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पुलवामा शहीदों को शत शत नमन

पुलवामा में जो आतंकवादी हमला हुआ था उसमें 44 CRPF के जवान शहीद हुए।

।।शहीदों को शत शत नमन एवं श्रदांजलि।।

   कविता
कैसा मंजर होगा उस शहीद के घर का,
जिस घर से माँ का आशीर्वाद लेकर वो सरहद पर गया था ||

टिकट था मगर रिजर्वेशन नही मिला,
सरहद पर तत्काल पहुंचो कैप्टन का पैगाम आया था ||

अफ़सोस किसी ने उसकी एक ना सुनी,
रिज़र्वेशन कोच से बेइज्जत कर उसे नीचे उतार दिया ||

लोग तमाशाबीन बने देख रहे थे,
उन्होने भी उसे ही दोषी ठहरा कर अपमानित किया ||

जनरल डिब्बा ठसाठस भरा हुआ था,
किसी ने भी उसे बैठने क्या खड़ा भी नहीं होने दिया ||

सामान की गठरी बना गैलरी में बैठ गया,
पैर समेटता रहा,आते-जाते लोगों की ठोकरे खाता रहा ||

सरहद पर दुश्मन गोले बरसा रहा था,
उसे जल्दी पहुंचना जरूरी था इसलिए हर जिलालत सहता रहा ||

पत्नी की याद में थोड़ा असहज हो रहा था,
उसका मेहंदी भरा हाथ आँखों के सामने बार-बार आ रहा था ||

माँ का नम आँखों से उसे विदा करना,
माँ का कांपता हाथ उसे सिर पर फिरता महसूस हो रहा था ||

पिता के बूढ़े हाथों में लाठी दिख रही थी,
सिर टटोलकर आशीर्वाद देता कांपता हाथ उसे दिख रहा था ||

पत्नी चौखट पर घूंघट की आड़ में उसे देख रही थी,
उसकी आँखों से बहता सैलाब वह नम आँखों से महसूस कर रहा था ||

दुश्मन के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया,
दुश्मन ने उसे पकड़ लिया और निर्दयता से सिर धड़ से अलग कर दिया ||

इतना जल्दी वापिस लौटने का पैगाम आ जाएगा,
विश्वास ना हुआ, बाहर भीड़ देखकर घर में सब का दिल बैठ गया ||

नई नवेली दुल्हन अपने मेहँदी के हाथ देखने लगी,
किसी ने खबर सुनाई उसका जांबाज पति देश के काम आ गया ||

कांपते हाथों से माँ ने बेटे के सिर पर हाथ फेरना चाहा,
देखा सिर ही गायब था, माँ-बहू का हाल देख पिता भी घायल  हो  गया ||

पिता ने खुद को संभाला फिर माँ-बहू को संभाला,
कांपते हाथों से सलामी दी, कहा फक्र है मुझे मेरा बेटा देश के काम आया ||

©  प्रह्लाद नारायण माथुर 

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