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लघुकथा

सफर
एक बार मिश्रा जी अपने पूरे परिवार के साथ घूमने निकले। दरअसल उनके बेटा बहू गणतंत्र दिवस की छुट्टी में घर आए थे। रास्ते में मंदिरो के दर्शन कर वापस लौटना था। दर्शन करते करते देर हो गई। रात होने को थी और उनकी गाडी खराब हो गई। आसपास कोई गॅरेज भी नहीं दिख रहा था व नई जगह पर उन्हें कोई जानकारी भी नहीं थी। गणतंत्र दिवस होने के कारण अधिकांश जगह बंद था। मिश्रा जी व उनका बेटा गाडी से उतर कर रास्ते के किनारे मदद मांगने खडे हो गए। इतने में एक मराठी कपल वहां से गुजरा उन्होने मिश्रा जी की समस्या समझते हुए उनसे अपने घर चलने का आग्रह किया। उनके आग्रह के कारण मिश्रा जी सपरिवार उनके साथ हो लिए। उस मराठी कपल ने मिश्रा जी को भोजन करवाया व मेकेनिक को बुलवाकर उनकी गाडी भी ठीक करवाई। मिश्रा जी को लगा चलो आज भी जमाने में अच्छे लोग है जो इस प्रकार अधर में फंसे लोगो की मदद करते है। मिश्रा जी के लिए गणतंत्र दिवस का यह सफर यादगार बन गया।
जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा

 

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