। ग्रामफोन पर संगीत बज रहा था। विलियम झूमते हुए डिनर का स्वाद ले रहा था।
“और कुछ साहब जी?” डिनर के बाद अनवर ने जाने की इजाजत लेते समय पूछा।
“तुम जाओ।“
अनवर सर्वेंट रूम की ओर बढ़ चला।
***
विलियम ने सोने से पहले एक पेग और लगाया।
“क्या बात है, आज पेग बहुत लगाए जा रहे हैं?” एक हाथ ने उसके कँधे को छुआ।
“यह कौन है?” विलियम ने मुड़कर देखना चाहा। उसकी आँखें खुली की खुली, फटी की फटी रह गई। उसका सारा नशा उड़नछू हो गया। उसे आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
“असम्भव! तुम यहाँ?”
उसने आगे बढ़कर विलियम की कमर पर हाथ रक्खा। “आज कुछ ज्यादा ही पी ली तुमने!”
“नहीं!” चीखते हुए विलियम पीछे हुआ।
विलियम की चीख सुनकर अनवर वापस आया। वह अपने सर्वेंट रूम नहीं पहुँचा था। “क्या हुआ साहब जी?”
“इसको दूर करो यहाँ से।“
“किसको साहब जी? यहाँ तो कोई नहीं है।“ अनवर को बैठक में कोई नजर नहीं आया।
“वो यहीं है!” विलियम बैठक से भागना चाहता था लेकिन उसके पैर अपने स्थान पर जैसे चिपक गए हों। उसके गले में आवाज फँस रही थी।
अनवर इसे विलियम का मात्र वहम समझ रहा था। उसको वहाँ कोई नहीं नजर आ रहा था। उसने विलियम को कुछ नहीं कहा। मन ही मन सोचने लगा। विलियम ने आज ज्यादा चढ़ा ली है। वह सहारा देने के लिए आगे बढ़ा।
तभी विलियम कुर्सी पर बैठ गया। उसका हाथ हिला, जैसे इशारा किया हो, चले जाओ।
अनवर बैठक का दरवाजा बन्द करके वापस अपने रूम की ओर मुड़ गया।
“स्वीट हार्ट! अनवर चला गया। तुम अपने होश में हो नहीं। मैंने ही तुम्हें कुर्सी पर बिठाया और हाथ हिलाकर अनवर को वापस जाने का इशारा किया है। बेचारे को क्यों डराएँ, उसका क्या कसूर है, कुछ भी नहीं।“
उसने विलियम को कुर्सी से उठाया। उसकी जैकेट उतारी और पीठ पर एक चुम्बन अंकित किया। “तुमने गर्दन के नीचे चुम्बन लिया था। मैं भी वहीं लूँगी।
विलियम की गर्दन के नीचे एक चुम्बन अंकित हुआ। फिर हाथ कमर से लिपटा। एक चुभन सी हुई।
“मेरे प्रिय विलियम! इसे खँजर कहते है।“
उसकी कमर में खँजर घुसा। खून का फव्वारा छूटा। विलियम दर्द से तड़पा।
“दर्द देकर दर्द से तड़प रहे हो। बस एक दो मिनट का समय दो। फिर जहाँ मैं वहाँ तुम!”
उसने विलियम को फर्श पर गिरा दिया।
“डायना तुम ऐसा नहीं कर सकती हो!”
“मेरे प्रियतम ने जब किया, तब मैं क्यों न करूँ। करना तो बनता है।“
डायना ने खँजर विलियम के सीने में घोंप दिया। विलियम तड़पा और प्राण त्याग दिए।
“जैसे तूने मुझे मारा, वैसे मैंने मारा। जैसे को तैसा।“
डायना अदृश्य हो गई।
***
अगली सुबह नवगाँव के फार्म हाउस में सभी नौकर वापस आ गए, जो पिछले दिन छुट्टी पर थे।
“मेम साब, नाश्ते में क्या पसन्द करेंगी?” रसोइए सईद ने पूछा।
डायना अपने बेडरूम से निकालकर बैठक में आई।
“कल तुम सब कहाँ गए थे? शाम के बाद अब नजर आ रहे हो?” डायना सोफा पर बैठ गई। उसने सफेद रंग का गाउन पहना हुआ था। उसकी आँखों का सफेद हिस्सा एकदम लाल और पुतली सफेद थी।
सईद डायना की आँख देखकर पसीने-पसीने हो गया। क्या उसको देखने में धोखा हो रहा है या फिर रात से अभी तक डायना मेमसाब एकदम टुल हैं।
“कहाँ थे तुम सब कल रात को?”
सईद ने घबराहट में हकलाते हुए जवाब दिया। “वो वो मेमसाब फिल्म देखने गए थे।“
“कौन सी देखी?”
“दो गज जमीन के नीचे।“
फिल्म का नाम सुनकर डायना हँसी। उसकी हँसी कर्कश और डरवानी थी।
सईद के पैर डर के कारण वहीं फर्श पर जम गए। डायना धीरे-धीरे सईद के सामने आई। घूर कर सईद की आँखों में देखा। सईद डायना की ओर देख नहीं सका। उसने आँखें बन्द कर ली।
डायना वापस मुड़ी। “सईद तुम बटर टोस्ट के साथ चाय बनाओ। मैं नहाकर आती हूँ।“ डायना अपने बेडरूम की ओर बढ़ चली।
डर के कारण सईद को चक्कर आने लगे। पैर काँपने लगे। मुँह सूखने लगा। आधे मिनट में वो वहीं फर्श पर लुढ़क गया।
डायना ने मुड़कर पीछे देखा। कुटिल मुस्कान के साथ उसने कमरे का द्वार बन्द कर लिया।
थोड़ी देर में सफाई करने वाली नौकरानी सायरा आई। फर्श पर सईद को लुढ़का देखकर चौंक गई।
सायरा ने हाथ लगाकर सईद को हिलाया। “यहाँ क्यों लेटा हुआ है? रसोई में कौन काम करेगा, तेरा बाप?”
सईद ने आँख खोली। उसकी आँखें फटी हुई थीं।
“ऐसे क्यों देख रहा है? तेरे को बोला था, कोई प्रेम श्रेम वाली पिक्चर देखता। क्या जरूरत थी, डरवानी पिक्चर देखने की। दो गज जमीन के नीचे देखने का बड़ा शौक चर्राया था। जैसे पिक्चर में लाश पड़ी थी। वैसा तू यहाँ लेटा पड़ा है।“ सायरा सईद से ठिठोली करने लगी।
सायरा को देखकर सईद की जान में जान आई। वह धीरे-धीरे उठा।
“ऐसे ही लाश पिक्चर में उठी थी। लगता है पिक्चर तेरे दिमाग में सेट हो गई है।“ सायरा ने एक बार फिर से सईद को उठने को कहा। “उठ फटाफट रसोई सम्भाल।“
“मेरे साथ चल एक मिनट के लिए।“ खड़े होते हुए सईद ने सायरा को कहा।
“क्या हुआ?” सायरा ने इशारे से पूछा।
सईद ने मुँह पर उँगली रखकर चुप रहने का इशारा किया।
सायरा सईद के पीछे चुपचाप बैठक से बाहर आई।
“मेमसाब की आँखें देखकर मुझे डर लग रहा है। आँख एकदम लाल है।“
“ज्यादा पी ली होगी। जब तुम पूरी बोतल खत्म करते हो तब तेरी भी आँखें लाल हो जाती हैं।“
“ऐसी बात नहीं है। तू मेमसाब की आँखें देखना।“
“देख मेरे पास फालतू का टेम नहीं है। सफाई के मामले में मेमसाब बड़ी कड़क हैं।“ सायरा कमर मटकाती वहाँ से जा रही थी।
सईद उसकी मटकती कमर देखता ख्यालों में गुम हो गया। काश सायरा उसकी शरीके-ए-हयात बन जाए।
सायरा ने मुड़ कर देखा और आँख दिखाई। “काम कर ले। ख्वाब देखना बन्द कर।“
सईद बटर टोस्ट और चाय बनाने लगा।
सायरा बैठक में गई। सफाई करते समय उसकी नजर फर्श पर बिखरे लाल रंग पर पड़ी।
“पहले यह जगह साफ कर लूँ नहीं तो मेमसाब नाराज हो जाएगी। अँग्रेज हिन्दुस्तान छोड़ गए लेकिन बचे खुचे अँग्रेजों का दिमाग नहीं बदला। नौकरों पर जमकर रौब झाड़ते हैं।
सायरा ने वह जगह साफ की। यह क्या, रंग हल्का हो गया लेकिन छूटा नहीं। खुदा जाने, किस चीज का रंग है। काफी मशक्कत के बाद रंग साफ हुआ तब सायरा को चैन आया।
सईद भी बटर टोस्ट और चाय लेकर आ गया। डाइनिंग टेबल पर ट्रे रक्खी।
“मेमसाब नाश्ता।“
“अन्दर बेडरूम में ले आओ।“
सईद ने बेडरूम में बेड के पास साइड टेबल पर ट्रे रक्ख दी।
डायना ने हाथ से जाने का इशारा किया। सईद के डायना की आँख फिर से देखी। अब सामान्य थीं।
सईद बैठक में से वापस जा रहा था, उसे लाल रंग के धब्बे दिखाई दिए। बाहर निकलकर सायरा पर बिगड़ गया।
“तूने सफाई क्यों नहीं की, मेमसाब बिगड़ गई तो। इतने बड़े लाल धब्बे कौन साफ करेगा?”
“क्या बकवास करता है, अभी तो धब्बे छुटाए हैं।“
“जाकर देख ले।“
सायरा बैठक के फर्श को देखकर अचम्भित हो गई। “यह कैसे हो सकता है। अभी तो सफाई की थी।“
सायरा ने एक बार फिर से फर्श साफ किया। “देखकर तसल्ली कर ले।“ सायरा ने सईद को देखने को कहा।
सईद ने भी देखा। फर्श चकाचक चमक रहा था।
“साब नजर नहीं आ रहे है?” सायरा ने सईद से पूछा।
“कार भी नजर नहीं आ रही है।“ सईद ने सायरा की ओर देखते हुए कहा। उसकी नजर सायरा के जिस्म को ऊपर से नीचे तक देख रही थी।
सायरा समझ गई, सईद उसके ऊपर फिदा है। वह इतराती हुई कमर मटकाती चली गई।
***
शाम के समय एक कार फार्म हाउस में रुकी। कार से एक गोरा चिट्टा अँग्रेज निकला। उसने इधर उधर देखा।
“कोई है?” उसने आवाज लगाई।
“वेलकम पीटर!”
उसका नाम पीटर था। पीटर ने आवाज की दिशा में देखा। हाथ में सुर्ख लाल गुलाब लिए डायना उसकी ओर बढ़ रही थी।
पीटर अवाक रह गया। यह यहाँ? अपने हावभाव को नियन्त्रित करके पीटर ने हाथ डायना की ओर बढ़ाया।
गुलाब का रंग एकदम सुर्ख लाल लगभग मैरून था। डायना ने गुलाब पीटर को दिया। पीटर के हाथ से गुलाब छिटक कर गिर गया। तेज काँटा उसके हाथ में चुभा।
“क्या हुआ पीटर?”
“वो काँटा?”
“चुभ गया?”
पीटर चुप रहा।
“चलो पीटर, अन्दर चलते हैं। आराम से बैठकर बात करते हैं।“
डायना ने पीटर के हाथ में हाथ डाला और फार्म हाउस की बैठक की ओर चल दी। रास्ते में सायरा नजर आई।
“सईद को भेज।“
सईद तुरन्त हाजिर हो गया।
सईद को नाश्ता बनाने को कहा। “सईद तुम्हें मालूम है, पीटर विलियम का बेस्ट फ्रेंड है। इसको पनीर चिकन टिक्का बहुत पसन्द है। फटाफट बना कर ले आ।“
सईद ने डायना की आँखों की ओर देखा। अब आँख सामान्य थीं।
“जी मेमसाब।“ कहता हुआ सईद रसोई की ओर बढ़ चला। वह बड़बड़ा रहा था। आखिर हो क्या रहा है?
“पीटर विलियम साब का खास दोस्त है। खातिरदारी पूरी करियो।“ सायरा ने सईद को छेड़ा।
“तू चुप रह। अपने काम से मतलब रख। मुझे सब मालूम है।“
“वैसे सुबह से विलियम साब तो नजर आए नहीं। उनका दोस्त आ गया।“
“इन अँग्रेजों की दुनिया हम हिन्दुस्तानियों से जुदा है। तू नहीं समझेगी।“
“हाँ, लाटसाब तो तू है। सारी समझ तो तुझे है।“
सईद ने घूरकर सायरा को देखा और नाश्ता बनाने में जुट गया।
***
डायना पीटर के साथ बैठक के एक कोने में बने बार के सामने गोल टेबल पर बैठ गई।
“मुझे मालूम है पीटर को ब्लैक लेबल पसन्द है।“ डायना ने बोतल खोली। दो पेग बनाए।
“चियर्स!”
“विलियम नजर नहीं आ रहा?” पीटर ने पेग उठाया।
“कभी मेरे साथ भी बैठो पीटर। जब भी तुम आते हो, विलियम के संग क्या गुडगुड करते रहते हो।“
पीटर ने डायना की ओर देखा। तभी सईद रोस्टेड पनीर चिकन टिक्का बना लाया।
“सईद अब तुम जाओ। हम डिनर बाहर रेस्त्रां में करेंगे।“ डायना ने हाथ से जाने का इशारा किया।
सईद ने एक बार फिर से डायना की आँखें देखी। उसके पैर देखने की कोशिश की।
“सईद तुम अभी तक खड़े हो।“ डायना अब की बार चिल्लाई।
“बेचारे पर क्यों गरम हो रही हो। मुझे लगा कहीं उसका खड़े-खड़े पिशाब न निकल जाए।“ पीटर ने एक टिक्का मुँह में डाला।
“तुम्हारा खानसामा बढ़िया है। बेकार डाँट लगा दी।“
डायना ने पीटर की किसी बात का जवाब नहीं दिया।
***
डाँट खाने के बाद सईद घबरा कर तेज कदमों से रसोई में चला गया।
“क्या बात है, पसीने आ रहे हैं। कहीं कोई भूत तो पीछे पड़ गया।“ सायरा रसोई में चिकन टिक्का का स्वाद चख रही थी।
“मेमसाब की आँखें देखकर डर लगने लगता है। तू देखकर मुझे बताना। आज सुबह उनकी आँख की पुतली का सफेद वाला हिस्सा एकदम खून की माफिक लाल था और पुतली सफेद। अभी सामान्य है।“
“ये अँग्रेज औरतें पीती बहुत हैं। पूरी बोतल पीकर डकार तक नहीं लेती है। तेरी आँखें तो एक पव्वे में लाल सुर्ख हो जाती हैं।“ सायरा ने हँसते हुए सईद को कहा।
“एक बात समझ नहीं आ रही है। कल विलियम साब ने हमें छुट्टी दे दी। फिल्म देखने के पैसे भी दिए। आज मेमसाब कह रही हैं। रात खाने की छुट्टी। डिनर करने रेस्त्रां जा रहे हैं।“
“विलियम साब नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी कार भी नहीं है।“
“मालूम नहीं, कहाँ हैं। यह क्या चिकन टिक्का खत्म। बड़ी चटोरी है। सब चट कर गई।“
“स्वाद बहुत था।“
“और खाएगी?”
“एक पव्वा भी पिला दे।“
“शरारती हो गई है तू।“
***
“विलियम कब आएगा? उसने मुझे बुलाया था।“ पीटर को डायना के संग समय बिताने में कोई रुचि नहीं थी। वह अपना उद्देश्य पूरा करना चाहता था।“
“नवयुग सिटी में नया रेस्त्रां खुला है। विलियम वहीं मिलेगा।“
“मुझे वापस भी जाना है।“ पीटर ने एक घूँट में अपना पेग खत्म किया।
“चलें?” डायना उठी और पीटर के साथ बैठक से बाहर आई।
पीटर ने कार स्टार्ट की। फार्म हाउस से कार निकली और नवगाँव को पार करके मुख्य सड़क पर फर्राटे के साथ नवयुग सिटी की ओर बढ़ रही थी।
डायना ने कार के स्टेयरिंग पर एक हाथ मारा। पीटर हैरान हो गया, डायना को क्या हो गया है।
“बैलेंस बिगड़ जाएगा।“
“तो क्या हुआ, यही तो जीवन का रोमांच है।“ डायना ने पीटर का एक हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से स्टेयरिंग घुमा दिया।
कार का बैलेंस बिगड़ा और कच्ची सड़क पर उतर गई। पीटर ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की। डायना के हाथ का फँदा फौलाद जैसे हो गया। दूसरे हाथ से स्टेयरिंग को पूरा घुमा दिया।
कार का बैलेंस बिगड़ा और सड़क से नीचे बने खेत और सड़क के बीच नाले में गिरी। कार उलट गई। पीटर कार में फँस गया।
डायना हँसती हुई कार से निकली और अदृश्य हो गई।
पीटर उलटी कार से निकलने का प्रयास करने लगा लेकिन निकल नहीं पाया। कार में नाले का गंदा पानी भी घुस गया। बदबू के कारण उसका दम घुटने लगा।
***
नवयुग सिटी पुलिस स्टेशन में डायना ने प्रवेश किया।
“इंस्पेक्टर साहब, नवगाँव और नवयुग सिटी के बीच एक शराबी की कार नाले में गिर गई है। शायद वो मर गया है नहीं तो मर जाएगा।“
“आप कौन?” इंस्पेक्टर ने डायना की ओर देखा।
“आपको बताना था, बता दिया। गुड नाइट।“ डायना इंस्पेक्टर के सामने देखते-देखते अदृश्य हो गई।
इंस्पेक्टर का मुँह खुला का खुला रह गया। वह अपनी कुर्सी पर जमा का जमा रह गया।
कांस्टेबल बाहर बीड़ी फूँक रहा था।
“जरा साहब को अन्दर देख ले। तबीयत ठीक नहीं है।“ डायना ने कांस्टेबल के मुँह से जलती बीड़ी खींची। अपने होंठों पर लगाई।
कांस्टेबल को सिर्फ बीड़ी नजर आई। डायना अदृश्य थी।
“भू भू भूत!” कांस्टेबल वहीं लम्बलेट हो गया।
“कम्बख्त भूत से डर गए। मैंने तो डराया भी नहीं। मैंने तो बीड़ी के दो सुट्टे क्या लिए, कांस्टेबल तो बेहोश हो गया।“
डायना ने पुलिस स्टेशन के फोन से पुलिस कंट्रोल रूम, एम्बुलेंस और मुख्य सरकारी अस्पताल के साथ फायर ब्रिगेड को भी फोन कर दिया।
कंट्रोल रूम से मैसेज मिलते ही नजदीकी पुलिस स्टेशन से पुलिस जीप दुर्घटना स्थल पर पहुँची।
क्रेन की सहायता से कार को नाले से बाहर निकाला। पीटर की हालत बहुत नाजुक थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया।
***
अगले दिन सुबह उसे होश आया। उसने अपनी पत्नी एना को सन्देश भिजवाया। एना भागती अस्पताल आई।
“एना तुम डायना से बच कर रहना। मुझे बहुत डर लग रहा है। उसने ही मेरा एक्सीड़ेट कराया है।“
“डायना कहाँ है?”
“मुझे नहीं मालूम।“
“तुम तो विलियम से मिलने गए थे। वो कहाँ है?”
“मैं विलियम से नहीं मिल सका। वो अपने फार्म हाउस में नहीं था। उससे मिलना जरूरी है। एक काम करो, विलियम से मिलो। मैं तो अभी अस्पताल से हिल नहीं सकता हूँ।“
एना डॉक्टर से मिलकर पीटर के स्वास्थ्य का हालचाल पूछकर अस्पताल से निकली।
एना ने कार स्टार्ट की।
“फार्म हाउस ले लो।“
एना ने मुड़कर देखा। पिछली सीट पर डायना बैठी थी।
“तुम कब आईं?”
“बस पीटर को देखने अस्पताल आई थी। उसको बोलो, थोड़ी कम पिया करे। नशे में कार ठोक दी।“
एना ने कार में ज्यादा बातचीत नहीं की। थोड़ी देर में कार फार्म हाउस में थी।
“सईद, एना आई है। बढ़िया खाना बनाओ।“ डायना बैठक में एना के साथ बैठ गई।
“सायरा कल पीटर आया था। आज एना आई है। इन अँग्रेजों की एक बात समझ नहीं आती।“
“क्या बात?” सायरा को वो बात जाननी थी।
“ये अँग्रेज पति पत्नी एक साथ क्यों नहीं आते हैं?”
“बड़े लम्पट होते हैं। एक से दिल नहीं भरता है। दूसरों से नैन मटक्का बहुत करते हैं।“
“लगता तो यही है तभी कल पीटर आया था लेकिन ये क्यों आई है। विलियम साब नजर नहीं आ रहे हैं।“
***
बैठक में एना को बिठाकर डायना अपने बेडरूम में चली गई।
सईद नाश्ता ले आया।
“विलियम कहाँ है?” एना ने सईद से पूछा।
“फार्म हाउस में कल से नजर नहीं आ रहे हैं।“
“कहाँ गए है?”
“मालूम नहीं।“ सईद ने एना की भी आँखें देखी जो सामान्य थीं। उसने ज्यादा बात करना उचित नहीं समझा और यह पूछता हुआ वापस चला गया। “और कुछ आपको चाहिए। अपनी पसन्द बताइए?”
“यह डायना कहाँ चली गई?”
“मैं तेरे पीछे हूँ।“ डायना ने एना के गले में अपनी बाँहों को डाला।
सईद चौंक गया। डायना अचानक से कैसे और कहाँ से आई। सईद को डायना की आँखें देखकर चक्कर आने लगे। डायना की आँख की पुतली सफेद और आँख का सफेद भाग लाल था। डायना की गर्दन घूमी।
“सईद यहाँ खड़े-खड़े क्या कर रहे हो। रसोई में जाओ और अपना काम करो।“
सईद मुड़ कर जाने ही वाला था। डायना ने एक कस कर सईद के पिछवाडे पर लात जमाई। सईद लुढ़कने लगा और गिरते पढ़ते बैठक से बाहर गया।
सईद पसीने से तरबतर हो गया। वह हाँफ रहा था।
“क्या हुआ?” सायरा ने पूछा।
“मैं जा रहा हूँ।“
“कहाँ?”
“भाड़ में जाए नौकरी। मैं यहाँ एक मिनट नहीं रुक सकता।“
“रुकने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। खिसक ले अभी फ़ौरन।“ सामने डायना खड़ी थी। डायना ने खींच कर एक थप्पड़ सईद को मारा। सईद की आँखों के आगे तारे चमकने लगे।
“तू खड़ी-खड़ी कौन सा तमाशा देख रही है। तू भी खिसक ले।“ डायना ने सायरा को भी धमकाया।
सईद के साथ सायरा की भी सिटिपिटी गुम थी। डायना बैठक में जाने के लिए मुड़ी, एना बाहर आ गई थी।
“एना, नवयुग सिटी के रेस्त्रां में खाने के लिए चलते हैं। सईद का दिमाग खराब हो गया है।“
“विलियम कहाँ है?” एना ने चारों तरफ नजर घुमा कर पूछा।
“क्यों नैन मटक्का करना है। मेरे से बात नहीं कर सकती है क्या? बता विलियम से ऐसा कौन सा काम आन पड़ा?”
एना डायना का उग्र स्वभाव देखकर थोड़ा डर गई।
“मैं चलती हूँ। अस्पताल में पीटर को भी देखना है।“ एना ने कार का दरवाजा खोला। बैठकर कार स्टार्ट की और फार्म हाउस से बाहर आ गई।
कार के जाते ही सईद कान पकड़कर कहने लगा।
जल तू जलाल तू, आई बला को टाल तू
सायरा की भी हालत बिगड़ने लगी।
***
नवगाँव की सीमा समाप्त होते ही खाली सड़क पर एना ने कार की स्पीड तेज की।
“बहुत जल्दी है। कार की स्पीड कम करके मुझसे भी बात कर ले।“
एना चौंक गई। आवाज डायना की थी। ये कार में कब बैठी। एना के पसीने छूटने लगे।
“तुम।“
“क्या तेरी कार में नहीं बैठ सकती?” डायना पिछली सीट पर बैठी थी। थोड़ी आगे हुई। उसके हाथ एना की गर्दन पर रैंगने लगे।
एना की घबराहट तेज होने लगी। डायना के हाथ का शिकंजा एना की गर्दन पर सख्त होने लगा। सामने से एक ट्रक आ रहा था। एक जोरदार धमाका हुआ। कार ट्रक में समा गई। डायना अदृश्य हो गई।
***
“हाय पीटर! तबीयत कैसी है?” अस्पताल के बेड पर लेटे पीटर के सामने डायना मुस्कुरा रही थी।
पीटर हैरानी से डायना को देखता रहा।
“अरे साथ वाला बेड भी खाली है। तेरा टाइम पास अच्छा होगा। एना की कार ठुक गई है।“
पीटर की हालत बिगड़ने लगी। वह डायना को देख रहा था। उसके बाल ब्राउन से सफेद हो गए। आँख की पुतली का रंग सफेद से लाल हो गया। पीटर चीखना चाहता था मगर चीख नहीं सका।
नर्स ने पीटर को इंजेक्शन लगाया।
थोड़ी देर में साथ वाले बेड पर एना आ गई। एक्सीड़ेंट में एना को बहुत चोट लगीं। डॉक्टर एना के इलाज कर रहे थे। डायना पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी।
“उसको कहो, चली जाए।“
“किसको?” नर्स ने पूछा।
“तुम्हारे साथ खड़ी है।“ लड़खड़ाती आवाज में पीटर ने नर्स को बताया।
नर्स ने इधर उधर देखा। “कोई नहीं है?”
“है वो है।“ पीटर ने हाथ से इशारा किया।
डॉक्टर ने भी देखा। नर्स को कहा। “इसको नींद का इंजेक्शन लगा दो। बहकी हुई बात कर रहा है।“
“इंजेक्शन से नींद आ जाएगी। सोने से पहले बता दे, विलियम से कौन सा काम था?” डायना ने पीटर के कान में कहा। डायना अदृश्य थी।
पीटर के हाथ पैर फूलने लगे। नर्स ने तगड़े डोज़ वाला इंजेक्शन लगाया। बिना उत्तर दिए पीटर सो गया।
एना भी बेहोश थी।
***
“साब, मेमसाब नहीं आईं। उन्होंने कब आना है?” अनवर ने न्यू समर हिल के बंगले में विलियम से पूछा।
विलियम शून्य भाव से अपने बेडरूम की बड़ी खिड़की के पास कुर्सी पर बैठा सामने की पहाड़ी को देख रहा था।
विलियम ने कोई उत्तर नहीं दिया। मुड़ कर देखा और हाथ के इशारे से जाने को कहा।
अनवर बाहर आकर सोचने लगा। दो दिन पहले रात के समय बंगले पर आए। डायना मेमसाब नहीं आई। जबसे आएँ हैं, गुमसुम हैं। वह बंगले में बने सेरवेंट क्वार्टर में अपनी पत्नी रेहाना से बात करने लगा।
“कुछ समझ नहीं आ रहा है। बड़ा अजीब सा रवैया है।“
“मियाँ बीवी की लडाई हुई होगी। तू चिन्ता मत कर।“ रेहाना ने थाली उसके सामने रक्खी। “तू रोटी खा।“
रेहाना की बात मान कर अनवर ने खाना खाया और फिर बिस्तर पर लेट गया।
“बिस्तर पर लेट गया। चल उठ, थोड़ा टहल कर आते हैं।“
अनवर बेमन उठा और बंगले से बाहर सड़क पर टहलने लगा। रेहना उसके साथ धीरे-धीरे चल रही थी। हल्की-हल्की ठण्डी हवा चल रही थी। गुलाबी ठण्ड का सुहाना मौसम था।
विलियम कमरे से बाहर आया और सीधा बंगले से बाहर चला गया।
“साब कहाँ जा रहे हैं?” बंगले से बाहर विलियम को जाते देख रेहाना ने अनवर से पूछा।
“मालूम नहीं। तेरी बात में दम है। शर्तिया मियाँ बीवी की जमकर लड़ाई हुई है।“
अभी दोनों बात ही कर रहे थे। बंगले के गेट पर डायना नजर आई।
“मेमसाब!” रेहाना ने अनवर को कोहनी मारी।
अनवर आँखें फाड़कर डायना को देखने लगा। यह बाहर से कैसे आई। साब बाहर और मेमसाब अन्दर? ताज्जुब की बात है।
डायना ने दोनों को देखा। उनके आगे तन कर खड़ी हो गई।
“तुम्हें कोई काम धाम नहीं है। बाहर घूमने निकल पड़े हो। बटर टोस्ट और चाय लेकर अन्दर आओ।“
अनवर और रेहाना अचानक से डायना को देखकर स्तब्ध रह गए। अनवर रसोई में डायना के आदेश का पालन करने चला गया।
रेहाना अपने कमरे में चली गई।
“विलियम कहाँ है?” डायना ने अनवर से पूछा जो उसे बटर टोस्ट और चाय देने आया था।
“आपके आने से कुछ सेकंड पहले बंगले से बाहर गए हैं।“
“ठीक है। तुम आराम करो।“
“डिनर में क्या पसन्द करेंगी?” जाने से पहले अनवर ने पूछा।
“कुछ नहीं, मैं आराम करूँगी।“ डायना ने हाथ से जाने का इशारा किया।
***
विलियम नवगाँव के फार्म हाउस पहुँचा। वहाँ शमशान जैसा सन्नाटा था।
सईद डायना से डाँट खाने के बाद और उसकी पुतलियाँ देखकर इतना डर गया था कि वह सायरा के साथ बोरी बिस्तर संग रातों रात नौ दो ग्यारह हो गया।
रात के समय एकदम अँधेरा था। विलियम बेडरूम में गया।
“भूत बंगला बन गया है यह फार्म हाउस। सोचा था रोजी के साथ रहूँगा। रोजी कहाँ होगी। उसके साथ लंदन में जाकर रहता। अभी भी रह सकता हूँ। मेरी इच्छा अब भी पूरी हो सकती है। पीटर को बुलाया था। उसने यह फार्म हाउस और बंगला खरीदना था। मैंने रोजी संग लंदन जाना था। अब अँग्रेज वापस जा चुके हैं। मेरा दिल भी यहाँ नहीं लग रहा था। मालूम नहीं डायना क्यों हिन्दुस्तान से चिपकी हुई है। यह पीटर कहाँ रह गया?”
विलियम उधेड़बुन में था। पूरे फार्म हाउस में अकेला था। उसे मालूम था, अब वह इनसान नहीं है फिर भी रोजी की चाहत समाप्त नहीं हुई थी।
उधर डायना न्यू समर हिल के बंगले में विलियम को ढूँढ रही थी। यह भी इतफाक रहा, उसके आने से पहले चला गया। आखिर पीटर उससे मिलने क्यों आया था।
रात के बारह बजे थे। काली अमावस की रात। बादल छाए हुए थे। फार्म हाउस में सन्नाटा था और न्यू समर हिल के बंगले में भी सन्नाटा था।
अनवर और रेहाना सो रहे थे। रेहाना को कुछ आहट सी सुनाई दी। वह सतर्क हो गई। उसने अनवर की ओर देखा। वह गहरी नींद में सो रहा था।
किसी के कदमों की आहट थी। रेहाना सोच में डूब गई। इस आधी रात को कौन हो सकता है? कदमों की आहट नजदीक सुनाई देने लगी। रेहाना डर गई। उसने अनवर को हाथ लगाया। अनवर गहरी नींद में था, वह नहीं उठा। कदमों की आहट उसके कमरे से बाहर थी। रेहाना ने अनवर को जोर से हिलाया। हड़बड़ा कर अनवर उठा।
“क्या हुआ?”
“शश…बाहर कोई है?”
“रात को कौन हो सकता है?” अनवर भी परेशान हो गया।
“रात को भूत घूमते हैं।“ रेहाना घबराई हुई थी।
“कमरे का दरवाजा नहीं खोलना है।“ अनवर ने रेहाना का हाथ पकड़ लिया।
रेहाना डर कर अनवर से चिपक गई।
कदमों की आहट उसके कमरे के दरवाजे से थोड़ी दूर हुई। आवाज कमरे के पीछे चली गई।
रेहाना और अनवर बंगले के पिछले हिस्से में बने सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे और उसके पीछे एक खाई थी।
“पीछे खाई की तरफ कौन जा सकता है?”
“बिल्ली?”
“बिल्ली दबे पाँव चलती है। यह तो सैंडल की आवाज लग रही है।“
“मेमसाब तो नहीं?”
“इस समय पीछे क्यों जाएगी?”
दोनों चुप हो गए। फिर आवाज बन्द हो गई। कुछ पल की शान्ति रही।
“देखो तो सही, बाहर कौन है?” रेहाना डरी हुई थी लेकिन उसको उत्सुकता थी, इस समय कौन हो सकता है। कहीं चोर तो नहीं?
अनवर ने कमरे में रक्खा मोटा डंडा उठाया जो उसने बिल्ली और कुत्तों को भगाने के लिए रक्खा हुआ था। डंडे को मजबूती से पकड़ा और धीरे से कमरे का दरवाजा खोला। उसके साथ रेहाना भी थी। उसने मीट काटने वाला एक बड़ा छुरा उठा लिया।
दोनों धीरे-धीरे बंगले के पीछे की ओर चले। इस समय सन्नाटा पसरा था।
तभी सामने से डायना आती नजर आई। उसकी आँखें सुर्ख लाल थीं। बाल बिखरे हुए थे। अनवर और रेहाना स्तब्ध रह गए। उनको कुछ नहीं सूझा, वो क्या करें?
डायना उनके आगे रुकी। बोली कुछ नहीं। उसकी आँखें सब बोल रही थी। आँख का सफेद हिस्सा एकदम सुर्ख लाल अमावस की रात में चमक रही थीं। पुतली सफेद थी। अनवर और रेहाना लड़खड़ा कर गिर पड़े।
“रात के समय जब नींद आ रही हो, कमरे से बाहर नहीं निकलते हैं। पीछे खाई है, पैर फिसला तब सीधा खाई में।“ डायना उनके सामने अदृश्य हो गई। अनवर के साथ रेहाना वहीं लुढ़क गए।
***
अस्पताल के कमरे में सन्नाटा था। पीटर और एना सो रहे थे। नर्सिंग स्टेशन पर दो नर्स गप्पें ठोक रही थीं।
कुछ कदमों की आहट सुनाई दी। एक नर्स ने दूसरी नर्स की ओर देखा। दोनों चुप हो गई। उनके आगे कदमों की आहट रुकी। किसी के नरम मखमली हाथ ने बारी-बारी से उनके गालों को छुआ। हँसी की आवाज आई। फिर कदम आगे चल दिया।
कौन था? दोनों को कुछ नजर नहीं आया। दोनों को चक्कर आने लगे और एक दूसरे पर लुढ़क गईं।
कदमों की आहट उस कमरे के भीतर चली गई जहाँ पीटर और एना सो रहे थे।
एक हाथ ने झटके से पीटर को कसकर झापड़ मारा। पीटर की आँख खुली, उसे कोई नजर नहीं आया। तभी एक झापड़ और पड़ा। पीटर की आँख के आगे तारे नाचने लगे। आवाज गले में रुंध गई। कोई उसके सीने के ऊपर चढ़ कर बैठा है। पीटर हाँफने लगा। वह बोलना चाह रहा था लेकिन गले से आवाज नहीं निकली।
“बोल विलियम से तेरे को क्या काम था। तुम दोनों एक दूसरे को क्यों ढूँढ रहे हो?”
आवाज डायना की थी।
“तुम कहाँ से बोल रही हो?” बहुत मुश्किल से पीटर बोल सका।
“तेरी छाती पर सवार हूँ। जब तक सच नहीं बोलेगा, छोड़ूंगी नहीं।“
“वो फार्म हाउस और बंगला बेचना चाहता है। वो रकम के साथ लंदन में रहना चाहता है।“
“दोनों तो मेरे नाम हैं। तुझे मालूम है न, मैंने इंडिया में रहना है।“
“तुम मुझे छोड़ दो। यह बात तुम विलियम से पूछो।“
“एक आखिर बात और बता दे। विलियम अकेला जा रहा था या फिर किसी के साथ?”
“वो रोजी के साथ चक्कर में है।“
“ठीक है उस चुड़ैल को देख लूँगी। अच्छा बाय।“ डायना चली गई।
पीटर ने चैन की साँस ली। उसकी छाती के ऊपर से बोझ हटा।
***
विलियम सोच में डूबा था। अब वह इंग्लैंड नहीं जा सकता है। पीटर आए या नहीं आए, अब कोई फर्क नहीं पड़ता है। उसे रोजी के पास जाना ही होगा। अब बाकी समय उसके साथ रहूँगा। वह भूत है त क्या हुआ रोजी के साथ अब रहना ही है।
यही सोचकर विलियम बाहर निकला। फार्म हाउस में कोई नहीं था। एकदम अँधेरा और सन्नाटा था। दूर कहीं किसी बिल्ली की रोने की आवाज आई।
विलियम के होंठों पर कुटिल मुस्कान थी। ये बिल्लियाँ रात को रोकर लोगों को डराती बहुत हैं। रात सोने के लिए है। चिल्ल करने का वक्त होता है। उसी टाइम ये बिल्लियाँ रंग में भंग डालती हैं।
***
रोजी नवयुग सिटी अपने घर में ग्रामाफोन पर मन पसन्द संगीत सुन रही थी। उसने लाल रंग का लम्बा गाउन पहना था।
उसके हाथों को किसी ने छुहा।
“ओह माय गॉड। आई कांट बिलिव। तुम कब आए, मुझे मालूम ही नहीं चला।“ रोजी खुशी से झूम उठी। उसका प्यार विलियम सामने था।
“जब प्यार में दिल गुम होता है तब प्रेमी के आने का मालूम ही नहीं होता।“ विलियम ने अपने हाथ आगे बढ़ाए।
रोजी कुर्सी से उठी। वह विलियम से मिलने के लिए कदम बढ़ाया। उसके पैर वहीं ठिठक गए। उसे लगा, कोई उसका गाउन पीछे से खींच रहा है।
“क्या हुआ रोजी, आओ मेरी बाँहों में समा जाओ।“ विलियम ने अपनी बाँहों को फैलाया।
रोजी आगे बढ़ी। अचानक से किसी ने उसे धक्का दिया। रोजी हड़बड़ा कर विलियम के ऊपर गिरी। रोजी का मुँह विलियम के मुँह पर था।
“तुम्हारा मुँह इतना गर्म क्यों है?”
“तुम्हारे प्रेम की गर्मी है।“
तभी किसी ने रोजी को खींचा। वह लड़खड़ाती हुई ग्रामाफोन पर गिरी। ग्रामाफोन फर्श पर गिरकर चकनाचूर हो गया। रोजी इधर उधर हैरानी से देखती रही।
तभी एक मुक्का विलियम के गाल पर पड़ा। वह बड़बड़ाया।
“डायना तुम?”
डायना अदृश्य थी। रोजी को नजर नहीं आई। वह हैरान थी। कोई विलियम को खींचता हुआ कमरे से बाहर ले गया।
रोजी को इतना सुनाई दिया। “तुमने रोजी के चक्कर मुझे मारा।“
यह तो डायना की आवाज है। रोजी उसकी आवाज को पहचान गई। वह बाहर दूसरे कमरे में आई, जहाँ से डायना की आवाज आ रही थी। कमरे में उसे कोई नजर नहीं आया लेकिन कमरे में लात घूँसों की आवाज आ रही थी।
“मैं तुझे छोडूँगी नहीं। मेरे में क्या कमी है जो रोजी के चक्कर में मेरे को मार दिया। एक भार उसके ऊपर गिरा। रोजी का दम घुटने लगा। यह डायना का शरीर था।
अदृश्य डायना रोजी का गला दबाने लगी। रोजी तड़प रही थी। विलियम ने डायना को पकड़ा। डायना ने रोजी का गला नहीं छोड़ा। डायना उसकी छाती पर कूदने लगी। विलियम डायना को रोजी से हटा नहीं सका। डायना रोजी के सीने पर नाचते हुए गला दबाए जा रही थी। कुछ देर में तड़पते हुए रोजी की साँस थम गई।
“तूने रोजी को मार दिया?”
“हा हा हा, तूने मुझे मारा। मैंने तेरे प्यार को मार दिया। टंटा ही मुका दिया।“
डायना चली गई। दुनिया से विलियम रुखसत पहले ही हो चुका था। रोजी की रुखसती उसे अखर रही थी।
अनवर ने शाहरूख और उसके दोस्तों को डायना और विलियम की पूरी कहानी सुनाई और चुप हो गया। शाहरूख के साथ आमिर और सलमान भी स्तब्ध थे।
***
भूतलोक में थानाराम के सामने डायना और विलियम बैठे थे। लेमन सोडा पीते हुए थानाराम ने दोनों से पूछा।
“पृथ्वीलोक क्या करने गए थे? जब तुम्हें मालूम है, बिना आज्ञा भूतलोक से बाहर जाना प्रतिबंधित है।“
थानाराम का गुस्सा भाँपते हुए डायना ने क्षमा माँगी। “बस अचानक से देखा कि न्यू समर हिल के बंगले में कोई गया। कल अकेला आया था, आज दो और उसके साथ आ गए। मुझे लगा, कोई रहने आया है। इसलिए विलियम को भेजा, फिर मैं भी चली गई।“
“वो तो मौज मस्ती के लिए गए थे, तुम इतना चिन्तित क्यों हो?” थानाराम का लेमन सोडा खत्म हो गया था। उन्होंने एक गिलास और अपने सामने रक्खा।
“जब तक भूत हूँ, उस बंगले और फार्म हाउस में किसी को बसने नहीं दूँगी। यह सब विलियम का किया धरा है। उस रोजी के चक्कर में मुझे भूतनी बना दिया। खुद भी भूत बना। रोजी, पीटर और एना को भी भूत बना दिया।“
“तुम मनोगी नहीं!” थानाराम ने डायना को लेमन सोडा पीकर अपना भूत दिमाग ठण्डा रखने की सलाह दी।
“दिमाग मेरा ठण्डा ही रहता है, बस अपनी भूत योनि में मेरी प्रॉपर्टी उजाड़ ही रहेंगी।“
“वैसे विक्रम जोशी और सुजीत बंसल भी मर गए हैं।“
“उनके बच्चे प्रॉपर्टी जरूर बेचने की कोशिश करेंगे। मेरा भूतिया दिमाग इस बात की गवाही दे रहा है।“
“पृथ्वीलोक में महिलायों के दिमाग से कोई जीत नहीं सकता। यहाँ भूतलोक में भूतनियों के दिमाग से कोई जीत नहीं सकता है।“ थानाराम ने लेमन सोडा का गिलास खत्म किया और विलियम से पूछा।
“और विलियम तुम क्या सोच रहे हो?”
“भूत बनने के बाद मैंने डायना की हर बात मानी है। नीचे पृथ्वीलोक में जो गलती की, उसकी क्षतिपूर्ति कर रहा हूँ। डायना का हर भूतिया काम में साथ देना है।“ विलियम ने अपने भूतिया दिल की बात बताई।
थानाराम कुछ नहीं बोले, बस मुस्कुरा दिए।
“आपकी मुस्कान बड़ी कातिल और जालिम है थानाराम जी!” डायना ने जैसे ही पूछा, थानाराम ने लेमन सोडा का एक और गिलास उठा लिया।
“मेरी एक बात पल्ले बाँध लो, किसी को मारना नहीं है। डरा कर प्रॉपर्टी से भगा देना, जैसे तीन लड़कों को भगाया है।“
“अगर नहीं भागे तो?”
“आज बीस साल से भागते रहे हैं। बाकी भी भाग जाएँगे। और बिना बताए भूतलोक छोड़ना नहीं है, नहीं तो भूतिया गुफा में कैद की सजा सुना दूँगा। वहाँ से निकल नहीं सकोगे।“
“मेरा वादा रहा।“ डायना ने थानाराम को आश्वासन दिया। फिर पूछा। “आप लेमन सोडा बहुत पीते हो?”
“तुम अँग्रेज व्हिस्की पीते हो। हम इंडियन लेमन सोडा पीते हैं।“
डायना हँस दी।
“विलियम तुम क्यों नहीं हँसते?” थानाराम ने पूछ ही लिया।
“मैंने इसकी हँसी भूत बनाकर बन्द कर रक्खी है। “ डायना हँसते हुए लोटपोट हो गई। विलियम थोड़ा मुस्कुरा दिया।
***
सुजीत बंसल की मृत्यु के पश्चात उसके बच्चों ने व्यापार सम्भाला। प्रॉपर्टी की लिस्ट बनी और उसके लड़कों में विभाजित हुई। एक फैक्टरी के साथ नवगाँव वाला फार्म हाउस बड़े लड़के अनूप बंसल के हिस्से आया। बैंक से लोन लेने के चक्कर में उसे गिरवी रखना था। बैंक मैनेजर के साथ अनूप बंसल नवगाँव पहुँचा।
“इतना बड़ा फार्म हाउस लावारिस छोड़ रक्खा है। कमाल की बात है?” बैंक मैनेजर ने फार्म हाउस का मुआयना करते हुए अनूप से पूछा।
“बस आप लोन का सेंशन लेटर दीजिए, फिर शानदार बना देंगे। एक कमरा आपके नाम कर दूँगा!” अनूप ने बैंक मैनेजर को रिश्वत का खुला ऑफर दे दिया।
बैंक मैनेजर हँस दिया। “बस दिल्ली पहुँच कर रिपोर्ट बनाते हैं। बच्चों के साथ हर छुट्टी यहीं बिताएँगे।“
“यह जगह हसीन अप्सरा के साथ छुट्टी बिताने की है। बच्चों के साथ नहीं।“ अनूप ने बैंक मैनेजर को आँख मारी।
“तू एकदम नटखट है।“ बैंक मैनेजर ने आँख मारी।
***
“अंकल जी प्रणाम!” डायना ने थानाराम को एक गिलास लेमन सोडा का दिया।
“आज खूबसूरत भूतनी हिन्दुस्तानी अन्दाज में? कोई विशेष कारण?” थानाराम कुछ-कुछ डायना के इस अन्दाज का आशय समझ गए थे।
डायना ने चरण स्पर्श भी कर लिए।
“अब मुँह से कुछ बोल भी दे भूत सुन्दरी।“
“पृथ्वीलोक जाने की आज्ञा प्रदान कीजिए। नवगाँव वाले फार्म हाउस पर हलचल देखी है।“
“मैं समझ गया था, मस्का क्यों मारा जा रहा है। तूने मानना है नहीं। तुझे पृथ्वीलोक जाने की आज्ञा है लेकिन किसी की हत्या नहीं करनी है।“
“पक्का वादा रहा। विलियम साथ जाएगा।“
“ले जा उसे, वैसे भी वो पक्का वाला भूतनी गुलाम है।“ थानाराम ने आज्ञा दी।
भूतनी गुलाम पर डायना हँसते हुए लोटपोट हो गई।
***
अनूप बंसल ने फार्म हाउस की सफाई करानी शुरू की। एक हफ्ते में सारे झाड़ साफ हो गए। रंग रोगन होने लगा। लाइट्स लगने लगी। उजाड़ फार्म हाउस नई नवेली दुल्हन की भाँति सजने लगा।
“अब मजा आने वाला है?” फार्म हाउस की रंगत देखते हुए डायना ने विलियम का हाथ अपने हाथ में लिया।
विलियम फार्म हाउस के भीतर गया। बैठक के कोने पर बार के पास रक्खी कुर्सी पर बैठ गया।
“तुम रूखे-रूखे उदास क्यों हो? कुछ तो बोलो।“
मजदूर काम कर रहे थे। एक मजदूर को अपने पास बुलाकर विलियम ने फर्श दिखाया।
“तुम ढंग से सफाई नहीं कर रहे हो। ये लाल निशान देखो। साफ करो इसको। फटाफट!” विलियम ने सिगार होंठों पर लगाकर सुलगाया।
डायना लाल निशान देखकर मुस्कुरा दी।
मजदूर ने फर्श को फटाफट साफ कर दिया।
“विलियम क्या तुम रोजी को अभी भी नहीं भूले। बीस साल हो गए भूत बने, अब तो कुछ भूतिया प्रेम, लव किया करो।“
विलियम कुर्सी से उठा और बाहर चला गया। फार्म हाउस में एक कार रुकी। कार में से अनूप बंसल के साथ बैंक मैनेजर उतरा। दोनों फार्म हाउस का मुआयना करने लगे। मैनेजर फार्म हाउस की रंगत देखकर खुश हुआ।
“काश कोई लड़की साथ होती तो रात गुलजार होती।“
“कहो तो इंतजाम करा दूँ।“
“दो चार दिन बाद का प्रोग्राम फिक्स करते हैं। फुर्सत में आता हूँ।“
“लोन की किस्त रिलीज होते ही एक रात क्या, सारी रातें रंगीन करा दूँगा।“ अनूप ने बैंक मैनेजर को आँख दबाकर कहा।
“यह विलियम कहाँ चला गया?” डायना भी बाहर निकली। सामने अनूप के साथ बैंक मैनेजर फार्म हाउस के अन्दर की ओर आ रहे थे। दरवाजे पर डायना खड़ी हो गई। उसने अपनी ज़ुल्फें बिखेरी।
“आपका फार्म हाउस में हार्दिक स्वागत है!” डायना ने कातिलाना अन्दाज में कहा।
“आप कौन?”
“फार्म हाउस की हर सुविधा का अवलोकन कीजिए।“
एक अँग्रेजन के मुख से शुद्ध हिन्दी सुनकर अनूप और बैंक मैनेजर दोनों दंग रह गए।
डायना कमर मटकाती आगे बढ़ी। एक कमरे का दरवाजा खोला। वह बेडरूम था। शानदार किंग साइज बेड पर गुलाब की पत्तियाँ सजी थी, जैसे सुहाग की सेज हो। हल्के गुलाबी रंग की रेशमी चादर और लाल रंग का कम्बल बिछा था। साइड टेबल पर क्रिस्टल गिलास के साथ सोडा, नमकीन, रोस्टेड काजू और जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल की बोतल रक्खी थी।
“अनूप तुमने तो सारा इंतजाम किया हुआ है।“
तभी ग्रामाफोन पर रिकॉर्ड बजने लगा।
आओ हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूँ
दिल झूम जाए ऐसी बहारों में ले चलूँ
बैंक मैनेजर के होश गुम होने लगे। वह इस चक्कर में था, अनूप ने इस अँग्रेजन को उसके लिए बुलाया है। उसने इशारा करके अनूप को बाहर भेज दिया। अनूप सोच रहा था, यह आई कहाँ से? बेडरूम की सजावट किसने की? इस सोच में बाहर आया। बैठक में विलियम बार के पास बैठा था। उसने इशारे से अनूप को बुलाया।
“तुम्हारे आदमी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ये देखो लाल निशान।“
“मैं साफ करवाता हूँ।“ अनूप ने बाहर मजदूर को फर्श साफ करने को कहा।
मजदूर हैरान हो गया। अभी तो साफ करके गया था। फिर से निशान देखकर दुबारा से फर्श साफ कर दिया।
“कौन सा ड्रिंक पसन्द करते हो। मुझे जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल पसन्द है। बनाऊँ पेग!” विलियम ने अनूप की प्रतिक्रिया नहीं देखी और एक पेग उसका भी बना दिया।
“चीयर्स!”
अन्दर बेडरूम में बैंक मैनेजर डायना को देखकर मदहोश हो गया। आज एक फ़िरंगन के साथ नैन मटक्का होगा।
डायना ने बैंक मैनेजर के गाल पर हाथ फेरा। “पसीने आ रहे हैं?”
तभी बेडरूम का दरवाजा खुला। फ्लॉवर प्रिंट वाली स्कर्ट पहने एक और अँग्रेजन आई।
“हैंडसम चार्मिंग मैन! यू आर मेड फॉर मी।“
डायना ने उस दूसरी अँग्रेजन की ओर देखा और कुटिल मुस्कान उसके होंठों पर छा गई।
“रोजी तुम!”
“तुमने विलियम से मुझे जुदा कर दिया, अब यह मेरा शिकार है।“
“न विलियम न ये, तुझे किसी मर्द के साथ नहीं रहने दूँगी भूतनी।“
“यह भूतलोक नहीं है जो थानाराम से शिकायत करके मुझे भूतिया गुफा में बन्द करा देगी। यह मेरा शिकार है।“
“एक शिकार बाहर बैठा है विलियम के पास। वैसे विलियम के बारे में क्या ख्याल है?”
“मुझे भूतों में कोई रुचि नहीं है। इसके बाद बाहर वाले को देखती हूँ।“
डायना और रोजी की बातों को सुनकर बैंक मैनेजर का दिमाग घूमा। वह फुर्ती से उठकर बाहर जाने लगा। डायना ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“यह मेरा फार्म हाउस है। इसे बसने नहीं देना। जब मेरा नहीं तो किसी का नहीं। डायना ने उसकी आँखों में झाँका। डायना की आँख की पुतली सफेद हो गई। आँखें लाल थीं। बैंक मैनेजर की हालत पतली होने लगी। रोजी ने उसे पीछे से पकड़ा।
डायना ने बैंक मैनेजर को छोड़ रोजी को पकड़ा। रोजी ने डायना को धक्का दिया। दोनों भूतनियाँ थीं। दोनों में बराबर का दम खम था। डायना बिस्तर पर गिरी। बैंक मैनेजर ने कमरे का दरवाजा खोलने के लिए कुंडी को हाथ लगाया। रोजी ने उसे पीछे से पकड़कर कुर्सी पर बिठा दिया।
“चुपचाप बैठा रह। ज्यादा स्यानपंती मत करियो। इस भूतनी को ठिकाने लगाकर फिर तेरे से प्रेम करूँगी। फिर बाहर तेरा जोड़ीदार भी है। उस पर भी दिल आ गया है।“
डायना सम्भल चुकी थी। वह उठी और रोजी का हाथ पकड़ा। रोजी पलटी, डायना ने उसके पेट पर एक दमदार घूँसा जमाकर मारा। डायना ने अपनी टाँग उसकी टाँग के बीच में फँसा दी। रोजी लड़खड़ा कर गिरी।
दो भूतनियों के बीच मल्ययुद्ध आरम्भ हो गया। दोनों गुत्थमगुत्था हो गई। एक दूसरे के ऊपर नीचे लुढ़क गए। कभी डायना ऊपर होती तो कभी रोजी ऊपर होती। कभी डायना एक घूँसा जमा देती तो कभी रोजी घूँसा जमा देती।
लडाई के बीच बैंक मैनेजर को भी घूँसे लग जाते। बैंक मैनेजर की डर के कारण हालत पतली थी। उसकी पैंट गीली हो गई।
“गंदा कहीं का, कपड़ों में सू सू करता है।“ रोजी ने कहते हुए कमरे का दरवाजा खोला। रोजी कमरे से बाहर थी।
डायना ने देखा, बैंक मैनेजर की हालत पतली थी। साँस तेज थी। उसको बिस्तर पर लिटा कर घूरते हुए कहा। “खबरदार आज के बाद कभी इस फार्म हाउस में नजर आया।“
बैंक मैनेजर बेहोश हो गया।
बाहर बैठक में विलियम और अनूप बैठे थे। रोजी ने अनूप के पीछे खड़े होकर उसके गालों पर अपनी उँगलियाँ फेरी। अनूप को गर्म उत्तेजना का अहसास हुआ।
“विलियम वन पेग फॉर मी।“ रोजी ने अनूप के साथ रक्खी कुर्सी पर बैठते कहा।
विलियम ने शून्य भाव से रोजी की ओर एक नजर देखते हुए पेग बनाया।
रोजी ने पेग अनूप के होंठों से लगा दिया। “ओह स्वीट हार्ट मेरे हाथ से पियो। जन्नत का मजा आएगा।“
अनूप बंसल रोजी को देखता रह गया। इतनी खूबसूरत अँग्रेजन उसको पेग पिला रही है। अनूप मदहोश होने लगा।
पाँच मिनट बाद रोजी अनूप को दूसरे बेडरूम ले गई। बेडरूम सुहाग की सेज की तरह सजा हुआ था। जैसे ही अनूप के साथ रोजी बिस्तर पर बैठी। डायना एक तूफान की भाँति कमरे में घुसी और अनूप को गिरा कर उसकी छाती पर चढ़ बैठी। अनूप की आँख से आँख मिलाई।
“जैसे तेरा बाप इस फार्म हाउस को भूल गया था। तू भी भूल जा।“
अनूप डायना की आँख की सफेद पुतली देखकर घबरा गया। रोजी ने डायना की टाँग पकड़कर खींचा।
“जिसको मैं प्यार करना चाहती हूँ, उसको मुझसे दूर कर देती है। इसके साथ जी भरकर प्रेम करने दे।“
डायना ने पलटकर रोजी के पेट में लात मारी। “किसी भूत के साथ प्रेम कर ले। इसको लास्ट वार्निंग दे रही हूँ। फार्म हाउस का ख्याल छोड़ दे। यह उजाड़ रहेगा। इसमें किसी को बसने नहीं दूँगी।“
एक बार फिर से डायना और रोजी में मल्ययुद्ध शुरू हो गया। दोनों एक दूसरे को जमकर लात घूँसे मारने लगे।
उनको लड़ता देख अनूप ने भागने की सोची। डायना ने उसका हाथ खींचा और फर्श पर लिटाकर उसकी छाती पर बैठ गई। अनूप बेहोश हो गया।
डायना बाहर आई। “रोजी अब तेरा यहाँ कोई काम नहीं। तू भूतलोक जा, वहाँ किसी भूत के साथ नैन मटक्का कर। मैं आज रात विलियम के साथ यहीं रहूँगी। इनको वापस भी भेजना है।
रोजी पैर पटकती हुई अदृश्य हो गई।
“अब शान्ति हो गई है। स्ट्रांग पेग बना।“ डायना ने विलियम से कहा।
“तू बहुत गलत कर रही है। इन बेचारों का क्या कसूर था?” विलियम ने पेग बनाकर डायना को दिया।
“बदला चीज ऐसी है विलियम जिसका अंजाम इन बेकसूरों को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन मैंने इनको मारा नहीं है बस भगा दिया।“
“मैं अपनी गलती मानता हूँ, तेरे साथ विश्वासघात किया। मैं चुप रहकर प्रायश्चित कर रहा हूँ।“
“अगर चुप नहीं रहता तो भूतिया गुफा में कैद कराकर यातनाएँ देती और दिलवाती।“
“अब भूतलोक वापस चलते हैं। इनके ऊपर ठण्डा पानी डाल। होश आ जाएगा। भाग जाएँगे।“
“थानाराम से विधिवत आज्ञा लेकर आई हूँ। आराम से सुबह चलेंगे।“
विलियम ने बाहर का एक चक्कर लगाया। सारे मजदूर चले गए थे। बाहर कोई नहीं था। वह वापस आ गया।
“मजदूरों को मैंने भेज दिया था। मैं उनको डराना नहीं चाहती थी। अब तुम भी आराम करो। मैं भी आराम करती हूँ।“ डायना बिस्तर पर लेट गई।
सुबह डायना ने अनूप बंसल और बैंक मैनेजर को जागे देखा। दोनों का सिर दर्द कर रहा था। रात का सदमा भूले नहीं थे। सुबह उन्हें साधारण कमरे मिले।
विलियम ने उन दोनों से हाथ मिलाया। “मैं तुम दोनों को बस इतना कहूँगा। यह फार्म हाउस शापित है। इसके ओरिजिनल मालिक डायना के पिता थे। उनकी मृत्यु के बाद डायना मालकिन बनी। उसके लालची पति ने उसको मार दिया क्योंकि वह प्रॉपर्टी बेचकर अपनी प्रेमिका संग इंग्लैंड भागना चाहता था। आप से दो महिलाएँ मिली, वो भूत थीं। जब तक वो भूत योनि में हैं। उसका फार्म हाउस और बंगला उजाड़ रहेगा। जो उसमें बसने की सोचेगा, बर्बाद हो जाएगा। आप कम से कम तीस और साल भूल जाएँ। अभी उसकी भूत आयु शेष है।“
विलियम चुप हो गया। तभी डायना दृश्य हुई।
“मैं डायना इस प्रॉपर्टी की असली मालकिन।“ मुस्कुराते हुए डायना विलियम के साथ अदृश्य हो गई।
अनूप बंसल ने फिर उसके बाद कभी फार्म हाउस में पैर नहीं रक्खा। बैंक मैनेजर ने बैंक की नौकरी छोड़ दी। उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। उसको पागलखाने भेज दिया।
अनूप बंसल ने फार्म हाउस के मेन गेट पर एक बोर्ड लगा दिया।
भूतिया प्रॉपर्टी
कुछ यही हाल न्यू समर हिल के बंगले का था। समय बीतता गया। कभी-कभी कुछ शरारती तत्व आपराधिक गतिविधियों के लिए अन्दर जाते। डायना उनको डराने आ जाती।
सन 2000
1950 में डायना, विलियम और रोजी भूत बने थे। पचास वर्ष उनकी भूत आयु थी। दो महीने के भीतर तीनों भूत योनि से मुक्त हो गए।
उनकी प्रॉपर्टी अभी भी शापित ही है। जोशी और बंसल परिवार ने अपना दावा प्रॉपर्टी पर छोड़ दिया था। सरकार ने भी उन प्रॉपर्टी पर हाथ रखने से मना कर दिया। दादा से पिता, पिता से बेटे और बेटे से पोते को अनेकों भूतिया कहानियाँ सुनाई गई। नाम डायना सबकी जुबान पर आज भी है।
- समाप्त -