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पुलवामा

 

ललक बड़ी थी उनकी
देश की कुछ करने की
पर सफर अधूरा छूट गया
सरहद के वीरों की ।

अपना फर्ज़ बखूबी निभाया
भारत के वीर शेरों ने
गोली झेल लिए तन पर
चौड़ी छाती सीने में!

जम्मू कश्मीर हुआ लहूलुहान
पुकार सुनी जब जवानों की
दिल सब का ही दहल गया
सुन खबर भारतीय वीरों की।

विस्फोट हुआ भयानक इतना
बिखरे शरीर के परखच्चे
चालीस जवान शहीद हुए
परिवार के भाग्य फूटे थे।

याद में उनके श्रद्धा सुमन
पुष्प अर्पित करते हैं
पुलवामा के शहीदों को हम
भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं।

"पुष्पा त्रिपाठी "पुष्प"
साहित्यकार, कवयित्री सह शिक्षिका
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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