कभी हँस भी लिया करो
कभी हँस भी लिया करो
1.मददगार
निलेश जी हमारे मोहल्ले के सबसे मददगार व्यक्ति हैं। मोहल्ले में किसी को भी कोई भी तकलीफ़ हो, वह मदद के लिए हरदम तैयार रहते है लेकिन मोहल्ले वाले उनके हाथ जोड़ते हुए कहते थे कि आप रहने दीजिए । बहुत से लोग तो निलेश जी के पैर भी पड़ने को राज़ी हो जाते है कि आप रहने दीजिए।
वज़ह…….
नहीं ऐसी कोई खास वजह नहीं है।
अभी पिछले ही महीने उन्हें पता लगा कि लालू अंकल को कोई वायरल फीवर हो गया है तो वो फ़ौरन उनके घर शहर के प्रसिद्ध डाॅक्टर को ले आए। डाॅक्टर की दवाई का असर कहे या निलेश जी की कृपा का आज लालू अंकल आई.सी.यू. में भर्ती हैं।
निलेश जी बडे़ मददगार है।
मेरे पड़ोस वाले अंकल की रोज रोज सामने वाले अंकल से कहासुनी होती रहती थी। हमने निलेश जी से कहा कि ये रोज़-रोज़ की लड़ाई रूकवाइए।
देखिए अगले ही दिन से लड़ाई खत्म हो गयी।
पड़ोस वाले अंकल का सर फट गया वो अस्पताल में भर्ती हैं और सामने वाले अंकल को अभी पुलिस लेकर गयी है।
सचमुच निलेश जी बड़े मददगार है।
अभी पिछले हफ्ते की ही बात है मेरे मित्र आयूष का उसकी पत्नी से किसी छोटी सी बात पर झगड़ा चल रहा था। निलेश जी को पता चला तो वह उन्हें समझाने गये।
अब दोनों ने तलाक लेने का फैसला ले लिया है। मोहल्ले वाले सारा कसूर उन्हीं का निकाल रहे हैं।
भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा है
निलेश जी इतने अच्छे इंसान है कि जब उन्हे मालूम पड़ा कि मिस्टर शर्मा बाथरुम में फिसल गये है। वह तुरंत उनके घर पहुंचे और उन्हे कार में बिठाकर डाॅक्टर के पास ले जाने लगे। ऐसे समय जब सगे संबंधी काम ना आए निलेश जी हमेशा तैयार रहते हैं।
रास्ते में एक छोटी सी दुर्घटना हो गयी। अब मिस्टर शर्मा I.C.U. में है।
सचमुच निलेश जी बड़े मददगार है।
आप मेरी ही राम कहानी सुन लो मैंने अपनी नौकरी से परेशान होकर किसी और कंपनी में अच्छे पैकेज पर काम ढुंढने में उनकी मदद मांगी थी। वह तुरंत राजी हो गये। आज देखिए मैं सारी चिंताओं से मुक्त होकर बेरोजगार बैठा हुं।
मोहल्ले वालों के ताने सुन सुन कर उन्होने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया।
पंखे पर रस्सी बांधने के बाद वे सुसाइड नोट लिख ही रहे थे कि पंखा भरभराकर गिर पड़ा। वो हैरान रह गये।
फिर उन्होने छत से कुदने का फैसला लिया और सीधे छत पर पहुंच गये जैसे ही वो वहां से कुदे तभी कहीं से रोहित और सोनु मिस्टर शर्मा को व्हील चेयर पर लेकर उधर से निकले। नीलेश जी सीधे मिस्टर शर्मा के ऊपर गिरे और उन्होने रोहित का कंधा थाम लिया जिससे वह सुरक्षित बच गये। मिस्टर शर्मा फिर से बेहोश हो गए।
रोहित और सोनु गालियों से उनकी सेवा करने लगे।
निलेश जी ने मिस्टर शर्मा को फिर से हाॅस्पिटल पहुंचाने की जिम्मेदारी लेना चाही, तो सबने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि रहने दो भाई,हम ही ले जाएंगे।
अब निलेश जी ने आत्महत्या करने का विचार छोड़ दिया है।
उन्होने रोहित और सोनु को दिल से माफ कर दिया है और ठान लिया है कि जब भी रोहित और सोनु को उनकी मदद की जरूरत पड़ेगी वो तैयार रहेंगे।
जबकि मोहल्ले वाले चाहते हैं कि वह किसी की मदद ना करें तो ही अच्छा है।
अब आप ही बताओ मोहल्ले वाले उनकी मदद लेने में झिझक क्यों रहै है?
निलेश जी बड़े मददगार है।
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2. एक्सिडेंट
गांव में रहने की बात ही अलग है। शहर में बिजली जाए तो लोगों के हाथ पांव फूल जाते हैं। जबकि गांव में बिजली आने पर ऐसी खुशियां मनाई जाती है जैसे किसी परिवार में सालों की तपस्या के बाद कोई बच्चा पैदा हुआ हो लेकिन वह खुशी भी ज्यादा समय तक नहीं टिकती है। जब लोग खुशियां मनाने के लिए नाचने लगते हैं तभी बिजली वापस चलें जाती है । फिर भी गांव वाले दुखी नहीं होते हैं।
उस रात को भी हमारे गांव में बिजली नहीं थी। जब बिनोद अंकलजी कल हमारे घर पर आए। लालटेन की रोशनी में उन पर नजर डालते ही हम घबरा गये। उन्होने हेलमेट पहन रखा था। जिसमें खून लगा हुआ था। हमने उन्हें सहारा देते हुए पलंग पर बिठाया।
" कहीं गाड़ी गिर पड़ गयी थी क्या? या किसी ने ठोंक दिया?" मैंने बिनोद अंकल का हेलमेट उतारते हुए पुछा
"वो क्या है कि आदत है जो छुटती ही नहीं। ध्यान नहीं रहा और गुटका खाए थे और हेलमेट में ही पिचकारी छोड़ दी।"
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